निरंतर सीखना
निरंतर सीखना
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प्रिय डायरी,
जीवन में सीखना कहीं से आरम्भ हो सकता है। जरूरी नहीं है कि 2-4 किताबों को पढ़ा लिखा ही विद्वान माना जायें। यद्यपि स्कूली शिक्षा जीवनयापन में बहुत काम आती है। पढ़ा-लिखा व्यक्ति अपना और अपने परिवार का पालन कर सकता है। पर यह जीवन में सीखना नहीं हुआ। यह एक पढ़ाव है न कि मंजिल।
सीखना वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति हर समय व्यक्ति, बस्तु या अनुभव से कुछ न कुछ सीखने का प्रयास करता है वास्तव में यही असली सीखना है। एक व्यक्ति एक बच्चे से भी सीख सकता है।
अगर हम वृद्ध हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि अब आप कुछ नहीं सीख सकते या आपका सीखना रुक गया। एक व्यक्ति हर वक्त अपने जरूरत की चीज सीख जाता है। अगर आवश्यकता है तो सीखना पड़ेगा और सीखने पल वह वस्तु आप प्राप्त कर सकते हैं।