बेटी भरी मुस्कान

बेटी भरी मुस्कान

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राहुल दफ्तर से जैसे ही घर आया अनिता ने खुशी से चहकते हुए कहा "आपको एक खुशखबरी देनी थी"।

"क्या" ? राहुल ने पूछा

हम अब दो से तीन होने वाले है।

"अरे वाह! यह तो बहुत अच्छी खबर सुनाई।

माँ और बाऊ जी को बताया"? राहुल ने खुशी से अनिता को बाहों में भरते हुए बोला।

"मैं सोच रही थी पहले पता कर लेते हैं"। अनिता ने थोड़ा चिंतित होते हुए कहा

राहुल ने पूछा "क्या"?

"यही कि जो आएगा वह आएगा या आएगी"? अनिता बोली

क्यों ? क्या जरूरत है? राहुल थोड़ा सख़्त होकर बोला।

अनिता ने कहा "देखो माँ शुरू से पोते की रट लगाई हुई है। उनकी गोदी में पोता खेले, तो इसमें हर्ज ही क्या है?"

राहुल ने कहा "नहीं, कोई जरूरत नहीं है। मैं माँ से बात कर लूंगा।"

अनिता मायूस हो गयी कुछ नहीं बोली।

खाने की टेबल पर जब माँ,बाऊजी के साथ राहुल बैठा तो उसने माँ को खुशखबरी सुनाई।

माँ खुशी से उछल पड़ी। उसके वर्षो का सपना साकार जो होने जा रहा था।

बहू , मुझे पोता ही चाहिए। मेरी गोदी में भी अब पोता खेलेगा। माँ बोले जा रही थी।

राहुल ने माँ को बीच में टोका "माँ! आप कौन से युग में जी रही हो?पोता पोती सब बराबर होते हैं। जो भी होगा हम उसे खुशी से स्वीकारेंगे।"

माँ बोली "नहीं, मुझे तो पोता ही चाहिए। मैं कल ही अनिता को लेकर डॉक्टर के पास ले जाती हूँ।"

राहुल को गुस्सा आने लगा। वह खाने की टेबल से यह बोलते हुए उठ गया। "आपको जो करना है करिये।"

बिस्तर पर लेटे लेते राहुल सोच रहा था। हर साल रक्षाबंधन और भाई दूज पर वो खुद को कितना असहाय महसूस करता है। क्योंकि, उसके जन्म के पहले उसकी बहन का जन्म नहीं हो पाया था। उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था। क्या करूँ क्या नहीं।

सोचते सोचते उसे कब नींद आ गयी पता नहीं चला।

दूसरे दिन जब वह दफ्तर गया तो सारा दिन उदास था। उसके बचपन के घनिष्ट मित्र रोहित ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने उसको सब बताया।

रोहित सुन कर अचंभित हो गया। उसने कहा "भ्रूण हत्या तो अपराध है। उसपर पहले जाँच करवाना तो बिल्कुल निषेध है।"

राहुल बोला "तुम्हें तो पता है माँ कितनी ज़िद्दी है" मानेगी नहीं किसी भी तरह।

रोहित ने कहा "एक तरीका है। क्यों न तुम इस सन्तान को जैसी है वैसे ही जन्म लेने दो और एक सन्तान गोद ले लो। बेटा और बेटी दोनो मिल जायेंगे माँ भी खुश और तुम भी खुश।"

राहुल की आँखों में चमक तो आ गयी मगर चिंतित होकर बोला "किसी और कि संतान क्या माँ राजी होगी ?"

रोहित बोला "वह तुम मुझपर छोड़ दो।"

शाम को रोहित राहुल के साथ उसके घर गया।

रोहित राहुल की माँ को काकी और बाऊ जी को काका कहता है।

राहुल की माँ रोहित को राहुल से ज्यादा स्नेह करती है।रोहित ने काका-काकी से कहा कि अब तो आप दादा-दादी बनने वाली हो मीठाई मँगाओ।

राहुल की माँ बोली "थोड़ा सब्र कर लो पता तो लग जानेदो पोता आएगा या पोती।"

रोहित बोला "क्या काकी! आप भी कौन से दकियानूसी विचारों में अटकी हुई हो" पोता पोती में क्या फर्क है।

"तुमको राहुल ने पट्टी पढ़ाई है न।" राहुल की माँ बोली

राहुल ने मुझे सब बताया है लेकिन पट्टी नहीं पढ़ाई काकी।

क्योंकि हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं, सही गलत सब नजर आता है। भ्रूण की जाँच करवाना और हत्या करवाना दोनो अपराध है। पकड़े जाने पर सजा मिल सकती है।

"तो क्या करें?" राहुल की मपूछा।

"आसान सा उपाय है,जो धरती पर आने वाला है उसे आने दीजिये।

लड़का है तो आपकी मुराद पूरी होगी, लड़की होगी तो आप वही मुराद अनाथाश्रम से एक लड़के को गोद लेकर पूरी कर सकती है।राहुल ने अजीबोगरीब सा उपाय बताया।

राहुल की माँ सकते में आ गयी। बोलने लगी " तुम पागल हो गए क्या? किसी दूसरे के खून को हम क्यों अपनाए?"

रोहित बोलने लगा "काकी आपने कभी राहुल का दर्द महसूस किया है ? राहुल के पहले आपने भी अपनी एक बेटी की बलि चढ़ाई थी। उसका फल आज तक राहुल भोग रहा है। उसने कभी किसी को नहीं बताया यह दर्द। मुझे यह बात बचपन से पता थी। लेकिन कभी मौका नहीं मिला आपको बताने का।"माँ ने राहुल के चेहरे की तरफ देखा। राहुल का दर्द उसे आज तक क्यों नहीं दिखा? वह सोचने पर विवश हो गयी।

वह कुछ बोलने ही वाली थी कि राहुल के बाऊ जी बोल उठे। "सौ बात की एक बात अब इस घर में कोई अबॉर्शन नहीं होगा।"

बात यहीं खत्म हो गयी धीरे धीरे समय बीतने लगा। सात महीने बाद अनिता के पेट में दर्द उठा। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया।

डॉक्टर ने सारे टेस्ट देखने के बाद कहा कि थोड़ी कॉम्प्लिकेशन हो गयी है। हो सकता है अबॉर्शन करना पड़े। राहुल की माँ ने तुरन्त डॉक्टर से कहा "मेरा पोता बच तो जाएगा न।"

डॉक्टर ने कहा "हम कोशिश कर रहे है। वैसे पोता नहीं पोती है।"

ये सुनते ही राहुल बोल पड़ा "डॉक्टर साहब! आपसे जो हो सकता है करिये लेकिन मेरी बेटी बच जानी चाहिए।"दो घंटे के ऑपरेशन के बाद जब डॉक्टर बाहर आया तो बोला "हम माँ और बेटी दोनो को बचाने में सफल तो हो गए है लेकिन..……"

लेकिन क्या? "राहुल ने चिंतित होते हुए पूछा"

"आपकी बेटी के दिल में छेद है।" डॉक्टर ने शांत स्वर में कहा।

राहुल घबरा गया और रोने लगा और डॉक्टर से मिन्नतें करने लगा मेरी बेटी को ठीक कर दीजिए।

राहुल की माँ बोली मैंने तो पहले ही कहा था अबॉर्शन करवा लेते है।

डॉक्टर ने सुना तो उसकी भौहें चढ़ गई। उसने लगभग डांटते हुए राहुल की माँ से कहा कि आपको सिर्फ पोता चाहिए था न इसलिए ऐसा सोच रही है आप खुद एक महिला हो कर बेटी को मारने की सोचती हो। धिक्कार है आप पर।

फिर उसने राहुल की तरफ मुड़ते हुए कहा कि आपकी बेटी का इलाज संभव है लेकिन अभी तुरंत नहीं। कुछ महीनों के बाद होगा और आपकी बेटी एक स्वस्थ जीवन जिएगी।

राहुल के चेहरे पर मुस्कान पुनः खिल गयी।



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