Kamal Purohit

Children Stories Inspirational

4.7  

Kamal Purohit

Children Stories Inspirational

माँ ने भेजी परी

माँ ने भेजी परी

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"दीदी मुझे भूख लग रही है" सोनल ने अपनी दीदी से कहा।

"अभी घर में कुछ नहीं है खाने को तू बैठ मैं कुछ लेकर आती हूँ"

बोलकर दीदी घर से निकल गयी।

सोनल खाने के लिए इंतजार करने लगी।

2 घण्टा हो गया दीदी को गए हुए अभी तक नहीं आई सोच कर सोनल घबराने लगी। भूख के मारे उसके पेट में चूहे कूद रहे थे।

धीरे धीरे शाम हो गयी अब सोनल घबराने लगी थी। दीदी को आता न देख सोनल दीदी की तलाश में घर से बाहर निकली। बाहर निकलते हो ठंडी हवा का झोंका आया उसका बदन कांप उठा। सोनल तुरन्त अंदर गयी और उसने एक पुराना सा लबादा अपने बदन पर ओढ़ा और बाहर निकल गयी।

दीदी को खोजते हुए आगे बढ़ने लगी। थोड़ी दूर चलने के पश्चात उसे एक पेड़ के नीचे उसकी दीदी दिखाई दी जो ठंड के मारे काँप रही थी।

सोनल दौड़ कर दीदी के पास पहुँची। अपने लबादे में सोनल ने दीदी को भी लपेट लिया।

अरे! दीदी आप तो खाना लेने गयी थी न यहाँ क्या कर रही हो? सोनल ने दीदी से पूछा।

हाँ! लाडो (सोनल की दीदी उसे प्यार से लाडो बुलाती है) मैं खाना लेने ही गयी थी लेकिन आज शहर में सब तरफ से जुलूस निकल रहे है। सारी दुकानें बंद थी। कहाँ से मांगती मैं खाना तेरे लिए?

दीदी हम माँग कर क्यों खाते है? हम कुछ काम कर भी खाने का जुगाड़ कर सकते है न?

सोनल की बात सुन कर दीदी सोचने लगी लाडो बोल तो सही रही है।

कल से मैं काम कर के ही खाने का जुगाड़ करूँगा लाडो।

तभी महिला उधर से गुजरी उसके हाथ में रोटी की थैली थी जो वह भिखारी को देने के लिए निकली थी। उसने जैसे ही सोनल और उसकी दीदी को वह थैली पकड़ाई तो सोनल की दीदी उनसे बोली

माँ जी क्या आप मुझे कुछ काम दिला सकती है। मैं भीख नहीं मांगना चाहती हूँ।

उस महिला ने उसे एक बारगी देखा फिर उसने पूछा तुम्हारे माता पिता या घर वाले कहाँ है ?

सोनल ने तुरंत जवाब दिया "हमारा कोई नहीं है"

महिला ने तुरन्त अपना फोन निकाला उसने कुछ देर फोन पर बात की उसके बाद दोनों को कहा "तुम दोनों को आज से भीख नहीं माँगना पड़ेगा। थोड़ी ही देर में मेरी संस्था का मैनेजर आएगा वह तुम्हें ले जाएगा। तुम दोनो को वहाँ पढ़ाया जाएगा ताकि तुम्हें किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़े।" यह बोल कर महिला वहाँ से जाने लगी

सोनल ने तुरंत पूछा क्या आप परी हो ?

महिला हँसते हुए बोली  "हाँ! तुम मुझे परी कह सकती हो और चली गयी"।

सोनल ने दीदी से कहा मैंने कहा था न दीदी की माँ हमारे लिए परी को भेजेगी।

सोनल की दीदी भरी आँखों से उस महिला को जाते हुए देख रही थी।


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