मिट्टी के दीये
मिट्टी के दीये
धनतेरस का दिन था। अतुल बाजार से अपने कपड़े खरीद कर घर वापस जा रहा था। बाज़ार में लाइट्स देख कर उसने घर को रोशन करने के लिए कुछ लाइट्स भी खरीद ली।
घर आते ही माँ ने कहा.…..बेटा बाजार से कुछ दीये खरीद लाना अतुल थक चुका था। साहिल को बोलो लाने के लिए। दिन भर घर में बैठा रहता है, अतुल ने माँ से कहा।
साहिल ने माँ से पैसे लिए और बाहर निकल गया।
बाज़ार में फुटपाथ पर उसे कुछ मिट्टी के दीये वाले दिखें।
उसने एक दुकानदार से जाकर दीये का दाम पूछा। दुकानदार तकरीबन उसी की उम्र का था। उसने कहा भैया छोटा दीया 3 रुपये का बीच वाला 8 रुपये का और बड़ा दीया 20 रुपये का है। साहिल को मोल भाव करना तो आता नहीं था, न ही उसे पता था कि एक दीया कितने का आता है। उसने 30 छोटे 10 माध्यम और 2 बड़े दीये पैक करने को कहा।
दीये लेकर वो घर आ गया।माँ को दीये दे रहा था तो लाइट लगाते हुए अतुल ने पूछा कितने में लिए दीये। साहिल ने बता दिया। अतुल को दीयों का दाम सुन कर गुस्सा आ गया उसने कहा इतने महंगे दीयें ले लिए तुमने चलो मेरे साथ वापस उस दुकानदार के पास।
माँ सब सुन रही थी.…….. उसने साहिल से पूछा बेटा कौन सी दुकान से लिये दीये ?
साहिल ने बता दिया कि फलाना दुकान से लिया था।
माँ ने अब अतुल को रोका और बोली पहले मेरे कमरे में जाओ जो तुम्हारी बहन को समान भेजा था, उसका बिल पड़ा होगा उसे लेकर आओ।
अतुल माँ के कमरे से बिल ले आया। माँ ने अतुल से पूछा कि तुम ये लाइट कितने में खरीद कर लाये हो जो अभी लगा रहे हो।
अतुल ने कहा 100 रुपये की एक लड़ी है। माँ ने उसे बिल थमा दिया और कहा देखो यही लाइट मैं 80 रुपये में लेकर आई हूँ। गरीबों से मोल भाव नहीं करना चाहिए क्योंकि उनके सिर्फ दो पैसों की कमाई है। यही दीये बड़ी दुकानों में दोगुने दाम देकर लोग खरीदते हैं।