महंगा इश्क़ !
महंगा इश्क़ !
अक्सर कहते सुना है लोगों को कि अगर किसी को सच्चे दिल से चाहो तो सारी कायनात हमे उससे मिलाने में लग जाती है। पर ऐसा नहीं है, ये तो उनके लिए है जिन्हें किसी चीज की कमी नहीं होती, और हम उनमें नहीं आते।
हमने तो जन्म ही उस घर में लिया है जिनका अपना कोई घर नहीं है, पर इसके बावजूद भी कभी मा बाप ने किसी चीज कि कमी नहीं होने दी। पढ़ाया लिखाया और इस काबिल बनाया कि हम अपने पैरों पे खड़े हो सके।
हर किसी की जिंदगी में इक ऐसा शख्स जरूर आता है जिससे प्यार हो जाता है। हमे भी हुआ, वो भी बेपनाह हुआ। कई बार सोचा कि उसे बता दे पर नहीं बता सके, आखिर वो थी बड़े घर की लड़की। बचपन में उसे कही जाना भी हो तो घर में गाड़ी थी। और हम तो आज भी सवारी गाड़ी से आते जाते है। और ऊपर से घर की जिम्मेदारियां, जो कभी खत्म ही नहीं होती। अगर कोई चीज खरीदनी हो तो ऐसा नहीं की उनकी तरह गए और खरीद लिया। भाई साहेब २ महीने पहले से प्लान बनाना होता है, और उसमे भी कुछ नयी दिक्कत आ गई तो वो भी नहीं।
साथ में काम करते है, बात करते है पर एक दोस्त की तरह। डर लगता है कि कहीं मेरी भावनाओं को जान कर मजाक ना बना दे। सोचता हूं कि कभी उसके साथ बाहर जाऊं और उसके लिए कुछ लुं। फिर अगले पल याद आता है कि मां की दवा भी तो लानी है।
जितने पैसे की वो एक महीने में शॉपिंग करती है उतने में मेरे घर का राशन आ जाता है। मै ये नहीं कह रहा कि वो अच्छी लड़की नहीं है। वो बहुत अच्छी लड़की है पर हमारा रहन सहन अलग है।
वो एक बड़े घर की लड़की, मै किराए के घर पे रहने वाला लड़का। वो ५ स्टार होटल में पार्टी करने वाली लड़की, मै ढाबे पे पार्टी करने वाला लड़का। वो हवाई जहाज से आने जाने वाली लड़की, मै ट्रेन के स्लीपर क्लास में जाने वाला लड़का। वो पिज़्ज़ा बर्गर खाने वाली लड़की, मै किसी रेडी पे समोसे चाट खाने वाला लड़का। वो गाड़ी बंगला एक साथ खरीदने वाली लड़की, मै एक ५० गज के घर की सारी जिंदगी किस्तें चुकाने वाला लड़का।
पर ऐसा नहीं है कि हमारा इश्क़ सच्चा नहीं होता। अक्सर या तो एक तरफा रह जाता है, या हम खरीद नहीं पाते या कह लो कि हम समर्थ नहीं होते। बहुत महंगा होता है हमारे लिए इश्क़ करना।
बस दिल में ही रह जाता है हमारा ये महंगा इश्क़।