मेरी पहचान
मेरी पहचान
ये मेरी कहानी
जैसी मिली ज़िंदगी
बस वैसी ही जी ली
कभी हंसी तो कभी रो ली
यही दो रूप हैं इस ज़िंदगी के
कभी ख़ुशी कभी आंसू की बरसात है ये
ख़ुशिया जब आस पास होती
कितनी ख़ुशी उसने दी
कोई ज़िक्र कोई बात नहीं होती
जब जब आंसू आये आँखों में
तब जा के उस के होने की याद आती है
बनाया उस रब ने जब
एक एक पल का हिसाब किया था
कोई ना जाना
कितनी रातों और दिनों को यूँ ख़राब किया उस ने
बड़ी मेहनत से खूबसूरत सी रचना रची उस ने
जब भेजा ज़मीन पे तो ये ताकीद की होगी
मुझे याद कर लेना कभी
भूल ना जाना मुझे ये उम्मीद की होगी
पर जब यशवी तूने उसे भुला दिया
यहाँ आ कर
अपने संसार को सज़ा लिया
बस उस वक़्त जो उस रब के आंसू निकले
वो ही तेरी आँखों में आयी
नीर की बरसात होगी
जब जब उसे याद किया
जो मुस्कुराहट तेरे लबों पे थी
वो उस ऊपर बैठे रब की
इस ज़िंदगी में होने की आहट थी
आज ये एहसास किया
अपनी ज़िंदगी की कहानी
लिखने वाले को यूँ अपने आसपास होने का पास किया
ना भूली कभी तुझे
इस दुनिया को बनाने वाले
अपनी कहानी यूँ दोहरायी और याद किया तुझे।
