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Er Rashid Husain

Abstract

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Er Rashid Husain

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मुरझा गया कमल

मुरझा गया कमल

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मैं नैनीताल हूं मेरी भुजाएं हरे भरे वृक्षों लदे पहाड हैं। मेरे सीने पर एक बड़ी सुंदर झील है मेरे मौसम की खुशगवारी पूरी दुनिया में मशहूर है। उत्तराखंड के पहाड़ों पर बसा हूं में मेरा हुस्न देखने हर साल लाखों सेलानी आते हैं झील में तैरती बत्तखें की काफ काफ करती आवाज़ और पानी पर तैरती छोटी छोटी किस्तियाँ मेरी ख़ूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं। जो भी सेलानी मुझे देखने आता है वह आनंदित होकर मेरी तारीफ करके चला जाता है पर आज तक मेरे दर्द को कोई भी नहीं जान पाया क्योंकि हर इंसान उसे देख कर भी अनदेखा कर देता है।

जाड़ा लग कर चढ़ रहे तेज़ बुखार से कपकपाते कमल को उसकी माँ राजवती फटे कम्बल से ढके उसके सर को अपनी गोद मे रख कर दबा रही थी पर कमल की करराहट लगातार बढ़ती जा रही थी एक तो तेज़ बुखार ऊपर से पेट में भूख की आग मैं कमल की तड़प और बढ़ा दी थी।राजवती के पेट मे भी पिछले दो दिनों से अन्न का दाना नही गया था। लेकिन कमल की तकलीफ ने राजवती की भूख की शिद्दत को कम कर दिया था उसके आंसू बेटे के दर्द और कर्रआहट को बर्दाश्त नही कर पा रहे थे।मजबूर राजो अपनी झोपड़ी से बाहर निकलने को सरकारी हुक्म का इंतज़ार कर रही थी। एक- एक पल राजो को महीनों से लग रहा था। काफी देर के बाद कमल को अब हल्की बेहोशी छाने लगी थी पर राजवती की बेचैनी और बढ़ रही थी। वह सोच रही थी कि पति की मौत के बाद कमल ही एकमात्र उस का सहारा है अगर उसे कुछ हो गया तो क्या होगा ? कैसे कटेगी जिंदगी मुझे तो कई -कई दिन गुजर जाते हैं मजदूरी नहीं मिलती किसी दिन मजदूरी मिल जाए तो दो-तीन दिन की रोटी का इंतजाम हो जाता है । मेरा कमल तो रोज ही झील किनारे गांव के कई और बच्चों की तरह चाय के ठेले पर काम करके और दूर दराज से नैनीताल घूमने आए लोगों के इर्द- गिर्द घूमकर अपने और मेरे खाने, कपड़े का इंतजाम कर लेता है । फिर सोचने लगी अगर वह असमय काल के गाल मैं न समाते हम दोनों अपने कमल को खूब पढ़ाते और फ़ौज मैं भेजते मगर नियति को यही मंज़ूर था।एक दिन पहाड़ की कटाई का काम करते हुए उनके ऊपर एक बड़ा पत्थर आ गिरा और वो हमेशा के लिए----- हड़बड़ा उठी राजो उसने फिर कमल को देखा जो अभी भी तेज बुखार मैं तप रहा था। राजो फिर भगवान से प्रार्थना करने लगी हे भगवान अगर मेरे कमल को कुछ हो गया तो मै ये ग़म बर्दाश्त नही कर पाउंगी तू मुझे भी उठा लेना।

दिन ढल चुका था रात गहराने लगी थी राजो फिर सोचने लगी कल भी हमे अपने घरों मैं ही कैद रहना होगा क्योंकि कल ही तो आ रहे हैं राजा जी अब मै क्या करूँ? मेरा कमल यही सोचते हुए झटके से उठ खड़ी हुई राजो और पड़ोस की झोपड़ी में इस इरादे से गई शायद वँहा कुछ खाने को मिल जाये लेकिन वँहा भी कुछ नही मिला।वापस आकर फिर कमल को गोर से देखने लगी उसके चेहरे पर अब सख्त भाव उभरने लगे थे। राजो ने निष्चय किया सुबह होते ही वह कमल को सरकारी अस्पताल ज़रूर ले जायगी चाहे पुलिस पकड़ कर उसे जेल मे ही क्यों न डाल दे।

राजो ओ राजो ले एक भुट्टा बोरी मैं पड़ा मिल गया परसो बिकने से रह गया था अपने कमल को खिला दे पेट मे कुछ जाएगा तो अच्छा रहेगा राजो के पास आते हुए पड़ोसी विमला ने कहा फिर दोनों आपस मे बातें करने लगी तुझे पता है राजो पूरी झील की सफाई हुई है राजो ने विमला की तरफ देखा और चुप रही विमला फिर बोलने लगी पूरे पन्द्रह दिन हो गए हैं तैयारियां चलते हुए बड़े बड़े अफसर यंहा डेरा डाले है। एक एक होटल की चेकिंग की जा रही है घर- घर जाकर रिस्तेदारी में आये मेहमानों को भी चेक किया जा रहा है उनकी पूरी जांच पड़ताल हो रही है। किस्तियाँ चलाने वाले निजी आदमियों को हटा दिया गया है सब पर सरकारी मुलाज़िम बैठेंगे पूरे नैनीताल का ट्रैफिक बंद रहेगा शहर को आने जाने वाले सारे रास्तों पर पुलिस रहेगी आज से परसों तक के लिए कोई भी सेलानी नैनीताल में प्रवेश नहीं करेगा और सुना है पेड़ों पर खुफ़िया कैमरे भी लगे हैं सादी वर्दी मैं पुलिस वाले पूरे शहर मे घूम रहे हैं। हर दुकान और स्टाल पर सादी वर्दी मैं पुलिस लगी है हम तो गरीब मजदूर है हमें तीन दिन पहले ही घरों में कैद कर दिया बताओ हम भला क्या किसी को मारेंगे? हम क्या किसी को नुकसान पहुंचाएंगे ? विमला ने एक लंबी सांस ली और फिर बोलने लगी जैसा सरकार का हुकुम अरे राजो मैं बोले जा रही हूं तुझे बोलने का मौका ही नहीं दिया तू सुबह को कमल को अस्पताल कैसे लेकर जाएगी ?हम यहां ऊपर पहाड़ों के गांव में रहते हैं और अस्पताल तो नीचे शहर के बीच में बना है अपने गांव में तो कोई वैध जी भी नहीं है बहुत देर बाद राजो की चुप्पी टूटी आखिर आ क्यों रहे हैं? ऐसे मेहमान राजा जो हम गरीबो के घर से निकलने पर भी पाबंदी लगा दी गयी है । चाहे कोई किसी हाल में हो विमला जवाब देते हुए बोली तुझे पता है कोन आ रहे हैं? राजो ने प्रश्नचिन्ह नज़रो से विमला की तरफ देखा जो बोले जा रही थी दुनिया की सबसे बड़ी ताकत वाले देश के राजा हैं क्या मतलब? राजो ने कहा हां अमेरिका के राष्ट्रपति है हिन्दुस्तान आये हुए हैं दौरे पर जाने क्या सूझी नैनीताल घूमने का इरादा बना लिया सुना है उन्हें यंहा के मौसम और प्राकृतिक सुंदरता के बारे में यहां के एक आदमी जो अमेरिका में व्हाइट हाउस में नौकरी करते हैं उन्होंने बता रखा है तभी तो उनकी इच्छा यहां आने की हुई है बस दो घंटे रहेंगे नैनीताल फिर चले जायेंगे सिर्फ दो घंटों के लिए इतनी तैयारियां अचंभित होते हुए राजो ने कहा विमला ने उत्तर दिया अरे पगली अमेरिका बहुत पैसे वाला देश है वहां के राष्ट्रपति जी का तो खूब आदर सत्कार करना ही पड़ेगा क्या पता खूश होकर हमारे मुल्क के साथ कोनसा सौदा कर जाएं जो भविष्य मे देश के लिए हितकर हो इस बार राजो गुस्से से तमतमा गई और बोली क्या गरीबी मिट सकती है हमारी ? ये तो भगवान ही जाने विमला ने कहा कुछ देर खामोश रही दोनो फिर चुप्पी तोड़ती हुई विमला बोली अच्छा राजो रात बहुत हो गई है ठंड भी बढ़ने लगी है मैं चलती हूं हां जब कमल की आँख खुले तो ये भुट्टा ज़रूर खिला देना अच्छा रहेगा ये कहते हुए विमला चली गयी।

राजो उठी और कमल के पास जाकर उसे देखा जो अभी भी बेहोशी की हालत मैं था ।राजो ने उसका सर अपनी गोद मे रखा और दीवार से पीठ लगा कर बैठ गयी और सुबह होने का इंतज़ार करने लगी । जैसे जैसे रात गहराती जा रही थी वैसे वैसे उसकी बेचेनी बढ़ रही थी । राजो देर तक इस कशमकश मैं थी कि सुबह होने पर वह कमल को अस्पताल कैसे लेकर जाएगी ? तभी कमल ने कपकपाती आवाज़ से पानी- पानी पुकारा राजो ने पास मैं रखे गिलास को उठाया और गोद मे लेटे कमल पिलाने लगी अब उसने निश्चय कर लिया कि वह सुबह होते ही कमल को अस्पताल लेकर ज़रूर जाएगी ।

काफी रात बीत चुकी थी बैठे बैठे राजो की आँखों में भी हल्की नींद की ख़ुमारी छा गई जो सहर मैं मुर्गे की पहली बान के साथ हठी । राजो ने हड़बड़ा कर इधर उधर देखा फिर अपने कमल को देखने लगी कुछ देर पहले जो शरीर तेज़ बुखार के कारण तप रहा था वह अब ठंडा पड़ा था कमल अब कभी न जागने वाली गहरी नींद सो चुका था राजो ने कई बार अपने जिगर के टुकड़े को पुकारा उठ जा कमल उठ जा कमल लेकिन कमल नही उठा क्योंकि अब वो इस दुनिया में नही था। कल तक खूबसूरत फूल की तरह खिला कमल सूरज की पहली किरण पड़ने से पहले ही मुरझा गया था।


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