Priyanka Gupta

Tragedy Inspirational

4.3  

Priyanka Gupta

Tragedy Inspirational

नियम तोड़ने की आदत

नियम तोड़ने की आदत

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"यहाँ कितनी गंदगी है हर तरफ।अमेरिका में तो ढूंढने पर भी गंदगी नहीं मिलती है।चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नज़र आती है।मन बाग़ -बाग़ हो जाता है।सच्ची में स्वर्ग है ,स्वर्ग । " ऐसा कहते हुए हाल ही अपनी बेटी के पास सेअमेरिका जाकर लौटी,संगीताजी ने अपने हाथ के बिस्किट का रैपर बाहर सड़क पर फेंक दिया।

"वहाँ तो मज़ाल है कि सड़क पर कोई कचरा फेंक दे ,बड़ा भारी जुर्माना भरना पड़ता है । अपने यहाँ तो ट्रैफिक भी इतना है ;कि कार तो बैलगाड़ी जैसे चलती है । " संगीताजी का अमेरिका पुराण जारी था । 

"अरे सभी गाड़ियाँ निकल रही है ;तुने क्यों गाड़ी रोक दी ?" संगीताजी ने कार के ड्राइवर को डाँटते हुए बोला । 

"मैडम ,वो रेड लाइट हो गयी थी न ;इसलिए रोक दी थी ." ड्राइवर ने कहा । 

"जब सभी जा रहे हैं ;तो हम क्यों खड़े हों ?तू भी अपनी गाड़ी निकाल ले ,वैसे भी आसपास कोई ठुल्ला नज़र नहीं आ रहा । ",संगीताजी ने ड्राइवर की नासमझी पर उसे समझाते हुए कहा और साथ ही साथ खुद की होशियारी पर आत्ममुग्ध भी हो रही थी । 

संगीताजी के साथ ही उनकी भतीजी प्रियम भी सफर कर रही थी । संगीताजी का अमेरिका पुराण और गैर जिम्मेदारीपूर्ण रवैया उसे परेशान कर रहा था । वह अब और खुद को रोक नहीं पा रही थी । आखिर उसने संगीताजी को आईना दिखाने का निर्णय ले ही लिया । 

प्रियम ने संगीताजी को कहा ,"बुआ आपको पता है;हम सब भारतीय जब भी विदेश से लौटते हैं,वहां के अनुशासन और व्यवस्था की तारीफ में कशीदे काढ़ते हैं।वहां पर नियम-कानूनों का पालन करने वाले,अपने देश में लौटकर सारे नियमों को ताक पर रख देते हैं।अपने देश में कदम रखते ही हम सारे नियम भूल जाते हैं । हमें केवल एक ही नियम याद रहता है कि सरकार के नियमों को कैसे तोड़ा जाए ?यह नियमों को तोड़ने की आदत हम सभी भारतीयों को चाहे किसी भी धर्म,जाति ,स्थान,नस्ल आदि के हों,एक डोर में बांधती है;भारतीयता की डोर में ।क्यों सही कहा न बुआ ?"

केले का छिलका बाहर सड़क पर फेंकती संगीताजी के हाथ खुद बा खुद ही रुक गए थे।


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