Manoj Kumar

Drama Action Inspirational

3.2  

Manoj Kumar

Drama Action Inspirational

मजबूर थी मीना

मजबूर थी मीना

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337


पात्र- मां

रमन- बड़ा भाई

शिवप्रसाद- पिता

मोनिका- मीना की सहेली

मीना- मुख्य पात्र

राजेश- रिश्तेदार

(नीम के पेड़ के छांव में बैठी मीना और उनकी सहेली मोनिका बाते कर रही थी। तभी अचानक साईकिल पर सवार व्यक्ति आकर इसी पेड़ के नीचे रुके और रास्ता पूछे........।)

राजेश- बेटी, शिवप्रसाद के घर जाना हैं, रास्ता बता दो।

मीना- क्या काम है चाचा?हम शिवप्रसाद के बेटी हूं। और ये मेरी सहेली मोनिका है।

राजेश- हम उनसे मिलना चाहते हैं। चलो अपना घर बता दो।

मीना- ठीक है, चाचा बताती हूं। वो जो गली दिखती हैं, उसी तरफ सीधे चले जाना। जो ऊंचा मकान है सफेद रंग में वही है।

राजेश- धन्यवाद बेटी !

मोनिका- ये कौन थे चाचा, शायद रिश्तेदार होंगे शादी होने वाली थी आप की।

अब तो शादी हो जायेगी आपकी, आप दुल्हन बन जाओगी हम आज बहुत खुश हूं।

मीना- नहीं यार, ऐसी कोई बात नहीं है, अगर होंगे भी तो हम नहीं करूंगी ठीक है 

मोनिका- हां हां , आप कुंवारी रहोगी जीवन भर शादी नहीं करोगी, अगर आप नहीं करोगी तो हम भी नहीं करूंगी।

मीना- नहीं यार, ऐसा मत बोल !

मोनिका- क्या नहीं बोलूं, बोली आप हमारी मित्र हो और आप हमारी बाते नहीं मानती हो।

तब गुस्सा नहीं लगेगा सच बोल रही हूं। अगर आप नहीं तो हम नहीं।

मीना- देखेंगे मूड में होगा तो कर लेंगे, वैसे तो हमारे मूड में नहीं है, शादी करने का।

मोनिका- ठीक है बाबा, आप कसम खाओ की शादी करोगी, हमारे सर पर हाथ रख कर।

मीना - ठीक है मोनिका, लो तुम्हारी कसम हम शादी करूंगी अब खुश।

मां- हे जी, सुन रहे हो ?

शिवप्रसाद- बोलो, क्या हुआ क्यों इतना शोर मचा रही हो।

मां- (समझाते हुए) - देखो अभी रिश्ता आया है, और आप भी बाते कर रहे थे, और बोल रहे हो क्या हुआ।

अपना पागल बनते हो और हमे भी पागल बनाते हो।

शिवप्रसाद- तो हमें क्या करना है, हम भी शादी रचा लूं क्या ?

मां- मजाक मत करो ! जाओ देखो मीना कहा गई उसको बुला लाओ। सिर्फ़ 10- 20 मिनट ओर रहेंगे उसके बाद चले जाएंगे , देख तो ले हमारी बेटी को।

शिवप्रसाद- ठीक है, जाता हूं, पानी पिलाओ अभी आता हूं बुला के।

शिवप्रसाद साईकिल पर सवार होकर चल पड़ता है। मीना को ढूंढने गांव के अंत तक पहुंचता है। तब देखता, मीना और उनकी सहेली मोनिका नीम के पेड़ के नीचे बैठी बाते कर रही थी। बाते अब भी जारी है। साइकिल को खड़ी कर के बोल पड़ता है.........।

शिवप्रसाद- बेटी खाना नहीं खाना है, क्या? यहीं बैठी बाते कर रही है, चलो घर कुछ बात करनी है आप से। घर चलो मां डॉट रही है। रिश्तेदार आए हैं तुम्हें देखने।

मीना- पापा हमें शादी नहीं करनी है, हमारी उम्र क्या है जो शादी कर लूं,हम शादी अभी नहीं करूंगी बता देना पापा लौट जाए ।

शिवप्रसाद- जिद नहीं करते बेटी, चलो घर वहीं बाते होगी। जो आप कहोगी वहीं बात होगी, अब खुश।

मीना- हां, पापा अब खुश हूं। आप चलो पापा मै और मेरी सहेली मोनिका आती हूं।

(अचानक उनके बड़े भाई आ गए।)

रमन- क्या हुआ ? पापा यहां कहां ?

शिवप्रसाद- कुछ नहीं बेटा, रिश्तेदार आए हैं । मीना को देखने तो वहीं बुलाने आए थे। ये कह रही है शादी नहीं करूंगी।

रमन- ये तो उनकी मर्जी है। करे या न करें।

शिवप्रसाद और रमन घर चले जाते हैं। बाद में मीना पहुंचती हैं। और बोल पड़ती है.........।

मीना- नमस्ते, चाचा !

राजेश- नमस्ते, बेटी !

मां - कहां मर गई थी, अभी कुछ खाई पी नहीं और टहलने निकल पड़ी।

मीना- नहीं मां ,वैसे ही गई थी सहेली से बातें करने।

मां- (फुसफुसाते हुए)- अच्छा ठीक है, बताओ शादी करनी है या नहीं, बोलो!

मीना- (डरते हुए)- मां.......। क्या कहूं नहीं मन करता है।

राजेश- अच्छा चलता हूं भाई साहब 2 दिन बाद सभी लोग आएंगे।

इतना कह कर राजेश चल देते हैं। जब 2 दिन बाद आते हैं सभी लोग बेटी देखने आते हैं।

शिवप्रसाद- नमस्ते भाई साहब, बैठो कुर्सी पर, लो बैठो, सुनो चाय बनाओ दो साहब को।

मां- हां जी, बना रही हूं। चाय !

शिवप्रसाद- लो चाय पियो तुम भी पिओ राजेश। बेटी कैसी है अगर ठीक हो तो तारीख रख लो।

राजेश- ठीक है, शादी पक्की समझो हमें बेटी पसंद है। लेकिन अपने बेटी से पूछो क्या कहती है।

शिवप्रसाद- बेटी आज क्या कहती हो, आपका रिश्ता पसंद है या नहीं ?

मीना- (थोड़ा दुःख में)- ठीक है......। पापा लेकिन लड़का के फोटो दिखाओ।

राजेश- लो बेटी फोटो के !

मीना हाथ में तस्वीर लेती हैं और उसे ध्यान से देखती है। लड़का थोड़ा सांवला है। और गोरी है। तब भी मीना दुःख में होकर बोल पड़ती है.......।

मीना- ठीक है चाचा। मीना बार - बार सोचती है। अगर हमारी सहेली कसम नहीं खावाती तो हम शादी नहीं करती, और लड़का सांवला भी निकल गया।

राजेश- क्या सोच रही हो बेटी ? नहीं मंजूर हो रिश्ता तो बताना।

मीना- कोई बात नही चाचा, सब ठीक है । लड़का अच्छा है, और रिश्ता भी मंजूर है।

राजेश- भाई साहब, आपकी बेटी राजी हो गई अब तैयारी बनाइए। हमारा बेटा आप पहले से ही देंखे है।

शिवप्रसाद- अब रिश्ता पक्का समझो , बेटी हमारी मान गई रिश्ता उन्हीं को मनाना था।

कुछ महीना बाद मीना की शादी हो जाती हैं।

मीना अपने घर चली जाती है।

(ये एक काल्पनिक घटना है, ये एकांकी  में ये बताया गया है कि मीना मजबूर होकर शादी रचाई है। क्योंकि उनकी सहेली पहले से ही कसम दे रखा था। इसलिए मजबूर होकर शादी करना पड़ा।)


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