Ritu asooja

Inspirational

1.1  

Ritu asooja

Inspirational

विविधता में एकता

विविधता में एकता

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मैं एक पंजाबी परिवार से हूं। हम पंजाबी लोग बहुत ही दिलदार होते हैं। बड़ी -बड़ी बातें करना बड़े-बड़े शौक रखना हमारी फितरत होती। हमारे हौसलें आसमान की ऊंचाइयों को छूने के सामान बड़े होते हैं। हम कहने से ज्यादा करने में यकीन रखते हैं, हम सबसे प्यार से मिलते हैं, और अपनी इसी अदा से हम अपने मित्र भी जल्दी ही बना लेते हैं।

गर्मियों की छुट्टियां थीं हमारा परिवार एक साथ चार दिन के टूर के लिए घर से निकला, जरूरत का सारा सामान, खाने की चीजें, दवाइयाँ और भी बहुत कुछ हम लोगों ने अपने संग ले लिया था। सभी बस में बैठ गए थे, एक -एक करके हमने गिनती की पूरे बीस लोग थे, जिसमें बच्चे बूढ़े, जवान सभी थे यह सब लोग अपने परिवार वाले मामा, ताया, चाचा, बुआ और एक दो पड़ोसी मित्र भी थे जो हमारे अपने घर वालों से भी ज्यादा प्रिय थे ।

तभी बस के गेट पर कोई खड़ा हुआ, वह बोला मेरे बिना तुम पिकनिक नहीं जा सकते ... हम सब उसे देखने लगे तभी एक बोला अरे गाड़ी में कोई भी सीट खाली नहीं है तुम कहां बैठोगे ... वो नाराज़ होकर जाने लगा तभी मैंने लपक कर उसे गोद में उठा लिया ये मेरी गोद में बैठेगा इस पांच साल के बच्चे को कितनी जगह चाहिए कहीं भी बैठ जायेगा अब बच्चा खुश था, तभी पीछे से उस बच्चे के मम्मी पापा आ गए और बच्चे को उठाकर घर ले जाने लगे, सभी ने कहा बच्चे को हम सम्भल लेंगे आप चिंता मत कीजिए और वह हमारे पड़ोसियों का बच्चा भी खुशी - खुशी हमारे साथ चल दिया।

चार घंटे लगातार बस चलने के बाद सभी लोगों को भूख लग गई थी, अब कोई अच्छी जगह देखकर हम लोग रुककर नाश्ता करने की सोचने लगे।

एक अच्छी जगह बस रुकी वहां बस से उतरकर सब वहां के नज़ारे देखने लगे। आगे अभी बहुत दूर जाना था, किसी ने चाय मंगाई किसी ने ठंडा आदि-आदि। अब लगभग शाम के सात बज गए थे हमारी बस वहां पहुंची जहां हमें रुकना था, सभी लोगों ने चैन की सांस ली, सुबह से बस में बैठे बैठे सब थक भी गए थे ।

जिस जगह हमें रुकना था वहां बहुत से कॉटेज थे सभी लोगों के यथायोग्य व्यवस्था की जा रही थी। तभी वहां का एक कर्मचारी बोला आप लोग हिन्दू तो नहीं है आप लोग पंजाबी हैं। ना जाने क्यों मुझे बुरा लगा मैं बोला हां हम पंजाब के रहने वाले पंजाबी हमारी क्षेत्र बोली है।

परंतु तुम जानते हो सबसे पहले, हम कौन हैं, हम हिन्दुस्तानी हैं हिन्दी हमारी मातृभाषा है, पहले हम हिन्दुस्तानी हैं फिर पंजाबी, मराठी, गुजराती, आदि हैं।

यही हमारे भारत की शान हैं विविधता में एकता।



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