Shakti Srivastava

Drama

4.8  

Shakti Srivastava

Drama

इंतज़ार!

इंतज़ार!

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वो गुस्सा, दर्द, और उससे बिछड़ने का अफसोस ना जाने कहां चला गया, अचानक से। या ये कहे कि जताना छोर दिया। खैर जो भी हो अच्छा ही है।

उससे दूर होने पर ही प्यार को समझ पाया शायद, नहीं तो हम भी शादी को मंजिल और जनम भर साथ रहने को प्यार समझ लेते।

पर नहीं प्यार तो कुछ और ही है। एक वक़्त पे हम भी टूटे थे, बिखरे थे, रोते थे, संभाल नहीं पाते थे खुद को, पर क्या करते, हमारा बस थोड़ी था।.

बहुत अफसोस होता है कि क्यों जाने दिया उसे, पर अपनों की खुशी के लिए, अपने प्यार को ही ना रोक सके। 

पर जबसे प्यार को समझा है, जितना भी समझा है तो लगता है, हमारा बिछड़ना भी जरूरी था।.

अब एक मुस्कान रहती है चेहरे पे, जब जब उसका ख्याल आता है, ये अलग बात है कि हर पल आता है।और ये जरूरी भी है, मेरे कुछ अपने मुस्कुराते है, मुझे मुस्कुराता देख कर।

और हम मिलेंगे इक दिन, कब, कहां, पता नहीं। पर मिलेंगे जरूर, तब तक रहेगा, बस इंतज़ार।

और ये ना कहना कि लड़के कुछ नहीं करते अपनों के लिए साहेब, कभी कभी हम भी बहुत कुछ कर जाते है, और जताते तक नहीं।

जब भी ये कोई कहेगा कि आखिर तुमने किया है किया है अपनों के लिए, तो दिल यही कहना चाहेगा।मुझे किसी और को कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है, ये हमने अपनी जिंदगी में, खुद को, साबित, कर दिया है।.

पर नहीं, अब कहना नहीं है, और शायद मै चाह के भी कह नहीं पाऊंगा। पर हां जब भी ये बात उठेगी, तो बस मेरे चेहरे पे एक मुस्कान होगी और होगा उसका इंतजार!

इंतजार, हमारे मिलने का, इंतज़ार साथ रहने का, इंतज़ार, एक दूसरे में खो जाने का, इंतज़ार, हमारे एक होने का, चाहे जितना भी लंबा हो, 

हर पल रहेगा, पल पल रहेगा, इंतज़ार! बस इंतज़ार !


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