Rajesh Kumar Shrivastava

Comedy

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Rajesh Kumar Shrivastava

Comedy

डी.डी.टी.और न्यू ईअर

डी.डी.टी.और न्यू ईअर

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‘देवी दत्त तिवारी’’ यदि किसी चीज से चिढ़ता है, तो वह है उसका अपना निकनेम । ‘देवी’ यह भी कोई नाम हुआ । वह लड़की होता तब बात दूसरी थी । अपने निकनेम की वजह से उसे काफी परेशानी होती है । जहाँ अपरिचित लोग उसे लड़की समझते हैं वहीं शरारती लड़कियां उसे ऐसे अंदाज में ‘ ए देवी’ कह कर संबोधित करती है कि वह शर्म से पानी-पानी हो जाता है ।  

जब से वह ‘समझदार’ हुआ है । तब से वह कहता आ रहा है, समझिये फरियाद करता फिर रहा है कि ‘’उसे उसके पूरे नाम से संबोधित किया जाये ! यदि नाम छोटा ही बोलना है,तो हिन्दी में नहीं, अंग्रेजी में बोला जाये । लेकिन उसे देवी न कहा जाये ! 2020 में वह अपने पुराने, घटिया और बेहूदा निकनेम के साथ नहीं जाना चाहता ! ‘’

नाम तो बचपन में रखी जाने वाली चीज है जो होता तो बच्चे का है लेकिन रखते माता-पिता या पंडित-मौलवी हैं । उस समय यह ध्यान थोड़े ही रहता है कि अभी का नाम आगे चलकर भविष्य में कोई ‘’उलझन’’पैदा करेगा ?

 देवी दत्त तिवारी को माता-पिता द्वारा रखा गया नाम खास पसंद नहीं है । वह चाहता है कि उसका नाम आधुनिक हो तथा छोटा हो । उसके ऐसा बार-बार कहने पर हमने, उसके दोस्तों ने तय किया कि उसे 2020 के भीतर नये नाम के साथ प्रवेश कराया जाये ।

इसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए हम चारों मित्र सिटी पार्क में इकठ्ठे हुए थे,तथा नामकरण करने की जद्दोजहद में जुटे हुए थे । 

सी.एम.डी. अर्थात चंद्र मोहन डिक्सेना ने हंसते हुए कहा –‘’यार देवी ! बुरा मत मानना ! यदि मैं तुम्हें डी.डी.टी. कहूँ तो ? डी.डी.टी यानी देवी दत्त तिवारी ! कैसा रहेगा ? देवी से तो अच्छा है ! है ना ?

सीएमडी की बात सुन हम सब हंस पड़े ।

देवी ने कहा -क्या मैं तुम लोगों को मच्छर मार पाउडर नजर आता हूँ ? जो डीडीटी कहाऊँ ! तुम लोग मेरा निक नेम ढूंढ रहे हो या मेरा मजाक बना रहे हो ?

अब बोलने की बारी जे.के.एस. अर्थात जितेन्द्र कुमार सोनी की थी –‘’ माई डियर डी.डी.टी. ! तुम्हें इससे बढ़िया निकनेम नहीं मिलने वाला !’’ चाहो तो आर.के.एस से पूछ लो ! 

आर.के.एस. यानी मैं । देवी ने मुझे खा जाने वाले नजरों से घूरकर देखा । जैसे धमका रहा हो कि ‘हाँ’ कहकर तो दिखाओ !

मैने कहा- ‘’मित्र ! इसकी बात में दम तो है । दूसरा निकनेम ‘’दत्त’’ से ‘’दत्तू’’ बनेगा ! जो किसी बच्चे के नाम जैसा लगेगा ! अब यार दोस्त तो तिवारी या तिवारी जी कहने से रहे ? इसलिए नखरा छोड़ो और हाँ कह दो !

सी.एम.डी. ने कहा—माई डियर ! ऐसा शानदार नेम्स शरमनी बाईचांस और बेहद ही ‘लकी ‘ लोगों का होता है । क्योंकि नाम रखने का काम मम्मी-पापा या पंडित जी का है । यह ‘फर्स्ट चांस इन आल दि वर्ल्ड ‘है कि किसी का नाम उसके फ्रेंड्स ने रखा होगा । आज नाईट में न्यू ईयर सेलीब्रेट भी करना है ! तो जल्दी फैसला कर कि नया साल ‘देवी’ सेलीब्रेट करेगा या अपना डी.डी.टी. ?

जे.के.एस. ने कहा-यारों 'अब देवी का टाईम गया,  डी.डी.टी. का टाईम शुरु होता है अब ! आय एम राईट माय फ्रेंड्स ? इट इज ओके !!

मैंने कहा -हमारे ओ. के. कहने से क्या होगा ? देवी ओ.के. कहे तब समझेंगे कि पूरा ओ.के. होगा, यानी आल इज वेल ! क्यों देवी ?

देवी कुछ कहता उसके पहले ही सी.एम.डी. ने टाँग अड़ा दी बोला—इसके यस आर नो का कोई वेल्यू नहीं है इस टाईम !! इसका निकनेम हमें सर्च करना है । इसे सिर्फ यह बताना है कि यह न्यू ईयर का वेलकम देवी रह के करेगा या डी.डी.टी. बनकर ?

जे.के.एस. ने हंसते हुए कहा – अपना यार फर्स्ट नंबर का दिलदार है । इसे अपना ओल्ड निकनेम ड्राप करना ही होगा । ‘’न्यू ईयर इज न्यू ईयर’’ । यस माई डियर ! 

ओह ! साल नया, तो पुराना तो छोड़ना ही होगा – मैने कहा—और कुछ न सही नाम ही बदल जाये । कुछ तो नयापन लगे । देवी मान जा मेरे भाई !.डी.डी.टी. भी कोई बुरा निकनेम नहीं है !’’

आर.के.एस. तुम भी इनसे मिल गये – देवी दत्त ने कलपते हुए कहा । वह पूरी तरह से अकेला पड़ चुका था ।

मिला तो नहीं हूँ – मैने कहा – लेकिन तुम्हीं बताओ ! कि देवी दत्त तिवारी से और कौन सा बढ़िया निक नेम बनेगा । हम वही रख देंगे । या फिर देवी नाम ही ठीक है ।

‘’नहीं इस नाम से लोग बाग मुझे लड़की समझते हैं – उसने कहा-- बहुत हो गया ! इस नाम से मैं न्यू ईयर सेलीब्रेट नहीं करना चाहता ! ‘’

देवी यानी डी.डी.टी. ने अपना हथियार डाल दिया । हमने तालियां बजाते हुए डी. डी. टी.नाम पर मुहर लगा दी ।

 नाम बदलने की खुशी में न्यू ईयर पार्टी अपना डी.डी.टी. देगा -सी.एम. डी. बोला—हाई -फाई नहीं, मीडियम रेंज वाली । जो इसके जेब के साईज की हो ! ओ.के. ?

जे.के.एस. ने कहा –होटल ‘’मिड नाईट’’ में न्यू ईयर सेलीब्रेट करें तो कैसा रहेगा ? उसे इस काम के लिए खास डेकोरेट किया गया है । मुम्बई से ‘’हाई-फाई डांसिंग ग्रुप ‘’परफार्म’’ के लिए आ रहा है 

वहाँ फोकट में हमें घुसने कौन देगा ? सी.एम.डी. ने कहा – सुना है कस्टमर को एंट्री फीस देनी होती है ?

यस माई. डियर ! – जेकेएस ने ज्ञान झाड़ते हुए कहा-- ज्यादा नहीं । ओनली फाइव हंड्रेड रुपिज पर हेड इन मेन । फीमेल के लिए नो एंट्री फीस ।

अजीब बात है -मुझे आश्चर्य हुआ .अरे मेन्स ने उनका क्या बिगाड़ा है जो एंट्री फीस वसूल रहे हैं । दो हजार रुपये तो वहाँ घुसने का देना पड़ेगा ?

नहीं देना होगा माय डियर , क्योंकि जे.के.एस. इज हियर ! – जे.के.एस. ने तरन्नुम में कहा – वहाँ मेरा दोस्त जानी है न । जो हम चारों के लिए फ्री पास मुहैया कराने वाला है समझो करा चुका है । --अपने डी.डी.टी. को सिर्फ ड्रिंक-डिनर का बिल पे करना होगा !

वो भी हजारों में होगा—डी.डी.टी. बुदबुदाया

डिनर के मेनू में कोई खास आयटम भी होगा ?-सी.एम.डी. ने अगला सवाल किया ?

 यह भी कोई पूछने की बात है -जे.के.एस. ने अपना ज्ञान बघारते हुए कहा—न्यू ईयर के स्पेशल मेनू मे बीफ,मटन,पोर्क,फिश,एण्ड चिकेन के डिशेज की स्पेशल वेरायटी शामिल की गई है । मेहमानों के पसंद का डिश तुरंत रेडी करके परोसे जाने का खास इंतजाम है ।

गुड ! गुड !! वेरी गुड !!! सी.एम. डी. की लार टपकने लगी 

 जे.के.एस. बोला – तो रात में सवा ग्यारह बजे ‘’मिड नाईट’’ मे एंट्रेंस के पास इकठ्ठा होंगे । जहाँ जानी हमें पास देगा । ओ के . ?

 सी.एम.डी. ने फौरन तथा डी.डी.टी. ने कुछ झिझकते हुए हामी भर दी । आर.के.एस. यानी मैं खामोश बना रहा ।

जे.के.एस. ने पूछा- अपना आर.के.एस. कुछ बोल नहीं रहा है । हर बार की तरह ऐन वक्त पर खिसक तो नहीं लेगा ?

मैने स्पष्ट शब्दों में कहा –’ तुम लोग जानते ही हो कि मैं न तो कोई नशा करता हूँ और न ही मांस-मछली खाता हूँ ? शुद्ध शाकाहारी जीव का ऐसे रंगीन जगह में क्या काम ? तुम लोगों के ‘रंग में भंग’ पड़ने वाली बात होगी ?

पसंद नहीं है तो ठीक है –सी.एम.डी. बोला—भले ही दाल रोटी खाना और एप्पल का जूस पीना, लेकिन साथ तो देना पड़ेगा !

मैंने कहा – माफ करना यारों ! मुझे ऐसा सेलीब्रेशन शूट नहीं करता । 

तो नये वर्ष का वेलकम नहीं करोगे ? डी.डी.टी. ने प्रश्न किया- या कहीं और खास प्रोग्राम है, जिसे छुपा रहे हो ।

मैने कहा –नहीं यारों ! मेरे पास छुपाने को कुछ भी नहीं है । कल सुबह परिवार सहित ‘’ महामाया मंदिर’’ जाने का कार्यक्रम हैं । नये साल की पहली बधाई माताजी को देनी है । और उनसे आशीर्वाद लेने का कार्यक्रम है ।

मंदिर सुबह जाओगे – जे.के.एस. बोला—न्यू ईयर तो रात बारह बजे होगा ? 

मेरा नववर्ष सूर्योदय से आरंभ होता है भाई वह भी देवी -दर्शन से , अच्छा अब मुझे इजाजत दो– ऐसा कहकर मैं उठ खड़ा हुआ ।

तीनों ने मुझे ओ.के. ! आर. के.एस.!! ‘’ हैप्पी न्यू ईयर इन एडवांस’’ कहा ।

सबको थैंक्स बोल मैं चल पड़ा ।

उस वक्त मुझे एक ही सवाल परेशान कर रहा था कि ‘ जो समय इंसान के लिए हैप्पी होता है ठीक वही समय मूक,निर्बल तथा असहाय प्राणियों के लिए ‘’अनहैप्पी’’ क्यों हो जाता है ?

अफसोस कि मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है !


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