नए गद्दे
नए गद्दे
उसने हौले से नए गद्दे के ऊपर सलीके से सजी चादर पर हाथ घुमाया। आँखों के कोने से एक आँसू बरबस ही नीचे की ओर ढुलक गया। उसने तेजी से अपनी उंगली के पोरों में उसे सहेजा। कहीं नए गद्दे को नम न कर दे।
बहू निमिशा, आज ही ऑफिस से लौटते समय, नए गद्दे लायी है। कई दिन से लगातार वह कह रही थी। माँ ' आपके गद्दे गॉठ गॉठ हो गए है। आपको सोने में दिक्कत होती होगी। नहीं, अब इस ऊमर ( आयु ) में क्या नए गद्दे ? जाने कब भगवान... उसका वाक्य पूरा होने से पहले बहू ने मुंह पर हाथ रख दिया था और ढेरी बनचुके गद्दे को कमरे के बाहर उठा ले गयी थी।
बेटे रघु की चुप्पी सालती थी। रात में बेटे रघु को सुना था। निमिशा बाद में गद्दा फेंकना पड़ेगा ही। निमिशा ने कहा था जो सेवा हमें करनी है उनके जिन्दा रहते करनी है। बाद के कर्मकाण्ड में कमी चलेगी। अभी कम से कम उनके आराम का ध्यान तो हम रख ही सकते हैं।
वह धीरे से नए गद्दे पर लेटी ओर उस दिन आँखें मूँदते ही उसे नींद आ गयी ' अब उन आँखों में असुरक्षित भविष्य का डर न था।
