एक और झूठा प्रयास
एक और झूठा प्रयास
एक दिन उसने मुझसे कहा कि अब मै किसी और कि हो गयी हूं और एक दिन तुम भी किसी और से शादी कर लोगे। फिर धीरे धीरे हम दोनों एक दूसरे को भूल जायेंगे। शायद हमारी कहानी का यही अंत हो जायेगा।
तो मैंने कहा, हाँ सच कह रही हो कि हमारी कहानी भी अधूरी रह जायेगी और पूरी तो नहीं होंगी पर पूरी तरह से ख़त्म जरूर हो जायेगी।
आज तुम किसी और कि हो गयी हो। अपना भविष्य बनाते बनाते एक दिन यूँ ही बेवजह शायद मैं भी किसी और का हो जाऊंगा। तुम भी अपनी घर गृहस्थी में व्यस्त हो जाओगी और मैं भी नई नई जिम्मेदारी को निभाने में लग जाऊंगा। फर्क बस इतना होगा कि इतने दिनों से निभाते निभाते तुम्हें आदत हो गयी होंगी पर मेरे लिए सब नया होगा।
शायद मुझे एक बार फिर से प्यार का एहसास होगा और शायद दुनिया फिर से रंगीन लगने लगेगी। शायद एक बार फिर से मै सब कुछ भूल के जीने लग जाऊंगा। शायद एक बार फिर से मैं भगवान का आभार मानने लगूंगा।
धीरे धीरे परिवार बढ़ेगा और एक नए एहसास के साथ एक नई जिम्मेदारी आ जायेगी जिसे निभाने में फिर से लग जाऊंगा। और ये सब निभाते निभाते हम खुद को ही भूल जायेंगे।
पर कब तक व्यस्त रहेंगे, कभी कुछ क्षण के लिए ही सही, पर ऐसा क्षण तो आएगा ज़ब कुछ करने को नहीं होगा। तो उन क्षणों में एक बार फिर हम अपने आप से मिलेंगे। और शायद ये एहसास होगा कि अब तक जो भी हुआ वो अनंत नहीं था, वो था तो बस कुछ क्षण का भ्रम। कुछ छूटा छूटा सा लगेगा।
और फिर एक दूसरे को याद आएंगे हम। ऐसा लगेगा कि जिसके साथ अनंत था वो तो काफ़ी पीछे छूट गया। वो गलियां याद आएंगी जहाँ से गुजरा करते थे, तो वो शामें याद आएंगी ज़ब छुप छुप के मिला करते थे। वो हँसना, वो रोना, वो तुम्हारा रूठना और मेरा मनाना जो शायद मुझे आता भी नहीं था, वो सब याद आएगा। फिर शायद एक पल को भगवान को इसका जिम्मेदार भी समझेंगे कि क्यों हम ना मिले।
और हम दोनों कुछ पलों के लिए अपनी अपनी परिकल्पनाओं
में खो जायेंगे। तभी पीछे से एक आवाज आएगी जो हमें हमारी वास्तविक दुनिया में ले आएगी और कुछ इस तरह से हमारी अधूरी कहानी जो पूरी तरह से ख़त्म हो जायेगी।
और एक बार फिर एक दूसरे को भुलाने का हम दोनों ही करेंगे, " एक और झूठा प्रयास "
