नई यादें (प्रांप्ट १४)
नई यादें (प्रांप्ट १४)
"मम्मी हम चार दिन से हॉस्पिटल में क्यों है? क्या हुआ है मुझे? डॉक्टर आज कौन से ऑपरेशन की तैयारी कर रहे है?"
"बेटा पिछले महीने तुम कई बार बेहोश होकर गिर गए थे न, तब तुम्हारे कुछ टेस्ट कराए गए थे......."
"उन टेस्ट में क्या था मम्मी?"
"बेटे तुम्हारे ब्रेन में एक ट्यूमर है उसी की वजह से तुम बार-बार बेहोश हो रहे थे।"
"तो क्या उसी ट्यूमर का ऑपरेशन होना है मम्मी?"
"हाँ बेटा, वो ट्यूमर निकालना जरूरी है........बेटा अभी तुम सिर्फ सात साल के हो अगर ऑपरेशन अभी न कराया गया तो और ज्यादा प्रॉब्लम हो सकती है।"
"क्या ऑपरेशन मेरे सिर का होगा?"
"हाँ बेटा।"
"तो होने दीजिए ऑपरेशन, मुझे भी हर टाइम चक्कर आते रहते है। लेकिन आप रो क्यों रही हो? क्या ऑपरेशन का डर है आपको?"
"हाँ बेटा।"
"कैसा डर है आपको?"
"बेटा आज शाम को तुम्हारा ऑपरेशन होगा, तुम इतने सवाल न करो, अब आराम करो और थोड़ा सोने की कोशिश करो।"
"मम्मी अगर ऑपरेशन के बाद मैं हमेशा के लिए सो गया तो?"
"ऐसा नहीं होगा बेटा, दुनिया का सबसे बड़ा न्यूरो सर्जन इस ऑपरेशन को करेगा।"
"ठीक है मम्मी मुझे बहुत थकावट हो रही है, अब मुझे सोने दीजिए।"
शाम के समय
"मिसेज भास्कर हम प्रिंस को ऑपरेशन के लिए ले जा रहे है........अब आप ऑपरेशन थियेटर के सामने बैठने के बजाय रिटायरिंग रूम में जा सकती है, ऑपरेशन आठ घंटे से ज्यादा चलेगा।
"मैं यहीं बैठूंगी......कोई खतरा तो नहीं है डॉक्टर?"
"मिसेज भास्कर खतरा हर ऑपरेशन का एक पहलू होता है लेकिन आप भरोसा रखे हम अपना बेस्ट करने की कोशिश करेंगे।"
एक साल बाद
"मैडम प्रिंस बाबा हर टाइम खामोश क्यों रहते है, न तो वो आपको पहचानते है और न मुझे.......क्या जिंदगी भर वो ऐसे ही रहेंगे?"
"ज्यादा सवाल न करो नंदिता, ट्यूमर के ऑपरेशन के बाद प्रिंस सब कुछ भूल चुका है, न वो तुम्हें पहचानता है न मुझे.......उस भयानक ऑपरेशन के बाद वो जिंदा है मेरे लिए इतना ही बहुत है, आओ हम खुद को उसकी नई यादों का हिस्सा बना लेते है, हो सकता है कभी उसे हम याद आ जाए......"
"आप रोइए मत मिसेज भास्कर आइये चलिए प्रिंस बाबा को घूमने ले चलते है।"