manpreet kaur

Horror

4.8  

manpreet kaur

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मोक्ष

मोक्ष

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असम अपने घनी वादियों, हरियाली और चाय की संपत्ति के लिए जाना जाता है। मगर यहाँ के रहस्यमई भूतिया किस्सों से कई लोग आज भी अनजान हैं। असम के कई गाँवों में शैतान का वास है। मानो जैसे भगवान रूठ गया है। 

यह बात तब की है जब मैं 12 साल की थी। स्कूल की गर्मियों की छुटियों में अक्सर मैं अपने माता-पिता के साथ अपनी नानी के घर असम जाया करती थी। मेरे नानी-नाना असम में स्थित जोरहाट, के एक छोटे से मोहल्ले में रहते थे। नानी के घर के सामने एक बांग्ला था जिसमें 5 लोग रहते थे। उनमें से एक थी, माजी जिनको लोग बहुत सम्मान देते थे। माजी को मेरी नानी से बहुत लगाव था, क्यूंकि मेरी नानी बहुत अच्छे कपडे सिलती थी। 

मेरी नानी में हर तरह के कपडे सिलने का हुनर था। मेरे ज्यादा तर कपडे वही सिलती थी। नानी, माजी के लिए हर त्यौहार पर सलवार-कमीज सिलती और उसके अंदर जेब भी सिलती। पुराने लोग ज्यादा तर बैग या पर्स नहीं लेते थे। माजी उस जेब में हमेशा पैसे रखती थी।

एक दिन माजी बहुत बीमार हो गयी। उनके घरवालों ने उनका सही इलाज भी नहीं करवाया था। मेरी नानी जभी माजीकी सेवा करती तो, उनके बेटे और बहु नानी को भगा देते। 

कुछ दिन बाद, माजी की मृत्यु हो गयी। मेरी नानी ने माजी के शव को उनके पसंदिता पिले रंग का सलवार-कमीज सिलकर पहनाया अंतिम संस्कार से पहले, पर नानी इसबार दुःख में जेब सिलना भूल गयी थी और फिर माजी का अंतिम संस्कार भी हो गया। 

दो दिन बाद, जब नानी ने सुबह अपने घर का दरवाज़ा खोला तो उनको साक्षात माजी दिखीं उसी पिले रंग के सलवार-कमीज में माजी ने कहा “देख मैं कैसी लग रही हूँ?पर इस बार तूने मेरे कपड़ों में जेब क्यों नहीं सिली? तुझे पता है ना की मुझे जेब में पैसे रखने की आदत है?” नानी बहुत डर गयी और ज़ोर से चीखते हुए, हम सबको बुलाया। जब हम गए, तब नानी ने बाहर इशारा करते हुए कहा "माजी वापस आ गयी हैं। मुझे अभी दिखीं।" हमने देखा तो कोई नहीं था। हम सबने नानी को भ्रम बताके, माजी को भूल जाने को कहा।

नानी यह जान गयी थी, की वो माजी की आत्मा है। पर हमें कैसे समझाती। नानी को माजी की आत्मा अब हर जगह दिखने लगी थी। कभी पेड़ पर बैठी हुई, तो कभी अपने बंगले के बाहर टहलती हुई। यह सब देख, नानी बहुत डर गयी। हमेशा हमें अकेले बाहर घूमने को मना करने वाली नानी, नहीं जानती थी की, खुद उनके ही साथ यह भूतिया हादसा हो जायेगा।

एक रात, नानी की आँख 3बजे खुली, खिड़की पर कुछ आवाज़ें सुनकर। नानी खिड़की के पास गयी, तो फिर माजी की आत्मा उनको दिखी, डरकर नानी बेहोश हो गयी और उसी वक़्त माजी की आत्मा नानी के शरीर में प्रवेश कर गयी।

नानी अब हमारे साथ अजीब डरावना बर्ताव करने लगी। उनकी आँखें लाल होगयी, शरीर पतला होने लगा और आवाज़ भी डरावनी होगयी थी।दिन-प्रति-दिन, उनकी हालत बिगड़ती गयी। मेरे घरवालों को यह समझ में आ गया था, की कोई आत्मा का साया है। मेरे घरवालों ने एक सिद्ध पंडित को नानी के बारे में बताया। पंडितजी का कहना था की "अगर किसीकी मृत्यु के बाद की विधि पुरे नियम अनुसार ना हुई हो, तो उसकी आत्मा भटकती है और अपने किसी चहिते के शरीर में वास करती है। आत्मा शांति हवन और पूजा फिर से करवाई जाये, वार्ना उस आत्मा को मोक्ष नहीं मिलेगा।"  

मेरे घरवालों ने माजी के परिवार से बात की, तब उनका बेटा बोला "यह सब अंध विश्वास है, हम नहीं मानते।" मेरे घरवालों ने माजी के परिवारवालों को भी पंडितजी से मिलवाया। उसके बाद माजी की आत्मा शांति हवन और पूरी विधि से पूजा पाठ करवाया।

दो दिन बाद, नानी ठीक हो गयी और अब माजी की आत्मा भी उनके शरीर से जा चुकी थी। माजी की आत्मा को मोक्ष मिल गया था। नानी की सेहत भी धीरे-धीरे सही हो गयी।

मेरी गर्मी की छुटियाँ भी ख़तम हो गयी थी। नानी भी स्वस्थ हो चुकी थी। नानी की दुर्दशा देख, मैं डर गयी थी, पर नानी ने मुझे और मेरे घरवालों को तसल्ली देकर वापस ख़ुशी-ख़ुशी भेज दिया, मगर आज भी मुझे जब वो भूतिया किस्सा याद आता है, तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

आप भी अपने बड़ों की बातों को अंध विश्वास समझकर, भूल मत करिये और ऐसे रहस्यमई भूतिया जगहों से परिचित रहिये।  


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