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Swapnil Ranjan Vaish

Inspirational

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Swapnil Ranjan Vaish

Inspirational

ना भी कहना सीखना पड़ता है

ना भी कहना सीखना पड़ता है

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"मैंने मना कर दिया ना, तुम कहीं नहीं जाओगे", शालिनी ने अपने 18 साल के बेटे तरंग से कहा

" मैं जाऊंगा रोहित भैया की बैचलर पार्टी में, देखता हूँ कैसे रोकती हैं आप मुझे", और उसने शालिनी को धक्का दे दिया।

" ऐसे बात करते हैं अपनी माँ से इतनी गंदी तरह? "

" पापा भी तो आपसे ऐसे ही बात करते हैं मम्मी, उन्हें तो चुप नहीं करा पातीं आप ", तरंग सारी हदें लांघ गया।

"तुम्हें अपने बाप की तरह बनना है तो ठीक है उनकी तरह बनो, पैसा कमा कर लाओ, और अपने शौक पूरे करो। लेकिन आज तुम बाहर नहीं जाओगे।"

" आपको तो हमेशा पैसे से ही मतलब होता है... ठीक है कुछ बन जाऊंगा तभी आपको पैसे दे दूंगा।"


सारी बात शालिनी के हाथ से निकली जा रही थी, पर तरंग ऐसा बच्चा नहीं है, फिर आज क्या हुआ उसे? शालिनी को बस किसी भी तरह तरंग को घर पर रोकना था... पर कैसे, मुकेश भी शहर में नहीं थे। जब ज़ोर जबरदस्ती नहीं चली तो शालिनी ने प्यार का रास्ता चुना।

" अच्छा मुझे यहाँ बैठ कर बता क्या होता है उस पार्टी में? "

" मुझे कैसे पता होगा, कभी गया थोड़ी हूँ मैं। "

" तेरे चाचा गये थे एक बार, खूब नशा, खूब वो गंदी लड़कियाँ, खूब सिगरेट का धुआँ होता है। किसी ने पुलिस को ख़बर कर दी, सबको पकड़ कर ले गई पुलिस। तेरे चाचा को भी, दादा जी बिचारे किसी तरह छुड़ा कर लाये उन्हें।"


तरंग कुछ घबराया तो शालिनी उसकी घबराहट भाँप गई, क्युंकि तरंग दूसरे लड़कों की तरह नहीं था वो पार्टियों में ज्यादा नहीं जाता था, पर इस पार्टी के लिए दोस्तों से शर्त लगा बैठा।


" मम्मी... क्या सच में ऐसा हुआ था? "

" और क्या मैं तुझसे झूठ बोलूँगी, एक बात बता तू तो पार्टीज़ में जाता नहीं तो इतनी ज़िद्द क्यों बच्चे?"

" सॉरी मम्मी, मेरे दोस्त मेरा मज़ाक बना रहे थे इसलिए उनसे शर्त लगाई कि मैं उस पार्टी में ज़रूर जाऊंगा, पर अब नहीं जाऊँगा ", तरंग ने शालिनी को भरोसा दिलाया।

शालिनी ने भी चैन की साँस ली।


अगले दिन अखबार में एक खबर पढ़ कर तरंग के होश उड़ गए। वो दौड़ कर शालिनी के पास गया और बोला

" मम्मी देखो ये वही पार्टी है, जिसमें आपने मुझे जाने से रोका था, वहाँ पुलिस ने रेड मारा तो ड्रग्स मिले और सबको जेल में डाल दिया गया है... थैंक्स मम्मी आपने मुझे बचा लिया ", तरंग की आँखें नम थीं।

शालिनी ने उसे गले से लगाया और कहा

" बेटा हो सकता है मैं एक पर्फेकट माँ ना हूँ, लेकिन मेरे बच्चे के लिए क्या सही है वो मुझसे बेहतर कोई नहीं जान सकता"

" थैंक्स मम्मी "



साहित्याला गुण द्या
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