Ritu asooja

Abstract

5.0  

Ritu asooja

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नया अध्याय

नया अध्याय

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तुम कब तक यूँ अकेली रहोगी?", लोग उससे जब तब यह सवाल कर लेते हैं और वह मुस्कुरा कर कह देती है," आप सबके साथ मैं अकेली कैसे हो सकती हूं।

(उसकी शांत आंखों के पीछे हलचल होनी बन्द हो चुकी है)

" अरे वाह! क्या सीख रही है इन दिनों?", संदली ने कृत्रिम उत्साह दिखाते हुए कहा जिसे जानकी समझ कर भी अनदेखा कर गई"।

आखिर संदली ने जीवन के इतने उतार-चढाव देखे थे , कुछ ना कह कर भी संदली ने जानकी को बहुत कुछ कह दिया था जो वह नहीं कह पा रही थी 

जानकी जीवन में बस आगे और आगे बड़े कभी पीछे मुड़कर ना देखे ,पीछे मुड़कर देखना भी पड़े तो ,बीते हुए पलों से सबक लेकर बेहतर से बेहतर करे ,क्योंकि कोई भी इंसान ठोकरें खाकर मजबूत और मजबूत ही होता है ,मानसिक रूप से तो अवश्य ,सम्भल कर चलना सीख ही जाता है।

और अपने अनुभवों से दूसरों को ठोकरें खाने से बचने के लिए प्रेरणा देता है।

 संदली जानती थी की जानकी टूटी है , पर बिखरी नहीं जानकी एक समझदार लड़की है ,वह अपने को बिखरने से बचा लेगी और अपना तमाशा नहीं बनने देगी।

 जानकी अपने से ज्यादा अपनों के बारे में सोचती थी ,वह चाहे लाख टूटी हो,परंतु अपने दर्द का एहसास किसी और को नहीं होने देती थी।

 संदली कई दिनों से जनकी को देख रही थी रोज सवेरे ठीक आठ बजे अच्छे से तैयार होकर कांधे पर अपना बैग टांग कर निकल जाती है।

 लेकिन संदली ने जानकी को टोकना ठक नहीं समझा

जानकी शाम को चार बजे घर पहुंचते ही ,संदली ठंडा पानी पिलाओ आज गर्मी बहुत है,और सुनो आज चाय की जगह ,कोल्ड काफी बनना और वेज सैंडविच भूख भी लगी है बहुत

 संदली खुशी -खुशी किचन में गई और जानकी के लिए 🥭 मेंगो शेक और वेजीटेबल सैंडविच बनाने लगी।

कुछ ही देर में संदली मेंगो शेक और सैंडविच बनाकर ले अाई टेबल पर रखते हुए ,लो जानकी भूख लगी होगी जल्दी से खा लो

 जानकी अपना नाश्ता ख़तम करते हुए संदली मुझे जितनी भूख थी मैंने कहा लिया ,बाकी तुम खा लो,

जानकी संदली को कहते हुए आजकल तुम भी कुछ पतली लग रही हो, दिव्या चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट लिए हुए

 संदली मन ही मन सोचते हुए क्या बात है आज तो जानकी के चेहरे का रंग बदला नजर आ रहा है ,चेहरे पर खुशी की लहरें दौड़ रही हैं , चलो जो भी है अच्छा ही है।

 संदली थोड़े से नखरे वाले अंदाज में क्या जानकी मैं तुम्हारी मां जैसी हूं और तुम मुझे मोटा कह रही हो ,

जानकी बोली अरे संदली मैंने तुम्हें मोटा कब बोला मैंने बोला तुम पतली लग रही हो ,हुई ना ये तो खुशी की बात , संदली खुश थी जानकी ने अपने जीवन के पन्ने को पलटा था शायद

 नये पेज से नए अध्याय की शुरुआत नज़र आ रही थी संदली को

 जानकी को हंसता देख संदली भी गुनगुना रही थी।

तभी जानकी संदली से तुम्हें कितनी बार कहा है ये बेसुरी आवाज में मत गुनगुनाया करो , आ जाना शाम को छह बजे से संगीत क्लास लगेगी आज से

 संदली क्या जानकी बहुत अच्छा मैं अपना तानपुरा भी ले आऊंगी और अच्छे से तैयार होकर आऊंगी

 संगीत की क्लास लगी थी ,जानकी ने सभी संगीत सीखने आए लोगों से उनका परिचय एवं नाम पूछकर रजिस्टर में लिखा लिया था।

 लगभग एक घंटा संगीत की क्लास चली सब मस्त थे व्यस्त थे गुनगुनाने में

 तभी जानकी के फोन में एक मैसेज आया ,जानकी उसे पड़कर बोली संदली कल शाम साथ को मेरे साथ चलोगी।

संदली क्यों नहीं जानकी तुम जहां कहो वहीं चलेगी तुम्हारी आज्ञा चाहिए बस

 अगले दिन शाम के सात बजे संदली और जानकी टाउन हाल पहुंचे बहुत भीड़ थी वहां पर

परंतु संदली ने अपनी और जानकी की सीट पहले ही बुक करा ली थी।

कोई बड़ा मोटिवेशनल स्पीकर आने वाला था वहां पर परंतु ना जाने क्यों देर हो गई थी आधा घंटा ऊपर हो गया था और वो स्पीकर अभी हाल नहीं पहुंच पाया था। सारे हाल में शोर का माहौल था सब अपनी -अपनी बातों में लगे हुए थे।

 क्योंकि जानकी कभी स्कूल में एक अध्यापिका थी उससे यह शोर शा नहीं जा रहा था ,जानकी अचानक से उठ खड़ी हुई,और स्टेज पर जाकर माइक हाथ से पकड़ बोलने लगी ,सब जानकी की आवाज सुनकर शांत हो गए  तभी जानकी बोली अच्छा तो आज स्पीकर साहब किस विषय में बात करने वाले थे

तभी एक बोला अकेलापन इस विषय पर कुछ बताइए अकेलापन कैसे दूर किया जा सकता है।

 जानकी अकेलापन जो स्वयं अकेलेपन से जूझ रही थी क्या बोलती ,लेकिन स्वयं को संभालते हुए जानकी ने बोलना शुरू किया अकेलापन क्या है आप कहते हैं आप अकेले हैं आपका जीवन साथी आपको छोड़ कर चला गया ,और आप इस दुनियां में अब अकेले हैं, सुनिए भाईसाहब और सब भी जो अपने को अकेला समझते हैं ,दुनियां में बहुत से ऐसे लोग हैं जो अकेले हैं आप उनके पास जाइए उनसे मिलिए उनके सुख -दुःख बांटिए फिर ना वो अकेले होंगें ना आप

और जीवन का एक अध्याय अगर ख़तम हो गया है तो पूरी की पूरी जिंदगी थोड़ी ख़तम हो गई है।

पन्ना पलटिए नए अध्याय की शुरुआत कीजिए जीवन में नए रंग भरिए एक नए सिरे से शुआत कीजिए दूसरों के काम में मदद कीजिए समाज सेवा करिए फिर देखिए सारा समाज आपके साथ होगा।

एक अध्याय ख़तम होने से जिन्दगी ख़तम नहीं होती माना कि पुराने का लगाव गहरा होता है ,परंतु उस लगाव को अपनी कमजोरी नहीं अपनी ताकत बनाइए।

तभी मंच पर स्पीकर महोदय उपस्थित हो गए उन्होंने वाह करते हुए जानकी के लिए तालियां बजानी शुरू कर दी तभी सारा माहौल तालिया के शोर से गूंज उठा।

 जानकी की आंखो से अश्रु धारा बह रही थी संदली ने जानकी को गले लगाते हुए मैं जानती थी संदली  तुम साधारण नहीं महान हो  

 और फिर यहीं से शुरू हुआ जानकी के जीवन का नया सफ़र मोटिवेशनल स्पीकर का आज संदली जानकी को लेकर बहुत खुश थी।


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