**मूंगफली के बहाने **"

**मूंगफली के बहाने **"

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दिसम्बर का महीना था, कड़कती ठंड। ठंड के मौसम में स्वादिष्ट चीचे खाने का अपना अलग ही आनंद है। बहुत दिनों से मेरा मूंगफली खाने का मन हो रहा था

इतनी ठंड में घर से बाहर निकलने के लिए भी पूरी तैयारी करनी पड़ती है, पैरों में मौके जूते, स्वेटर,उस पर कोट, उस पर मफलर अपना -अपना स्टाइल है, फिर घर से बाहर निकलना।

उस पर राह चलते अगर कोई मिल जाए तो, फिर ठंड में हाथ मलते हुए, जैसे कि सारी बर्फ यहीं पड़ रही हो, उस पर यार इस बार ठंड बहुत पड़ रही है।

फिर तो मौसम का पूरा हाल पता चलता है यार इस बार शिमला में बहुत बर्फ पड़ने की उम्मीद है, और कुल्लू मनाली तो मैं दो बार हो आया हूं।

यार इस बार कश्मीर का प्रोग्राम बना, हां यार मन तो मेरा भी है पर वहां के हालत देखकर डर लगता है।

पर बनाते हैं इस बार कश्मीर ही चलेंगे, अब हालात पहले से बहुत अच्छे हैं, अभी कुछ दिन पहले अपने मिश्रा जी कश्मीर होकर आए हैं, कह रहे थे वहां सब कुछ नॉर्मल हैं।

बातें करते हुए एक घंटा हो गया था, अरे यार मैं जा रहा हूं मूंगफली लेनी है वरना मूंगफली वाला चला जाएगा।

अरे भैय्या मूंगफली देना अच्छी गरम देना भूनकर

तभी किनारे पर बैठे ठंड से कांपते व्यक्ति पर नजर पड़ी, पूछा यहां क्यो बैठे हो इतनी ठंड में घर जाओ, वो व्यक्ति बोला घर किसके घर मेरा घर नहीं है यहीं बैठ जाता हूं बाबा जब मूणंगफली भूनता है तो उसकी हल्की हल्की गर्माहट मुझे मिलजाती है दो चार मूंगफली खाने को मिल जाती है बस और क्या कर सकता हूं, मेरे बच्चों ने मुझे घर से निकाल दिया था क्योंकि मैं कमाता तो हूं नहीं और खाता ज्यादा हूं।

अब इस उम्र में मुझे कौन काम देगा बेटा मुझे बाबा पर तरस आ गया मैंने अपना कोट मफलर स्वेटर उतार कर बाबा को पहना दिया और बाबा को अपने घर का पता बताते हुए, कल आकर मुझसे मिलना कहकर घर वापिस आ गया।

घर पहुंचते ही मैंने चार छींके मारी, इतने में मेरी बहन बोली भाई आपको छींक कैसे लग गई आप तो हमेशा अपने को कवर रखते हो, अरे आज आप बिना कोट, बिना स्वेटर के बाहर कैसे चले गए आज क्या हुआ था आपको।

मैंने अपनी बहन को सब कुछ बताया वो स्वेटर और कोट किसको दे दिया।

बहन बोली भैया आप भी ना दानवीर कर्ण से कम नहीं हो। मेरे दयावान भैय्या चलो बैठकर मूंगफली खाते हैं।


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