मुफ्त की दावत
मुफ्त की दावत
"पतलू जा थोड़ी खिचड़ी बना ला, भूख के मारे हालत खराब है।" घर में घुसते हुए मोटू ने लगभग चिल्लाते हुए कहा।
"खिचड़ी कहाँ से बनाऊँ, चावल के कनस्तर में तो चूहे लोट लगा रहे है......" पतलू ने चारपाई पर लेटे-लेटे हुए ही जवाब दिया।
"अरे भले आदमी खिचड़ी नहीं बन सकती है तो रोटी ही बना ले, सब्जी न हो तो रोटी पर नमक रख कर ही ले आ।" मोटू चारपाई पर बैठता हुआ बोला।
"बेकार की बात न कर जब घर में चावल नहीं है तो आटा कहाँ रखा है घर में? रोटी भी नहीं बनेगी।" पतलू लेटे-लेटे हुए ही बोला।
"शाम हो चुकी है......जा किरोड़ी मल की दुकान से राशन ले आ, कह देना, पुरानी उधारी के साथ ये उधारी भी चुका देंगे।" मोटू भी चारपाई पर लेटते हुए बोला।
"मैं नहीं जाने वाला न किरोड़ी मल की दुकान पर और न किसी और की दुकान पर, सब एक ही बात कहते है पुराना हिसाब क्लियर करो, नया राशन नकद लो........ बुरा हाल है सबका, दुकान तरफ आते देख सब खाने को दौड़ते है। आज तो तू रानी साहिबा से दस हजार रूपये लाने वाला था, उनका क्या हुआ?" पतलू पेट पर हाथ फिराते हुए बोला।
"अबे मुकर गई रानी साहिबा, वो भूल चुकी है कि डाकू चिड़ी मार सिंह से हमने उसकी जान बचाई थी, उलटे आज फिर हीरा मुझे देने की कोशिश की।" मोटू करवट बदलते हुए बोला।
"हीरा?" पतलू ने आश्चर्य से पूछा।
"अबे उनका हीरा नाम का फटीचर नौकर, जो इंसान कम धरती का बोझ ज्यादा है।" मोटू थोड़ा गुस्से के साथ बोला।
तभी किसी ने दरवाजा जोर से खटखटाया। पतलू ने मन ही मन आने वाले को कोसा और दरवाजा खोला। दरवाजे पर घसीटा राम खड़ा था जो पतलू को धक्का देते हुए घर में घुस गया और बोला, "अबे मूर्खो डॉक्टर झटका पूरे शहर के जानवरों को मुफ्त में खिला रहा है, तुम भी चले जाओ, वहाँ तुम जैसे जानवरों को भी चारा-दाना मिल ही जाएगा।"
घसीटा राम एक मक्कार इंसान था इसलिए उसकी इस बात पर आसानी से यकीन करना मुश्किल था कि डॉक्टर झटका जैसा अक्ल का अंधा इंसान किसी भी जानवर या इंसान को मुफ्त में कुछ दे सकता था। इसलिए मोटू ने उठकर घसीटा राम को जबरदस्ती घर से बाहर निकला और मोबाइल पर चेला राम का फोन लगाकर डॉक्टर झटका वाली बात की सच्चाई पूछी। चेला राम ज्यादा कुछ न बता सका उसने बस इतना बताया की डॉक्टर झटका के अस्पताल के सामने एक बड़ा सा शामियाना तो लगा हुआ है।
"डॉक्टर झटका के अस्पताल के सामने शामियाने का मतलब है कुछ तो माल-पानी है वहाँ........चल पतलू लगता है आज रात के खाने का इंतजाम तो हो गया।" मोटू उत्साह के साथ बोला।
"अबे कहाँ घसीटा राम और चेला राम की बातों में आकर मुसीबत मोल लेने जा रहा है, ऐसा न हो कि लेने के देने पड़ जाए।" पतलू बोला।
"अबे पतीले चल खड़ा हो, खाना या काम और काम का दाम दोनों में से एक चीज तो जरूर मिलेगी वहाँ, आ चलते है।" कहकर मोटू तेजी से डॉक्टर झटका के अस्पताल की तरफ चल पड़ा, पतलू में बड़बड़ाता हुआ उसके पीछे आ रहा था।
अस्पताल तक जाते-जाते शाम के बाद का हल्का सा अँधेरा छा चुका था, अस्पताल के सामने एक बड़ा सा बोर्ड लगा था जिसपर लिखा मुफ्त शब्द नजर आ रहा था। अस्पताल के अंदर बड़ा सा शामियाना लगा हुआ था।
"देख तो पतलू क्या लिखा है इस बोर्ड पर........."
अभी मोटू अपनी बात पूरी भी न कर सका था कि चार कद्दावर लोगों ने उन दोनों को दबोच लिया। पहले उन्होंने उन दोनों के हाथ-पैर रस्सियों से बांधे और फिर मजबूत डंडो पर टांग कर उन्हें बड़े से शामियाने में ले गए। मोटू-पतलू बुरी तरह चिल्ला रहे थे, लेकिन उनकी चीख पुकार का उन जालिमो पर कोई असर नहीं पड़ा।
शामियाने में बड़ी से मेज पड़ी थी जिस पर उनको ले जा कर पटक दिया गया और डॉक्टर झटका ने मोटू की जांच करने शुरू कर दी। पहले उसकी आँखें फाड़ कर देखी गई, फिर उसके मुंह में हाथ डाल कर जाँच की गई।
मोटू दर्द से चिल्ला रहा था कि- "अबे कसाई क्या कर रहा है? छोड़ दे मुझे।"
लेकिन डॉक्टर झटका पर रत्ती भर भी असर न पड़ा, अंत में उसने एक मोटा सा इंजेक्शन मोटू के पिछवाड़े पर लगाया। इंजेक्शन लगते ही मोटू होश खो बैठा। जब उसे होश आया तो वो अस्पताल के बाहर पड़ा हुआ था, उसके बगल में पतलू भी बेहोश पड़ा हुआ था।
"मार डाला उस कसाई के बच्चे ने, अबे उठ पतलू इससे पहले वो कसाई डॉक्टर हमें फिर पकड़ ले भाग चल यहाँ से।" मोटू ने पतलू को झकझोरते हुए कहा।
पतलू की आँख खुली तो वो लपक कर अस्पताल के सामने लगे बोर्ड के सामने जा पहुँचा और गुर्रा कर बोला, "अबे भुक्कड़ मोटू यहाँ आकर देख क्या लिखा है, तेरे चक्कर में मैं आज फिर मारा गया।"
मोटू लड़खड़ाते हुए बोर्ड के सामने गया, बोर्ड पर लिखा था- आज शहर के सारे आवारा जानवरों का इलाज मुफ्त में किया जायेगा।
बोर्ड पढ़कर मोटू कलप कर बोला, "भाग ले बेटा पतलू उस अंधे डॉक्टर ने हमें आवारा जानवर समझ कर न जाने कौन सा इंजेक्शन ठोक दिया....अब ढक्कन दास के खैराती अस्पताल की तरफ चल, वही चलकर डॉक्टर हड़प दास से इलाज करवा, नहीं तो टे बोल जाएगी, हाय मर गया।"