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ज़ेब्रा क्रॉसिंग

ज़ेब्रा क्रॉसिंग

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सुमित को रोज की तरह दफ्तर जाने में देरी हो रही थी। वह मोटर साईकल से रोजाना दफ्तर जाता था। ठीक 9:30 बजे वह घर से निकलता था आधा घण्टा का रास्ता तक उसके घर से दफ्तर का। सुमित चाह कर भी समय से पहले नहीं पहुँच पाता था ,क्योंकि मुख्य चौराहे की लाल बत्ती हमेशा उसके पांच दस मिनट अधिक लगवा देती थी।

चौराहे पर हर दिन की तरह आज भी लाल बत्ती थी। चौराहे पर जब भी लाल बत्ती होती थी। सुमित सदैव अपनी मोटर साईकल ज़ेबरा क्रॉसिंग के ऊपर लाकर खड़ा करता था। हरी बत्ती होते ही स्पीड में वहाँ से निकलता था।आज उसका मित्र रोहित भी उसके साथ मोटर साईकल पर था।

जैसे ही सुमित ने चौराहे पर मोटर साईकल रोकी। रोहित ने उसे टोका "भाई तुम ये जेब्रा क्रॉसिंग पर आकर क्यों खड़े हुए हो?""ताकि जल्दी निकल सकूँ। ये वाली लाल बत्ती बहुत समय बर्बाद कर देती है" सुमित ने जवाब दिया।

रोहित हँसने लगा....

सुमित ने बोला "क्यों ? क्या हुआ ? इसमें बहुत जन खड़े है। मैंने कुछ गलत थोड़े ही किया है।"रोहित बोला तुम्हें किस चीज़ की जल्दी है,यह तो मैं जानता हूँ ।

लेकिन भाई ये पाँच दस फीट की दू

री से तुम्हारे देरी और जल्दी में क्या फर्क पड़ना है यह मुझे नहीं पता। तुम दस मिनट अधिक लेकर भी घर से निकल सकते हो किसी ने रोका थोड़े ही है। अब थोक 9:30 बजे ही निकलोगे ? तुम और तुम्हारे जैसे कितने ही मोटर साईकल और गाड़ी वाले अनजाने में या जानबूझ कर यातायात के नियमों की धज्जियां उड़ाते हो।

जेब्रा क्रॉसिंग के पहले स्टॉप का साइन भी लिखा हुआ है।

तुम जैसे लोगों की वजह से पैदल चलने वालें लोग जो जेब्रा क्रासिंग से रास्ता पार करने की चाह रखते है, उन्हें उसके आगे से रास्ता पार करना पड़ता है।अब सड़क पर उधर से कोई भी गाड़ी जरा सी दायीं बायीं होकर निकलेगी तो दुर्घटना के आसार ज्यादा रहेंगे।सुमित को रोहित की बात समझ में आ गयी। उसने कहा ठीक है मेरे भाई मैं आइंदा से जेब्रा क्रॉसिंग पर अपनी गाड़ी नहीं खड़ी करूँगा। स्टॉप के साइन पर ही रोकूँगा।

रोहित बोला ये हुई न बात इससे एक फायदा तुम्हें भी होगा।

तुम्हारा कभी इसकी वजह से चालान भी नहीं कटेगा।

हरि बत्ती हो चुकी थी....

सुमित ने मुस्कुराते हुए मोटर साईकल स्टार्ट की और आहिस्ता से आगे बढ़ने लगा।


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