Sheikh Shahzad Usmani

Romance Tragedy Fantasy

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Sheikh Shahzad Usmani

Romance Tragedy Fantasy

मेरी मखणा, मेरी सोणिये चन बलिए

मेरी मखणा, मेरी सोणिये चन बलिए

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"एक वो दीवाली थी.. और एक यह दीवाली... सानिया!" 

"...'सानिया'! वाओ... व्हाट अ ग्रेइट सर्प्राइज़ माई डिअर 'शोएब'!" 

पवन और शशि ने आख़िर एक-दूसरे को ऐसे संबोधित कर दीपावली के अनोखे उपहार दे ही दिये एकदूजे को।

"वो दीवाली और यह दीवाली ... अब दोनों हमारे लिए बेमिसाल हो गईं... अमिट निशानियाँ दे गईं। आज वर्षों बाद तुमने मुझे 'सानिया' और मैंने तुम्हें 'शोएब' कहकर पुकारा।" शशि ने पवन के हाथों से डिजिटल कैमरा लेते हुए कहा और उसने भी पवन के दो चार फोटोज खींच लिए।

फ़िर वे दोनों अतीत में खोते हुए अपने कॉलेज के दिनों की बातें करने लगे। बात उन दिनों की होने लगी, जब सानिया मिर्ज़ा की शादी नहीं हुई थी। उसके प्रति ग़ज़ब की दीवानगी थी कॉलेज के कुछ लड़कों में। उधर टेनिस की दुनिया में सानिया छायी हुई थी और इधर शशि और पवन की बी.एस-सी. सैकण्ड ईयर की क्लास में कुछ लड़कों के दिलो-दिमाग़ में।

"याद है न पवन, उस मज़ाकिया फाईट में कैसे 'लव एट फर्स्ट साइट' हुआ था हमें।" शशि ने पवन की बाहों में लगभग झूलते हुए कहा।

"तुम्हें हुआ होगा पहली बार लव महसूस। मुझे तो तुम से एक तरफ़ा प्यार काफ़ी पहले से था, जब तुम सानिया मिर्ज़ा जैसी लुक में पहली बार न्यू स्टूडेंट के रूप में क्लास में आयीं थीं, तभी  से।"

"अच्छा! लेकिन मैं तो उस फ़ाइट की बात कर रही हूँ जब अपनी क्लास के लड़के 'मेरे रश्के क़मर तू ने पहली नज़र...' वाला गाना गाकर मुझे चिढ़ा रहे थे और तुम अपना ज्ञान बघार कर उन्हें दो शब्दों 'कमर' और 'क़मर' के सही मतलब समझा कर गाने की उस लाइन का सही मतलब समझाने लगे थे।"

"हाँ, शशि मुझे हैरत होती है ऐसे युवाओं पर जो उर्दू शब्दों के सही मतलब समझे बग़ैर गानों को ग़लत मतलब दे देते हैं। ... वैसे उन दिनों लुकवाइज़ जितनी तुम सानिया मिर्ज़ा जैसी ग्लैमरस लगतीं थीं, उतनी ही सैक्सी तुम्हारी पतली कमर थी। तुम्हारी हिरणी जैसी चाल पर क्लास के जो लड़के फ़िदा थे न, वे अपनी नोटबुक्स में सानिया मिर्ज़ा के सैक्सी फोटोज़ रख कर लाते थे...और स्मार्ट फ़ोन्स में भी। लेकिन घूरते तुम्हें थे।"

"...और तुम्हारी जान निकल जाती थी और उनसे उलझ जाते थे। ... मैंने कभी तुम्हें बताया नहीं... उन लड़कों में से एक ने तो टेनिस कोर्ट में खेलते समय मुझे पीछे से कंधे के नीचे से बैड टच भी किया था।"

"वो मुझसे तो अच्छा था। मैं तो... न कभी तुम्हें छू सका था और न ही तुमसे अपने दिल की बात कह सका था उन दिनों। ... वैसे टैनिस खेलते समय तुम मुझे सौ फ़ीसदी सानिया मिर्ज़ा ही लगती थीं। ऐसा लगता था कि तुम उसके गेम की ज़बरदस्त फैन थीं और तुम्हारा गेम उससे प्रेरित भी लगता था, शशि।"

"अच्छा! तो पवन, तुम इतने ग़ौर से मुझे खेलते हुए देखते थे!"

"तुम्हें ही नहीं... टीवी पर सानिया मिर्ज़ा को भी खेलते देखता था बड़े ग़ौर से। यूँ समझो कि उसमें तुम्हें देख कर संतुष्ट हो जाता था एक तरफ़ा पागल प्रेमी की तरह।"

"अच्छा, सुनो रात के बारह बजने वाले हैं। तुम भी थक गये होगे। दीवाली का यह दिन भी सदा याद रहेगा।"

"यह दिन इसलिए भी याद रहेगा कि ऑस्ट्रेलिया से हमारे दोनों बेटों ने आज भी फ़ोन पर भी कॉन्टैक्ट नहीं किया। ऐसी नौकरी और ऐसी कमाई भी किस काम की। काश तुम मेरी बात मान लेतीं और उन्हें विदेश माइग्रेट न करने को समझातीं।"

"ओह पवन! अपने दिल को भारी मत करो। जी लेने दो उन दोनों को अपनी-अपनी ज़िन्दगी अपने हिसाब से।" यह कहकर शशि ने पवन का हाथ थामा और बैडरूम की ओर जाती हुई बोली, "तुम भी अपनी ड्रेस चेंज कर लो अब। तब तक मैं अलमारी से सानिया मिर्ज़ा और शोएब वाला वो एलबम निकाल कर लाती हूँ, जिसमें हमारे साथ उनकी सेल्फ़ीज़ भी हैं।" शशि ने सानिया मिर्ज़ा की स्टाइल में पोज़ बनाते हुए कहा।

कुछ पलों बाद दोनों नाइट सूट पहने बिस्तर पर बैठ कर वह एलबम देखने लगे।

"ये देखो! ये उस समय की फ़ोटो है, जब तुमने सानिया मिर्ज़ा के ऑटोग्राफ़ लिये थे। ये फोटो मैं खींच रही थी और तुम सानिया से पूछ रहे थे कि शोएब से उन्हें प्यार कैसे और कब हुआ था। इतना पर्सनल सवाल... ऑटोग्राफ़ लेते वक़्त। वाह जनाब!"

"शशि, उन दिनों जब तुम मुझे 'शोएब' कहकर पुकारने लगीं थीं, तो मेरा सवाल और जिज्ञासा बिल्कुल वाजिब थी। वो तो भला हो उस ईवेंट ऑर्गनाइज़र का, जिसने सानिया मिर्ज़ा को चीफ़ गेस्ट बनाया और समय सीमा में हमारे टिकट भी बुक हो गये थे।"

"रिअलि, थैंक गॉड! ... ये देखो... ये फोटो तुमने उस समय उतारी थी, जब सानिया हमें बता रही थी कि दोनों की पहली मुलाकात कैसे हुई। यह मुलाकात होबार्ट, ऑस्ट्रेलिया के एक रेस्टोरेंट में हुई थी। सानिया ने अपनी लवस्टोरी के बारे में बताया था, " हम दोनों सोशली एक-दूसरे को जानते थे, लेकिन रेस्टोरेंट में हम एक-दूसरे से मिले। इस रेस्टोरेंट में छह बजे के बाद किसी जानवर या पक्षी को भी नहीं देख सकते, आदमी की तो बात ही छोड़ दीजिए ...!" उन्होंने आगे यह भी कहा था, ''ईमानदारी से कहूं तो हमारा मिलना नियति था। बाद में मुझे पता चला कि वह यह जानकर ही रेस्टोरेंट में आए थे कि मैं यहां आने वाली हूं। मैं सारा श्रेय नियति को दे रही हूं जबकि ऐसा नहीं है।''

"बस करो शशि... तुम सानिया के बारे में बताना शुरू करती हो तो रुकती नहीं हो।.... तुम्हारा बस चलता, तो अपने पहले बेटे का नाम भी इजहान रख लेतीं, है न। कुछ फोटोज शोएब और बच्चों के भी तो दिखाओ।"

शशि ने अपनी कमेंट्री रोक कर एलबम के पन्ने तेजी से पलटने शुरू कर दिये। लेकिन तभी पवन ने उसे टोकते हुए कहा, "रुको.. पिछला वाला पन्ना फ़िर से खोलो। पूरा जीवन परिचय है सानिया मिर्ज़ा का इस पेज पर.। ... देखो तो क्या ग़जब का टेनिस खेलती थी... कि इतने सारे अवार्ड और सम्मान मिले। ... लेकिन...।"

"क्या लेकिन?" शशि ने चौंक कर पवन से पूछा।

"लेकिन शादी होने और माँ बनने के बाद सानिया में वो बात न रही, शशि।"

यह सुनकर शशि ने एलबम एक झटके में बंद कर दूसरी तरफ़ पटका और ज़ोर से बोली, "तुम कहना क्या चाहते हो 'मिस्टर शोएब'... आइ मीन पवन। इस उम्र में भी जवानी वाला लुक और ग्लैमर चाहिए आपको। सब मर्द एक से होते हैं।"

"छोड़ो यार, तुम भी। ... मैं तुम्हारे लिये थोड़े न कह रहा था। तुम तो अब भी क्यूट और ग्लैमरस हो मेरा चाँद... मेरी शशि... मेरी मखणा, मेरी सोणिये चन बलिए...।" यह कहते हुए पवन ने शशि को कम्बल के अंदर समेट लिया और वातावरण गरम होने लगा।


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