मेरे पापा मेरे हीरो
मेरे पापा मेरे हीरो
डॉक्टर नेे बताया, बधाई हो बेटी हुई है ! मैंने पूरे अस्पताल मे मिठाई बाँटा क्योंकि मुझे मेरी माँ जैसी बेटी ही चाहिए। क्योंकि माँ से मुझे बहुत ही लगाव था। मीनू जब चलती तो उसके छोटे छोटे पैरों की पायल की गूंज पूरे घर में दौड़ जाती। मुझे याद है उसने पहली बार जब पापा बोला मैं कितना खुश हुआ। मैंने उसे अपने गोद में उठा लिया। घंटों मैं उससे बोलता रहा, बेटा पापा बोलो,पा.....पा, और वो गर्दन मटकाने लगती। मैं उसकी हर शैतानी पर बहुत हंसता। जब मीनू तीसरी क्लास में थी। उसने पापा के ऊपर निबंध लिखा। उसने लिखा मेरे पापा हीरो हैं। जो उसने अपने शब्दों में लिखा था। दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं है, जो पापा मेरे लिए नहीं ला सकते। ऐसा कोई काम नहीं जिसे मेरे पापा मेरे लिये नहीं कर सकते। मेरे पापा मेरे हीरो हैं। मैंने न जाने कितनी बार उस निबंध को पढ़ा। जब भी मैं उसे पढ़ता तो मुझे एक सफल पिता की झलक उसमें दिखती। मेरी बेटी सुबह की चाय अपने हाथों से बनाकर पिलाती और खुद भी मेरे साथ पीती। धीरे धीरे मेरी बेटी दादी अम्मा बन गई। मैं उसमें अपनी मां की छवि देखता। हर बात पर मुझे डांटना। पापा आप ऐसे क्यों करते हो ? पापा आप ऐसे क्यों नहीं करते उसके हर सवाल को मैं मजाक में उड़ा दिया करता। जब कभी घर के अंदर चप्पल पहन कर आ जाता तो डाँटती मानो मेरी मां ही मुझे डाँट रही हो। गुस्सा करती, बोल देता बेटा मुझे नजर नहीं आया। पापा आप रोज ऐसे ही करते हो। अच्छा, अब नहीं करुंगा।
मैने मीनू को शहर मे पढ़ने के लिए भेजा। सचमुच जिस दिन वह जा रही थी उस दिन मैं बहुत रोया। रीना ने समझाया अभी तो बेटी कॉलेज जा रही है। आप अभी से इतना रो रहे हैं। जिस दिन ससुराल जाएगी उस दिन कितना रोयेंगे ?
अब कॉलेज की पढाई भी पूरी हो गई। तलाश शुरू हुई अच्छे लड़के की जो मेरी बेटी को मेरी तरह खुश रख सके। उसके लिए मैं कोई भी कीमत देने के लिए तैयार था। अच्छे से अच्छा घर, अच्छे से अच्छा परिवार मैं उसके लिए देखना चाहता था। मैंने एक अच्छे घर में उसका रिश्ता तय किया। जहां किसी चीज की कोई कमी नहीं थी। मुझे लगा कि मेरी मीनू उस घर मे बहुत ही सुख से रहेगी। मैने बहुत सा दान दहेज देकर उसकी शादी कर दी। उसकी विदाई के समय मैं बहुत ज्यादा रोया। उसकी विदाई हुई तो बाहर मैं घंटों खड़ा होकर रोता रहा।
उसके जाने के बाद भी उसको भूलना नामुमकिन था। जब भी चप्पल पहनकर घर के अंदर जाता तो मीनू की याद आती। जब भी एक कप चाय पीने का मन होता तो मुझे मीनू की याद आ जाती। शादी के बाद मीनू जब घर आती, मैं उसके चेहरे को पढ़ता। वह खुश तो है ना। उसकी मुस्कुराहट में जैसे मैं उसकी यादों को भुला देना चाहता था।
पर न जाने क्यों ? उसे देख कर लगता है बहुत कमजोर हो गई है । कई बार मैं मीनू से प्यार से बिठाकर पूछता बेटा कुछ कमजोर लग रही हो तो उसने नजर चुराते हुये कहा, पापा आजकल जीरो साइज का फैशन है। जितनी ही पतली रहुंगी उतनी ही सुंदर दिखूंगी। मीनू दिन पर दिन उदास और गंभीर होती चली गई। फैशन का चश्मा पहना कर कितनी आसानी से उसने मुझे बेवकूफ बना दिया। मैं कैसे नहीं देख पाया उसके दर्द को। आज मेरी मीनू मेरे सामने जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है पापा से अपने घर मे उसके साथ हुये प्रताड़ना का जिक्र भी नहीं की। कभी अपने साथ हुये मानसिक, शारिरिक शोषण के बारे मे भी नहीं बताया। मीनू मेरे पास क्यों नहीं आई ? उसने क्यों नहीं कहा, पापा मुझे इस नर्क से निकाल लो। मैं उसे वहाँ कभी नहीं रहने देता। चाहे मैं खुद बिक जाता, पर मैं उसे वहां से निकाल लेता। मैं उसके लिए अब लड़कर क्या करूंगा ? जब वह ही नहीं रहेगी ? मैं उसके लिये हर बड़ी से बड़ी लड़ाई लड़ता। मुझे इस लायक क्यों नहीं समझा कि मुझसे अपने मन की बात कहती। पुलिस के फोन से पहले उसका फोन आया होता, तो इतना झमेला नहीं होता। मैं उसी समय उसको अपने घर लेकर आता। मैं उसे समझाता, मीनू मैं हूं ना ! ! जब तक मैं हूं, तब तक दुनिया में कोई दुख तुम्हें नहीं छू सकता। वह क्यों भूल गई कि उसके पापा उसके लिये सारी दुनिया से लड़ सकते हैं। आज जहर की गोली खाकर अस्तपताल मे जिंदगी और मौत से जूझ रही है। पुलिस सुसाइड का केस बनाये हुये है। पैसा पानी जैसा बहाकर मीनू को अस्तपताल, पुलिस एवं नरक तुल्य ससुराल से घर लेकर आया।मेरी मीनू मेरे घर आ गई। मैंने उसे बहुत ही मान प्यार से घर मे रखा।
मीनू को मेरे पास रहते सात साल हो गये। सात साल मे मीनू ने फैशन डिजाइन का कोर्स कर फैशन के क्षेत्र मे अपना मुकाम हासिल कर लिया। अब मैं अपनी जिंदगी के आखिरी पड़ाव मे यही चाहता था कि मेरी मीनू को एक अच्छा जीवनसाथी मिल जाये। संयोग से अमन से मेरी मूलाकात हो गई। अमन सुलझा हुआ इंसान लगा। मीनू से शादी करने के लिये कहा तो मीनू तैयार नहीं हुई। पर भविष्य का हवाला देकर उसकी शादी अमन से कर दी। आज अमन का फोन आया कि आपको नातिन हुई है। मैं जल्दी से मीनू के पास पहुंचा। मीनू की बेटी को गोद मे उठाया। मुझे नातिन मे मीनू की छवि दिखाई दी। मैने मीनू के माथे को सहलाते हुऐ कहा बेटा जितना तुम्हें जुल्म सहना था सह ली। पर अब मेरी नातिन को जुल्म सहना नहीं सिखाना। जुल्म करने वाले से बड़ा जुल्म सहने वाला होता हैं।
मेरे पापा मेरे हीरो कैसा लगी मेरी कहानी ?