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Dr. Madhukar Rao Larokar

Inspirational

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Dr. Madhukar Rao Larokar

Inspirational

"" मेरी पहली रचना ""(8)

"" मेरी पहली रचना ""(8)

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मैं सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया में, शाखा प्रबंधक था।बात 1989की है। शाखा प्रबंधकों की समीक्षा बैठक में रायपुर (छत्तीसगढ़)क्षेत्रीय कार्यालय गया था।

हमारे क्षेत्रीय प्रबंधक श्री सी के दास ने बैठक के पूर्व मुझे बुलवाया और कहा"डाक्टर, सुना है कि, तुम साहित्य की साधना भी करते हो और लिखते भी हो। "

दास साहब स्नेह से मुझे हमेशा ही डाक्टर कहते रहे।मैंने दास साहब से कहा"हां सर,कोशिश करते रहता हूँ। परंतु अपनी रचना से ,संतुष्ट नहीं हो पाता।"

दास साहब ने मुझसे कहा "मीटिंग के बाद मुझसे मिलो।"

मीटिंग के बाद मैं उनसे मिला।दास साहब ने कहा "डाक्टर, तुम्हारे लिए यह लिटरेचर निकाला हूँ। पढ़ो और पढ़ते रहो।समझने की कोशिश भी करो।जहाँ मेरी जरूरत हो तो मुझे कभी भी फोन करो।हां जब कोई भी,रचना लिखो तो सीधे मेरे पास भिजवाना।मैं उसे पढ़कर बताऊंगा कि किन,शब्दों में कहाँ कमियां हैं, उसे वज़नदार किस तरह बनाया जा सकता है। "

मैंने उनसे कहा"जी सर,जब भी लिखूंगा, उसे आपके पास भिजवाउंगा।,"

चूंकि मैंने हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की थी और लिखने का शौक तो था ही।पढ़ता गया और समझता गया।

मैंने प्रयास किया, रचना को बेहतर लिखने की पुरजोर कोशिश की और जब संतुष्ट हुआ तो दास साहब के पास भेज दी।

मुझे आश्चर्य हुआ कि उन्होंने मेरी पहली रचना "ग्राहक और बैंकर "कविता को पढ़कर मुझे लिखा था"डाक्टर तुममें लेखन क्षमता प्रचुर मात्रा में है।पहली रचना तुमने बहुत अच्छी लिखी है। बस लिखते रहो और साहित्यकार कहलाने का सौभाग्य प्राप्त करो।बधाई। "

श्री सी के दास ने मेरा पहला काव्य संग्रह "पसीने की महक "जो कि वर्ष 1998 में प्रकाशित हुआ था ,में भी आशीर्वचन स्वरूप 24/10/1997को दो शब्द लिखे हैं।



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