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Yashvi bali

Inspirational Others

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Yashvi bali

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विश्वास भिन्न विश्वास

विश्वास भिन्न विश्वास

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विश्वास (believe) और विश्वास (trust) दोनों में अंतर क्या है?


एक बार, दो बहुमंजली इमारतों के बीच बंधी हुई एक तार पर लंबा सा बाँस पकड़े एक कलाकार चल रहा था । उसने अपने कन्धे पर अपना बेटा बिठा रखा था। सैंकड़ों, हज़ारों लोग दम साधे देख रहे थे। सधे कदमों से, तेज हवा से जूझते हुए, अपनी और अपने बेटे की ज़िंदगी दाँव पर लगाकर उस कलाकार ने दूरी पूरी कर ली।


भीड़ आह्लाद से उछल पड़ी, तालियाँ, सीटियाँ बजने लगी । लोग उस कलाकार की फोटो खींच रहे थे उसके साथ सेल्फी ले रहे थे। उससे हाथ मिला रहे थे । वो कलाकार माइक पर आया और भीड़ से बोला, "क्या आपको विश्वास है कि मैं यह दोबारा भी कर सकता हूँ ?

भीड़ चिल्लाई, "हाँ हाँ, तुम कर सकते हो ।"


उसने फिर पूछा, क्या आपको विश्वास है, भीड़ चिल्लाई... हाँ... हां, पूरा विश्वास है, हम तो शर्त भी लगा सकते हैं कि तुम सफलता पूर्वक इसे दोहरा भी सकते हो।


कलाकार बोला, पूरा पूरा विश्वास है ना। भीड़ बोली हाँ हाँ

कलाकार बोला, "ठीक है, कोई मुझे अपना बच्चा दे दे, अब मैं उसे अपने कंधे पर बिठा कर रस्सी पर चलूँगा ।"


फिर एक दम खामोशी, शांति, और चुप्पी सी फैल गयी।

कलाकार बोला, डर गए...!"अभी तो आपको विश्वास था कि मैं कर सकता हूँ। असल में आप का यह विश्वास (believe) है, पर मुझमें विश्वास (trust) नहीं है । दोनों विश्वासों में फर्क है साहेब !


यही भ्रम सब को है, "ईश्वर हैं !".... ये तो विश्वास है ! परन्तु ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं है ।


You only believe in God, but you don't, trust him.


अगर ईश्वर में पूर्ण विश्वास है तो चिंता, क्रोध और तनाव क्यों ?

परमात्मा में विश्वास करके देखो सभी मुश्किलें आसान हो जायेगी।


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