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Ramesh Mendiratta

Abstract

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Ramesh Mendiratta

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मस्त राम और राम प्यारी की खोज

मस्त राम और राम प्यारी की खोज

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मान लीजिये कि सिर्फ दो आयाम होते तो सब कुछ काल्पनिक ही होता, हर चीज मे लम्बाई चौङाई बस, एक शीट जैसी बिखरी पर मोटाई ज़ीरो " मस्त राम ने एक पेग लगाया हुआ था

"तो मतलब कि जैसे भूत, आत्मा आदि होते हैं न " राम प्यारी भी मूड मे आ गई। 

"बिल्कुल, तो किसी आत्मा को कोई इच्छा होगी तो पृथ्वी पे आना पड़ेगा न, तो तीसरा आयाम होगा ही, यानी सॉलिड शरीर तभी मिलेगा, स्पर्श आदि तभी कर पायेगी न आत्मा ( या भूत, अगर कर्म अच्छा नही था तो) "

"यानी इच्छाओं ने दे दिया आत्मा को तीसरा आयाम और जन्म हो गया, यही न " राम प्यारी ने कहा। 

"सही समझी जानू बिल्कुल " मस्त राम बोला। 

 राम प्यारी "तो चौथा आयाम क्या है, यह भी बताओ "

"समय ही चौथा आयाम है, मान लो कि मैं कुछ बोलता या तुम्हारी भाषा मे बकता हूँ तो तुम तक कैसे पहुँचता है, टाइम बेस से न, दो आदमी एक विचार कैसे प्रेषित करेंगे, बोल कर, आवाज़ को माध्यम चाहिए और बेस भी चाहिए समय का, यही है चौथा आयाम " मस्त राम को झपकी आ रही थी। 

"सही बका आपने, अब मुझे भी सोने दो, बस " कह कर राम प्यारी ने चादर ओढ़ ली। 

  कैसी लगी,बताये जरू



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