STORYMIRROR

Nidhi Sehgal

Tragedy

3  

Nidhi Sehgal

Tragedy

महत्व

महत्व

2 mins
398

दरवाजे पर आहट सुनते ही ऋषि भागता हुआ आया और बोला, " आप मेरा बैट ले आए, पापा ?"

"नहीं बेटा ,आय एम सॅारी।",विशाल थके हुए स्वर में बस इतना ही कह पाया।

उतरे हुए चेहरे के साथ ऋषि अपने कमरे में चला गया।

" मेरा चश्मा बनवा लाए,बेटा।",माँ ने धीमे से स्वर में पूछा।

विशाल ने अपने बैग में से निकाल कर माँ को दिया और सोफे में धंस गया।

"अरे,आप आ गए।मैंने जो सब्जियाँ बताई थी, ले आए हो न। कल अपने घर पार्टी है।", नेहा ने उत्सुकता से विशाल से पूछा।

" एक गिलास पानी मिलेगा।", विशाल ने हल्के से कहा।

नेहा को अपनी गलती का एहसास हुआ।वह फौरन किचिन से पानी से भरा गिलास ले आई।

"आज ऑफिस में बहुत काम था। लेट निकला घर के लिये।कल सुबह सारी सब्जियाँ ला दूंगा।", कह कर विशाल फ्रेश होने चला गया।

खाना खाकर जब विशाल बिस्तर पर लेटा तो उसके पाँव में थकावट के कारण बहुत दर्द होने लगा।उसने ऋषि को पाँव दबाने के लिए आवाज दी।किन्तु ऋषि ने पलट कर फौरन जवाब दिया, " कल स्कूल में मेरा टेस्ट है पापा। तैयारी कर के फिर दबाता हूँ।"

पैरों को बिस्तर में लोटता हुआ,विशाल करवटें बदलने लगा।तभी नेहा ने ऋषि को आवाज़ लगाई, "ऋषि,बेटा ज़रा यह सामान तो फ्रिज़ में रखना।"

ऋषि फौरन भागता हुआ गया और अपनी माँ की मदद की।

नेहा सब काम समेट कर कमरे में बुड़बुड़ाती हुई आई, "सारा दिन निकल जाता है,घर के कामों को करने में। अगर दोपहर में एक घंटा आराम न करूँ, तो मुझसे तो शाम को एक रोटी भी न बने।"

विशाल नेहा की बुड़बुड़ाहट सुनकर नेहा को अपने पैर दबाने की हिम्मत ही नहीं कर पाया।

तभी ऋषि बोला, " माँ,आप कितना काम करती हो। पापा को देखो, बस ऑफिस से आते हैं और लेट जाते है। जो भी काम बताओ, भूल भी जाते हैं।"

नेहा ने उसे बीच में टोकते हुए कहा, " चलो अब चुपचाप सो जाओ। बहुत बोलने लगे हो।"

विशाल अपने पैरों पर दो तकियों का वजन रख कुछ राहत लेने की कोशिश करने लगा और साथ ही एक सोच ने उसके मन में एकाएक जन्म लिया, " क्या अपने किये हुए कामों को सुनाने से कर्ता का और उसके किये गए काम का महत्व बढ़ जाता है !"


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy