Ritu asooja

Inspirational

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आत्मनिर्भरता

आत्मनिर्भरता

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आत्मनिर्भरता यानि किसी भी कार्य को करने के लिए किसी की निर्भरता के बिना अपने कार्य को स्वयं अपनी बुद्धिमत्ता एवम् कार्यकुशलता से पूर्ण करना।

आत्मनिर्भरता यानि स्वयं का स्वयं में विश्वास ......

एक आत्मनिर्भर व्यक्ति जहां अपने कार्य स्वतंत्र रूप से सही समय पर सही ढंग से कर लेता है, वहीं वह अपने समाज एवम् देश, के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है।

एक आत्मनिर्भर व्यक्ति को किसी भी कार्य के लिए किसी का मूंह नहीं देखना पड़ता, वह स्वयं अपना भाग्य निर्माता होता है।

 आत्मनिर्भरता एक महानतम गुण है, जब यह आत्मनिर्भरता एक व्यापक रूप लेती है, तब एक प्रगतिशील समाज, काल, और देश का भी निर्माण करती है।

कभी भी किसी भ कार्य को स्वयं के लाभ से उपर ऊठकर समाज के लाभ के लिए भी करिए .... आप देखेंगे यह गुण आपका और आपके समाज एवम् देश के उत्थान में बहुत सहयोगी होगा।

आत्मनिर्भरता एक ऐसी कूंजी है जो स्वयं से लेकर एक प्रगतिशील समाज के उत्थान में सहयोगी होती है।

किसी भी मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी निधि है

 उसमे निहित स्वयं की *आमतशक्ति है। ए मानव,तुम्हारे जीवन में कई अच्छी कई बुरी और बुरी से बुरी परिस्थितियां आएंगी, तुम इन विषम परिस्थितियों से घबराना नहीं हारना नहीं।

 ए मनुष्य तुम अपने पास *आत्मनिर्भरता का धन* अवश्य रखना। तुम अपने आत्मबल रूपी निधि का साथ कभी नहीं छोड़ना, जिस दिन तुम्हारा विश्वास इस निधि से उठ जायेगा उस दिन से तुम कमजोर पड़ने लगोगे।

और कई नकारात्मक शक्तियां तुम्हारे ऊपर राज करने लगेंगी, और तुम्हें कमजोर करके तोड़ देंगी और तुमसे अपना स्वार्थ सिद्ध कराने लग जाएंगी ।

 मैंने जीवन को जितना समझा है, मनुष्य जीवन विचारों और भावनाओं का खेल है सारा।

सुख दुःख हार जीत आशा -निराशा यह सब मनुष्य जीवन के हिस्से है। या यूं कहिए जीवन के ऐसे पड़ाव जो मनुष्य के आत्मबल की परीक्षा लेते हैं।

सत्य भी है, संसार में जितने प्रकार के जीव हैं जिनमें मानव सर्वश्रेष्ठ सर्वोत्तम है।

मनुष्य जीवन सर्वश्रेष्ठ है, मनुष्य जीवन में आकर मनुष्य जो कर सकता है वह किसी और जीव को प्राप्त नहीं, मनुष्य अपनी इच्छा से चाहे तो असम्भव को संभव कर सकता है।

मनुष्य जीवन को प्राप्त है असीम सुख -सुविधाओं से समृद्ध प्रकृति, उसके कर्म करने की शक्ति .....

उससे भी अधिक उसके सोचने समझने की शक्ति उसके स्वयं के विचार जो इसके भाग्य निर्माता होते हैं।विचारों का खेल है सारा, विचार ही हमें राजा भी बनाते है और विचार ही हमें भिखारी भी .....

जहां तक धन दौलत की बात है, हां धन दौलत से सुख-सुविधाएं जरूर बड़ाई जा सकती है,लेकिन जैसे ही इनमें कमी आने लगती है हम दुखी होने लगते हैं।

हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री भी आजकल अपने देशवासियों को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, और इसके लिए कई प्रकार की नयी योजनाएं,नए नियम भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा किए जा रहे हैं।

वास्तव में मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा धन आत्मनिर्भरता यानि उसका आत्मबल है। आत्मनिर्भरता का धन जो प्रत्येक मनुष्य के लिए उसकी सबसे बड़ी पूंजी है इसे प्रत्येक मनुष्य कोअपने संग रखना चाहिए।

अगर आपका धन गया तो कुछ नहीं गया

लेकिन अगर आपका आत्मबल यानि आपकी आत्मनिर्भरता यानि आपका स्वयं पर से विश्वास उठ गया तो मानो सब चला गया।

आपके पास कुछ नहीं आप कंगाल हो जाएंगे 

आत्मबल यानि आत्मनिर्भरता स्वयं पर विश्वास सकारात्मक सोच इसका कभी संग नहीं छोड़ो,आत्मनिर्भरता आपकी जीवन कि डूबती नैय्या की पतवार है जो आपकी नैय्या को कभी डूबने नहीं देगा। किसी भी विषम परिस्थिति में आपकी आत्मनिर्भरता आपको कमजोर नहीं पड़ने देगी, आप आत्मनिर्भर हैं तो आप अनेकों बार गिर के भी उठ सकते हैं।

अतः आत्मनिर्भरता की पूंजी को जीवन का गहना बनाइए, स्वयं का स्वयं पर विश्वास आवयश्क है।

एक आत्मनिर्भर व्यक्ति जहां स्वयं का विकास करता है, वहीं दूसरी ओर आत्मनिर्भरता देश, समाज और विश्व के लिए एक मिसाल कायम करने में सक्षम होती है।


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