ज्ञान की पराकाष्ठा

ज्ञान की पराकाष्ठा

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पार्क में सब बच्चे पहुंच गए थे। रीता - बोली आज दीदी नहीं आई,वो तो हम सब बच्चों से पहले ही आ जाती है,आज क्या हुआ होगा रेनू ?

रेनू :- तू बिना बात चिंता कर रही है रीता आ जाएगी दीदी होगा कोई जरूरी काम देर हो गई होगी।

रीता:- हां रेनू तुम शायद सही कह रही है,चल सब बच्चों को एक जगह बैठ जाने को कह देख कोई कहीं खेल रहा है कोई कहीं कितना शोर मचा रहे हैं बच्चे, हे भगवान जब दीदी आयेंगी तो देखना सब भीगी बिल्ली बनकर बैठ जाएंगे जैसे इनसे शांत कोई हो ही ना।रेनू:- दीदी कहती है अगर कभी मुझे किसी काम से देर हो जाए या मैं नहीं आ पाऊं तो तुम पीछे का पड़ा हुआ दोहरा लिया करो चल रीता सब बच्चों की कापियां चेक करते हैं।रीता:- हां चलो सब बच्चों अपना -अपना काम दिखाओ,कल घर जाकर क्या पड़ा तुम सब ने सब बच्चे अपनी -अपनी कापियां निकलते हुए,और दिखाते हुए। दीदी देखो कल हमने यह पड़ा यह पड़ा आदि -आदि...में सब बच्चे पहुंच गए थे।रीता:- बोली आज दीदी नहीं आई,वो तो हम सब बच्चों से पहले ही आ जाती है,आज क्या हुआ होगा रेनू?रेनू :- तू बिना बात चिंता जर रही है आ जाएगी दीदी होगा कोई जरूरी काम देर हो गई होगी।रीता:- हां रेनू तुम शायद सही कह रही है,चल सब बच्चों को एक जगह बैठ जाने को कह देख कोई कहीं खेल रहा है कोई कहीं कितना शोर मचा रहे हैं बच्चे, हे भगवान जब दीदी आयेंगी तो देखना सब भीगी बिल्ली बनकर बैठ जाएंगे जैसे इनसे शांत कोई हो ही ना।

रेनू:- दीदी कहती है अगर कभी मुझे किसी काम से देर हो जाए या मैं नहीं आ पाऊं तो तुम पीछे का पड़ा हुआ दोहरा लिया करो चल रीता सब बच्चों की कापियां चेक करते हैं।रीता:- हां चलो सब बच्चों अपना -अपना काम दिखाओ,कल घर जाकर क्या पड़ा तुम सब ने सब बच्चे अपनी -अपनी कापियां निकाल कर दिखाते हुए।

दीदी देखो कल हमने यह पड़ा यह पड़ा आदि -आदि...पब्लिक पार्क था वहां बहुत लोग घूमने आते थे।एक बड़े स्कूल की अध्यापिका जो लगभग हर रोज उस पार्क में आती थी और इन बच्चों को पड़ते देख कुछ ना कुछ ऐसा कह देती थी जो दिल पर गहरी चोट कर जाता।अध्यापिका :- आज कहां गई तुम्हारी दीदी अाई नहीं तुम्हे पड़ाने हाहा हास्य मुद्रा में। . अरे वो तुम्हें क्या पड़ाएगी,वो तो खुद अनपड़ है,दसवीं पास वो भी चालीस प्रतिशत में उसे कुछ नहीं आता वो तुम्हें पड़ाने का ढोंग कर रही है। कल से मेरे घर आ जाना मैं पडाऊंगी तुम्हें, जानते हो मेरे पास कितनी डिग्रियां हैं कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई की है मैंने.....रीता:- नमस्ते अध्यापिका जी हम आपका आदर करते हैं आप हमसे बड़े हो और वैसे भी हम किसी का भी अनादर नहीं करते।

और हमारी दीदी को कुछ मत कहिए वो बहुत समझदार हैं हमें कोई फ़र्क नहीं पड़ता वो कितना पड़ी हुई हैं उनका ज्ञान बहुत बड़ा है आज तक उन्होंने कभी हमें किसी की बुराई करना नहीं सिखाया,और आप हमारी दीदी के लिए ऐसा कह सकती होवो हमें ज्ञान दे रही हैं हमारा मार्गदर्शन कर रही हैं।दीदी ने हमें नैतिक शिक्षा का भरपूर ज्ञान दिया है हमारी दीदी के पास चाहे डिग्रियां कम हो पर विचारों में सबसे धनी हैं।(ज्ञान सिर्फ डिग्रियों का मोहताज नहीं होता, सच्चा ज्ञान मनुष्य के श्रेष्ठ विचारों ओर आचरण की सभ्यता से प्रकट हो जाता है।


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