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Manoj Kumar

Action Thriller

4  

Manoj Kumar

Action Thriller

आचरण

आचरण

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  • पात्र- परिचय
  • टीनू- ( जो कक्षा 5 में पढ़ रहा है।)
  • दादा जी- ( जो टीनू के दादा जी है।) 

  • ( टीनू स्कूल से आता है।   अपने दादा जी से हाल पूछता है, और बैग को खूंटी पर टांग देता है।) 
       
           दृश्य 1

दादा जी- बेटा स्कूल से लौट आए? 
             आज क्या पढ़ा आपने, आपके गुरु जी ने क्या पढ़ाया है।


टीनू- ( चिड़ाते हुए) - हां हां बहुत पढ़ाया पढ़ना चाहोगे, हां पढ़ना हो तो कल हमारे साथ स्कूल चलो हम बता देंगे।
कैसे पढ़ा  जाता है और लिखा भी।



दादा जी- ( समझाते हुए) - बेटा ऐसे नहीं बोला जाता है। आप के गुरु जी ने क्या पढ़ाया है।
जब एक समय हमारा भी था।
 तब हम भी आप के जैसे थे, और ऐसी बात किसी को नहीं बोलते थे।



टीनू- जैसा आपने दादा जी बोले वैसे हमने बताया।


दादा जी- ठीक है, बेटा गलती सबसे होती हैं।
          पर ध्यान रहे ऐसी बाते कभी किसी से नहीं बोलना ताकि उसके दिल पर ठेस पहुंचे,
       आप तो छोटे है। ओर बड़े होंगे सब सीख जायेंगे।



टीनू- ( मुस्काते हुए) - ठीक है दादा जी अब कभी किसी को नहीं बोलूंगा।


दादा जी- हां बेटा कभी किसी को अशब्द नहीं बोलते,
            हमारी उम्र तो 70 वर्ष के है।
   परन्तु जब हम आपके वर्ष के थे, तब हम चंचल स्वभाव के थे। जब समय था मेरा।



टीनू-(हंसते हुए ) - ठीक है- 2 दादा जी  तब तो था, अब तो नहीं।


दादा जी- हां बेटा, ऐसी बाते कभी किसी से नहीं करते है।  अपने से बड़े को सम्मान करना चाहिए।
     यही सदाचार है, बेटा........।



      दृश्य 2

( दादा जी। कंधे पर हल रख कर चल पड़ते हैं। 
    खेत की जुताई करने के लिए।

उसी समय टीनू खूंटी पर अपना बैग टांग कर दादा जी के पीछे पीछे चल पड़ता है।) 



टीनू- ( हंसते हुए ) - हां हां ये क्या है दादा जी बुढ़ापे में काम, कैसे होता होगा आपसे।


दादा जी- ( क्रोध से) - ये तेरे बाप का अमानत है बेटा जो हमे दे दिया है।


टीनू- तो हम  क्या करे? 

दादा जी- तू क्या करेगा, तेरे बस की बात तो है ही नहीं।


टीनू- ( चिड़ाते हुए) - सही बुड्ढे आपने सही कहा, हम अभी बच्चा है।

आप कौन जवान हो गए हो, जो हल नहीं उठता।


टीनू- दादा जी आप से एक बात पूछे?


दादा जी- बोलिए बेटा क्या बात है।

टीनू- दादा जी अगर हमें खेत जोतने को कहे तो ,
         मै अभी खेत जोत देता हूं।
और आप आराम से बैठिए, हम सारा काम कर डालता हूं। 


दादा जी- नहीं बेटा आप तो अभी बच्चा हो,
            बड़ा होकर आपको ऑफिसर बनना है।
ये काम आप को नहीं करना है। आप खूब पढ़ो और माता - पिता का नाम रोशन  करो ठीक है बेटा।


टीनू- ( गुस्से से तेज़ी से बोल पड़ता है।) -  ये बुड्ढे तुम नहीं जानते हो।
 जो मै कह रहा हूं,  वहीं करो ये खेत हमे जोतना है।
और हम जोटेंगे ।
तुम बैठो ठीक है...........।


दादा जी-( जोर से)- ये क्या कर रहे हो? 
       हल चलाना सिर्फ़ हमारा काम है। हम आपको बहुत देर से समझा रहे हैं।  पर आपने कुछ न मानी।


( तभी दादा जी हल के मुठिया पकड़ लेते हैं, और खेत जोतने लगते है।

तभी टीनू  दादा जी को चिड़ाते हुए घर लौट आता है।) 


            समाप्त

ये एकांकी में ये बताया गया है कि  अपने बच्चे को सही आचरण सिखाए, जो बड़े बुजुर्ग को सम्मान दे।



लेखक- मनोज कुमार 🖊️










   


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