मुश्किल समय में बच्चों में जिम्मेदारी का एहसास
मुश्किल समय में बच्चों में जिम्मेदारी का एहसास
यह कहानी छोटे-छोटे बच्चों के जिम्मेदारी और प्यार से भरे बड़े दिल की है। गुड्डू (5 साल), रीमा (7 साल), और नीमा (9 साल) ने अब तक केवल खेलना, मस्ती करना और कभी-कभी छोटे-छोटे झगड़े करना ही सीखा था। लेकिन एक दिन, दिवाली से चार-पाँच दिन पहले, जब वे अपने माता-पिता के साथ त्योहार की खरीदारी करके घर लौट रहे थे, अचानक उनका एक्सीडेंट हो गया। स्कूटर स्लिप हो जाने से उनके माता-पिता को गंभीर चोटें आईं और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
इस हादसे ने बच्चों की दुनिया बदल दी। जो बच्चे हर समय आपस में हँसी-मजाक और छोटी-मोटी लड़ाई करते रहते थे, वे अब एकजुट होकर अपने माता-पिता की गैरमौजूदगी में घर को संभालने का प्रयास करने लगे। बड़ी बेटी नीमा ने सबसे आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठाई, और रीमा और गुड्डू ने उसकी बात मानते हुए हर संभव तरीके से उसकी मदद की। तीनों ने मिलकर जैसे-तैसे चार-पाँच दिन काटे। नन्हें-नन्हें हाथों से खाना बनाया, घर साफ किया, और जो भी आवश्यक काम थे, उन्हें पूरा किया।
दिवाली से एक दिन पहले, नीमा ने रीमा और गुड्डू से कहा, "मम्मी-पापा हमेशा हमारी दिवाली को खास बनाते हैं, क्यों न इस बार हम उनके लिए कुछ खास करें ताकि उन्हें अच्छा लगे?"
उनके पास घर खर्च के लिए रखे हुए पाँच हजार रुपये थे, जिसमें से कुछ बच गए थे। नीमा ने अपनी समझदारी से थोड़े-से पैसों में दिवाली के लिए जरूरी सामान खरीदा। तीनों बच्चों ने मिलकर घर को बहुत सुंदर सजाया। उन्होंने खीर बनाई, जैसे माँ बनाया करती थीं, और जितना हो सका, अच्छे-अच्छे पकवान बनाए।
जब माँ-पापा को अस्पताल से छुट्टी मिली और वे घर लौटे, तो उन्होंने घर की सजावट और बच्चों का प्यार देखकर भाव-विभोर हो गए। बच्चों ने अपने माता-पिता को दिवाली की शुभकामनाएँ दीं और उनके जल्द ठीक होने की कामना की। माँ-बाप का दिल गर्व से भर गया; जिन बच्चों की उन्हें हमेशा चिंता रहती थी, वे आज अचानक बड़े और जिम्मेदार हो गए थे। परिवार ने मिलकर उस दिवाली को विशेष रूप से खुशियों के साथ मनाया। माँ-बाप ने कहा, "इतनी अच्छी दिवाली हमने अपनी ज़िन्दगी में कभी नहीं मनाई। इस बार तुम तीनों ने हमारी दिवाली को वाकई खास बना दिया।"
यह कहानी सच में दिखाती है कि जिम्मेदारी आने पर बच्चे कैसे समझदारी से काम करने लगते हैं और अपने परिवार के प्रति अपने प्यार और सहयोग का परिचय देते हैं। ये नन्हे फूल ही माँ-बाप की आँखों के तारे होते हैं, जो हर किसी को प्यारे लगते हैं।