मुझे दिखते हैं तुम्हें क्यों नहीं
मुझे दिखते हैं तुम्हें क्यों नहीं
"माँ... माँ.. देखो वह फिर आ गए। माँ.. देखो यहाँ इस टेबल के नीचे देखो, वह मेरे बेड के नीचे घुसे हैं दरवाजे के पीछे भी है। सलोनी चीखते चीखते बेहोश होने की स्थिति में हो गई।"
"उसके मम्मी पापा भागते हुए कमरे में आए। क्या हुआ ? क्या हुआ ? सलोनी क्यों ऐसे चीख रही हो ? क्या फिर तुमने सपना देखा।"
"मैं कितनी बार कहूं आप लोगों से वह सपना नहीं है वह सच में है। वह सच में बहुत सारे हैं। वह दीवार से पहले झांक कर देखते हैं, सारे बहुत लंबे लंबे कीचड़ में सने। उनके चेहरे भी कीचड़ से सने।"
"हमारे आंगन की दीवार से झांकते हैं और फिर एक एक कर कर धीरे-धीरे रेंगते रेंगते नीचे उतर कर कमरे में घुस जाते हैं।"
"मैं बहुत कोशिश करती हूं चीखने की। जब मैं पूरी जान लगा कर चीखती हूं तो यही इस कमरे में छुप जाते हैं। आप देखो अभी भी एक मेरे बेड के नीचे हैं। एक अलमारी के अंदर घुस गया है।"
"सलोनी तुम पागल हो गई हो, सब लोग सही कहते हैं तुम्हारा डॉक्टर से इलाज कराना पड़ेगा लंबे चौड़े कीचड़ में सने लोग घर में कहां से आएंगे और कहां छुप जाएंगे तुम खुद सोचो।"
"बेटा क्यों रोज परेशान करते हो। खुद भी होते हो दूसरों को भी करते हो।"
"मैं आप लोगों को कैसे यकीन दिलाऊं मैं सोई नहीं थी मैं जाग रही थी मेरी आंखें खुली थी।अब मुझे सोने से भी डर लगता है मुझे जागने से भी डर लगता है मैं आपको कैसे बताऊं यह सब सच है यह सपना नहीं है।।"
"अच्छा चलो ठीक है हम तुम्हारे साथ देखते हैं, हम देखते हैं कि कौन आता है और कौन जाता है। तुम्हारे कमरे में भी तुम आओ देखो कोई भी नहीं।"
"अजीबोगरीब किताबें पढ़ पढ़ कर तुमने अपना दिमाग खराब कर लिया है। "
"सलोनी यह रहस्यमई किताबें पढ़ना बंद करो वरना तुम्हारा दिमाग चल जाएगा, तुम्हारा चले ना चले तुम हमारा जरूर चला दोगी।"
इतना सब सुनने के बाद सलोनी चुप हो गई वह कैसे यकीन दिलाएं सबको कि रात को सबके लेटने के बाद उसके रूम की चेयर पर कोई आकर बैठता है।
बहुत सारे लंबे-लंबे पांच छह लोग कीचड़ में सने हुए दीवार से झांकते हैं,अंदर घुसने की कोशिश करते है। और उसके कमरे में ही इधर उधर छुप जाते हैं। पर मुझे दिखते है तो सबको क्यो नही दिखते ? औऱ उस दिन पापा के सामने वाली चेयर पर कौन उन्हें घूर रहा था ?।जब मैं गयी मुझे मुस्करा कर देखा फिर कहाँ गया वो ?पापा ने क्यो नही देखा ?
मैं क्या करूं ?क्या ना करूं ? क्या वाकई में पागल हो गई हूं ? क्या वाकई में मुझे कुछ हुआ है ? मुझे एक बार डॉक्टर से मिलना चाहिए शायद कुछ हल निकले।
सलोनी एक 18 साल की लड़की जो बहुत ही हंसमुख हुआ करती थी लेकिन अब डर के साए में जीने को मजबूर हैं उसके घरवाले कहते हैं कि वह रहस्यमई किताबें पढ़ती हैं अजीबोगरीब बातें करती हैं। उसका दिमाग का इलाज जरूरी है।
सलोनी ने कहीं पढ़ा था कि जब हम सोते हैं और हम देखते हैं कि कोई सपने में हमें देख रहा है तो असल में वह सपने में नहीं देख रहा होता वह उस समय हमारे कमरे में मौजूद होकर हमें घूर रहा होता है।
यह बात सलोनी के मन में घर कर गई है। उसने यह भी पढ़ा है कि ये अच्छी शक्तियां होती हैं जो हमें चेतन रखने के लिए हमारे बिस्तर के पास खड़ी रहती है ताकि हम नींद में भी पूरी तरह बेसुध ना हो।
अगले दिन मम्मी पापा सलोनी को hypnotherapist के पास ले गए। hypnotherapy के बाद पता चला की बचपन मे होली खेलते समय सब पड़ोस के बच्चे जब रंग में सराबोर थे उस समय ड्रिंक करके बाइक चलाते हुए किसी का एक्सीडेंट हुआ।
सलोनी वहीं थी। उस मरते हुए आदमी ने, जो रंग औऱ कीचड़ में बुरी तरह लथपथ था, सलोनी की तरफ हाथ बढ़ाये और मर गया। वो बच्ची थी। क्या कर सकती थी ?
डॉक्टर के अनुसार वही याद वापस लौट कर आई और सलोनी को सपने के रूप में डराने लगी। मम्मी ,पापा खुश हुए,सलोनी भी खुश थी।आज रात से उसे छुटकारा मिलेगा डर से।
रात को सब लोग खाना खाकर सोने चल दिए। सलोनी अपने कमरे में थी। मम्मी पापा ने सोचा कि देखते चले। जैसे ही दरवाजे के पास पहुंचे उन्हें कई लोगों के हंसने की आवाज आई।
अंदर सलोनी बिस्तर से नीचे बैठी थी। आंखें भेंगी हो गयी थी।
वो बोल रही थी "हा.. हा.. हा..बड़ा आया डॉक्टर कही का..जो हमने बोला उसने मान लिया। हम ऐसे ही रोज आएंगे। कीचड़ नहीं हमारा असली रूप है ये सलोनी।बेड, अलमारी,टेबल में नही छुपते। तुम्हारे अंदर छुपते है हम। हर समय तुम्हारे आस पास रहते है। हा.हा.. हा.."
और बाहर खड़े माता पिता की रूह कांप रही थी इस भयावह हँसी से।