नेकनीयती

नेकनीयती

2 mins
435


कलेक्टर साहेब की गाड़ी कलेक्टोरेट के अंदर प्रवेश कर रही थी तभी उन्होंने बाहर सड़क किनारे एक तेरह वर्षीय लड़के को जूता पॉलिश का सामान लिए बैठे देखा। अपने ड्राइवर से उस लड़के के बारे में पूरी पूछताछ की उन्होनें और अपने ऑफ़िस में जाकर अर्दली से उस लड़के को बुला भेजा।

"चलो अंदर तुम्हें साहेब ने बुलाया है।"

"मुझे पर क्यों , "लड़का डर गया।

"अरे चल तो "

"अच्छा ठीक है "-अपने सामान को एक कपड़े से ढंक वह उसके साथ चल पड़ा।

ऑफ़िस में प्रवेश कर साहेब को नमस्कार किया।

"क्या नाम है तुम्हारा" -साहेब ने कहा।

"जी जी आकाश नाम है सर जी।" 

"कब से कर रहे हो यह काम " 

"जी पिछले साल पिताजी की मौत हो गई तब से साहेब।"

"और पढ़ाई।"

"वो तो छूट गई साहेब।"

"कौन सी क्लास में थे तब"

"सर आठवीं "

"पढ़ोगे आगे।"

"अब कहाँ साहेब, घर मे माँ है, उसे घर -घर चाकरी न करना पड़े, इसीलिए तो ये काम कर रहा हूँ।"

"कितना कमा लेते हो एक दिन में।"

"साहेब रोजाना सौ रुपये कमा लेता हूँ, घर का खर्च चल जाता है।"

"ठीक है कल से ये सब बन्द, कल अच्छे कपड़े पहन कर आना तुम्हारा स्कूल में एडमिशन मैं करवा देता हूँ, पढ़ाई करो तुम्हारी उम्र अभी पढ़ाई की है काम करने की नहीं, मेरे घर के पीछे क्वार्टर है वहाँ तुम लोगों के रहने की व्यवस्था हो जाएगी, अब तुम सारी चिंता छोड़ दो।"

अरे साहेब सच में आप सच कह रहे हैं।

"हाँ पर पढ़ाई मन लगा कर करना।"

"जी जी साहेब मैं अभी जाकर माँ को बताता हूँ सर जी वह भी बहुत खुश होगी।"

"हाँ जाओ।"

खुशी से उछलते आकाश वहां से निकल गया।

कलेक्टर साहेब को याद आया ऐसे ही एक दिन उन्हें भी किसी ने सड़क से उठाकर पढ़ाया-लिखाया था, और आज उस नेक इंसान की वजह से उनकी ज़िंदगी ने एक खूबसूरत करवट ले ली थ ।आज उसी नेकनीयती को आगे बढ़ाने का जिम्मा उन्होंने अपने ऊपर ले लिया, मन को आज बहुत सुकून मिल रहा था उनके चेहरे पर संतोष व खुशी ने अपनी किरणें फैला दी थीं।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational