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Rajesh Kumar Shrivastava

Comedy

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Rajesh Kumar Shrivastava

Comedy

नहले पे दहला

नहले पे दहला

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300

आज सुबह की ही बात है, जब हफ्ता भर बाद मेरे मोबाइल फोन की घंटी बजी थी, मैं उसकी ओर ऐसे लपका, जैसे प्यासा कुएँ की ओर लपकता है। फोन पर बतियाने के लिहाज से मेरा पिछला हफ्ता पूरा नीरस बीता था।

वाटसएप का जमाना क्या आया, लोगों का मुख ही टेढ़ा हो गया। अब पब्लिक के पास मैसेज टाईप करने का वक्त तो होता है, लेकिन बातचीत करने का नहीं होता। यदि ऐसा ही रहा तब फोन पर घंटों बतियाना इतिहास की अनोखी घटना के रुप में याद की जायेगी।  

मैंने देखा स्क्रीन पर फ्लैश हो रहा नंबर मेरे लिए नया था, बिल्कुल अनचीन्हा था ! मैंने कुल चार क्षण को सोचा, फिर काल रिसीव ! 

अभी ठीक हैलो भी न कह पाया था कि किसी लड़की की मधुर, सुरीली और दिलकश आवाज सुनाई दी :--


’ हैलो सर ! गुड मार्निंग ! 

गुड मार्निंग मोहतरमा ! मैंने जवाब दिया। 

आखिर तहजीब भी कोई चीज होती है। अभिवादन का उचित जवाब देना सज्जनता की निशानी होती है।


सारी सर ! आपने ये मोह. मोह..मोहत करके क्या कहा था। प्लीज सर ! मैं समझ नहीं पाई, रिपीट, अगेन सर प्लीज़ !! --उसने ऐसे बेताबी से कहा कि बस अपना दिल बाग बाग हो गया। 

आप को बता दूँ कि बस दिल ही बाग बाग हुआ। दिमाग नहीं। वह तो और भी चौकस-चौकन्ना हो गया। ना नाम ना, पता, ना जरुरत और ना ही रिश्तेदारी एकाएक पसरने लगना। ऐसे में चौकन्ना होना तो बनता ही है।


ओह ! सारी वारी तो मुझे कहना चाहिए मिस – मैंने कहा – आप मिस ही हैं ना ?

अच्छा ! आपको कैसे पता चला कि, मैं कोई मिस  हूँ, कोई मिसेज़ नहीं ?

आपकी दिलकश, होश उड़ा देने वाली आवाज ने बताया था मोहतरमा..


फिर मोह.. मोहतरमा ! यह मोहतरमा क्या है ? 

बस जुबान का फर्क है जी ! यह मिस के जैसा ही है। बस उर्दू फारसी का वर्ड है। 

अच्छा ! आप उर्दू बोलते हैं वेरी गुड ! मेरी नानी भी बोलती थी। आई लाईक उर्दू !- उसने कहा।

अच्छा बोलती थी का क्या मतलब ? अब दूसरी जुबान बोलती हैं ? – मैंने सवाल किया ?

अब वो कोई भी जुबान नहीं बोल सकती ! सर ! वो ऊपर जा चुकी है ! मेरी नानी , महीना पहले…-।


एकाएक उसका गला भर आया और वह बगैर किसी चेतावनी के सुबकने लगी। 

मैं खामोश रहा ! हे भगवान ! यह कौन सी बला है। यह लड़की या तो बड़ी भावुक है। जिसे अपनी नानी की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं हो रहा है, या फिर कोई फसादी लड़की है, जो किसी और ही फिराक में है।

मैंने उसे जी भर के सुबक लेने दिया। चुप कराता तो और भी जोरों से सुबकती। 


सारी सर ! – आखिरकार वह अपने आप चुप हुई फिर बोली—मैं आपको नाहक रुला दी। सारी !! 

नहीं, नहीं मिस ! इसमें सारी बोलने की कोई जरूरत नहीं है। इसी बहाने मुझे भी अपनी नानी की याद आ गई। 

ओह ! रियली ! वैसे क्या खासियत थी आपकी नानी में ? 

बहुत सारी खासियतें थी मेरी नानी में। वे बहुत जायकेदार कचौरियां, खाजा,गुझिया तथा मालपुये बनाती थी !

ओह ! आप भी नानी को याद करके रोते हैं – उसने बड़ी अदा से पूछा। 


मजे की बात यह कि उसने अभी तक न तो अपना परिचय दिया था, और न ही फोन करने का कोई मकसद बताया था। उसने मुझसे मेरा परिचय भी नहीं पूछा था। यहाँ तक भी बात पहुँचेगी ! मैंने अपने आपको तसल्ली दिया। पठ्ठी अभी दाना चुगा रही है।

नहीं ! मोहतरमा ! मर्द हूँ ना ! और मर्दों को रोना-धोना शोभा नहीं देता। इसलिए सिर्फ नानी को याद करता हूँ और थोड़ा दुखी हो जाता हूँ।

ओह यस ! यस ! हे भगवान ! मैं तो भूल ही गई कि मोबाईल पर आपसे बातें कर रही हूँ, और रोने लगी ! आपको बुरा तो नहीं लगा ? 

नहीं लगा, बल्कि यह जानकर खुशी हुई कि आप एक नेक लड़की हैं और अपनी नानी को इतना ज्यादा याद करती हैं। 

ओह ! थैंक्यू सर ! 

अब मिस ! बराये मेहरबानी बताइये मैं आपकी क्या खिदमत कर सकता हूँ ?  

सारी सर ! मुझे पहले ही बता देना चाहिए था ! वैसे आप करते क्या हैं सर ?

मैं बहुत कुछ करता हूँ मिस !! जैसे कपड़े प्रेस कर लेता हूँ, गाड़ी अच्छे से धो लेता हूँ, आलू मटर की सब्जी बढ़िया से पका लेता हूँ, गाने-वाने गा लेता हूँ, ढोलक……।

नो ! नो ! नो ! सर ! मेरा यह मतलब नहीं था, मैं काम पूछी काम ! मतलब रोजगार !! वो हंसती हुई बोली।


काम काज और रोजगार का ही तो रोना है मिस !-- मैंने कहा -- फिलहाल बेरोजगार जैसी स्थिति है मिस ! बीबी नौकरी करती है, प्राईवेट स्कूल में टीचर है, बस उसी की आमदनी से किसी तरह दाल रोटी चल रही है।

ओह ! दैटस् टू बैड ! सर आपकी स्थिति सुधर सकती है, मेरा मतलब है आर्थिक स्थिति !! अज्ञात हसीना ने मुझे आश्वासन दिया । 

अच्छा ! वो कैसे ? 

ओह ! सारी सर ! मैंने अभी तक आपको अपना इंट्रोडक्शन दिया ही नहीं है ! सारी !!

कोई बात नहीं मोहतरमा ! अब दे दीजिए अपना वो इंट्रोड्यूस !! मैने जवाब दिया !!

वह हंसी ..नो सर ! इंट्रोड्यूस नहीं सर इंट्रोडक्शन।

हाँ वही !! 

सर !! मैं हूँ लवली ! लवली शर्मा ! परमार्थ भूत-भविष्य संस्थान कटरा, प्रयागराज से ! सर ! हमारे संस्थान में ग्रहबाधाओं की शांति पूरी प्रामाणिकता के साथ किया जाता है। इससे व्यापार रोजगार तथा नौकरी में आ रही रुकावटें दूर होती हैं संतान की शिक्षा, संतान का न होना, गृहक्लेश, मुकदमे बाजी, भूत प्रेत बाधा, आदि दूर होती है। सर हमारी संस्थान यजमान से दक्षिणा स्वरुप बहुत थोड़ी सी सहयोग राशि लेती है। 


बहुत बढ़िया मिस ! भगवान आपका भला करे ! आपको मनपसंद दूल्हा दे ! आपने मेरी मुराद पूरी कर दी ! --मैंने कहा ! 

लवली हंसते हंसते शायद लोटपोट हो गयी।

अच्छा वो कैसे ? अब उसकी आवाज में आश्चर्य का भाव था। 

वह ऐसे मिस लवली ! कि हमारे छत्तीसगढ़ में, भूत भविष्य तथा वर्तमान के जानकारों की कोई इज्ज़त नहीं है। यहाँ लोग आज भी, इस मँहगाई के भीषण दौर में भी भविष्य वक्त्ताओं को बतौर दक्षिणा इक्कीस रुपये से ज्यादा देते।

बस इक्कीस रुपये ! इतने से क्या होगा ? 

हाँ वही तो ! इसीलिए तो मैं बेरोजगार हूँ ! मैंने कहा ! 

क्या मतलब ? 

यही कि, यदि आपके संस्थान में ज्योतिषियों की कोई वैकेंसी हो तो बताइये। मैं वादा करता हूँ मिस कि मैं आपके संस्थान को निराश नहीं करूंगा। मैं ‘’ज्योतिष विज्ञान’’ में स्नातक (बी.ए.) हूँ ! मैं नौकरी ढूँढ-ढूँढकर थक चुका हूँ ! आप कम सैलरी देंगी तो भी चलेगा ! क्योंकि आपके यहाँ काम करने में मेरा डबल फायदा होगा ! नौकरी की नौकरी और रोजाना गंगा स्नान। आपकी बड़ी मेहर….।… 


 मैं देर तक बोलता और सवाल पर सवाल करता रहा फिर भी उसने कोई जवाब नहीं दिया। तब मैंने स्क्रीन को देखा।

 फोन कब का डिसकनेक्ट हो चुका था।



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