मेरे बच्चे के लिए मैं ही काफी हूँ
मेरे बच्चे के लिए मैं ही काफी हूँ
"एक औरत सब कुछ सह सकती है ,लेकिन एक माँ नहीं। तुम्हारे लिए चाहे मेरा बच्चा असामान्य है ,लेकिन मेरे लिए सिर्फ मेरा बच्चा है। अगर किसी ने भी मेरे बच्चे के नज़दीक आने की कोशिश की तो उसकी जान ले लूँगी। ",कावेरी ने एक हाथ में अपने बच्चे को और दूसरे हाथ में चाक़ू थामे हुए कहा।
"कावेरी, तुम पागल हो गयी हो। यह समाज तुम्हारे बच्चे को कभी स्वीकार नहीं करेगा। किन्नर भले ही लोगों की खुशियों में शामिल हों ,लेकिन लोग उन्हें अपनी दुनिया में शामिल नहीं करते। ",कावेरी के पति अमर ने भरसक समझाने का प्रयास करते हुए कहा।
कावेरी और अमर एक आम शादीशुदा युगल था। शादी के बाद जब कावेरी पहली बार गर्भवती हुई ,तब उसका गर्भ ससुराल वालों ने यह कहकर गिरवा दिया कि उन्हें पहला बच्चा लड़का ही चाहिए। मजबूर कावेरी की ससुराल वालों और पति के सामने एक नहीं चली। कावेरी आज भी अपने अजन्मे बच्चे को बचा न पाने के कारण स्वयं को कोसती रहती है।
कावेरी दोबारा गर्भवती हुई ,इस बार गर्भस्थ शिशु लड़का ही था। कावेरी के ससुराल में सभी लोग बहुत खुश थे। "चलो इस बार तो मुझे किसी ह्त्या का भागीदार नहीं बनना पड़ेगा। ",यह सोचकर कावेरी भी बहुत खुश थी।
गर्भावस्था का समय पंख लगाकर उड़ गया था। असहनीय प्रसव पीड़ा के पश्चात कावेरी के हाथों ने अपनी ज़िन्दगी का हाथ थाम लिया था। कावेरी के हाथों में उसकी ज़िन्दगी का सबसे ख़ूबसूरत उपहार था। वह अपने बच्चे के हाथों का स्पर्श पाकर अपनी सारी तकलीफ भूल गयी थी।
अभी कावेरी अपनी ज़िन्दगी के सबसे ख़ूबसूरत क्षणों को जी ही रही थी कि उसके सास-ससुर और अमर ने उसके कमरे में प्रवेश किया। उनके चेहरों पर वह ख़ुशी नहीं थी ,,जिसकी उम्मीद कावेरी को थी।
"अब तो पहला बच्चा लड़का ही है। फिर भी इन लोगों के चेहरे पर 12 क्यों बजे हुए हैं ?"कावेरी ने उनके मुरझाये चेहरे देखकर अपने आप से कहा।
"कावेरी ,यह बच्चा तुम्हारे साथ नहीं रह सकता। ",कावेरी के ससुर जी ने कहा।
कावेरी ने अपने पति अमर की तरफ कातर निगाहों से देखा ,"मानो पूछ रही हो ?क्यों भला ?"
"यह एक हिंजड़ा है। इसे उन्ही की दुनिया में जाना होगा। हम अपने खानदान पर यह दाग नहीं लगने देंगे। ",कावेरी के ससुर जी ने कहा।
"पहला बच्चा लड़की था और अब दूसरा हिंजड़ा। इसने तो हमारी नाक ही कटा दी है। ",कावेरी की सास ने कहा।
अपने बच्चे को खुद से दूर किये जाने की बात सुनते ही ,कमजोर कावेरी में न जाने कहाँ से दुनिया जहान की ताकत आ गयी थी। उसने वहाँ फल काटने के लिए रखे हुए चाक़ू को उठा लिया था।
कावेरी के उस रूप को देखकर अमर ने अपना अंतिम पासा फेंकते हुए कहा कि ,"कावेरी तुम्हें मुझमें और इस हिंजड़े में से किसी एक को चुनना होगा। "
"इसे हिजड़ा मत बोलो। अब तो सरकार भी इन्हें तृतीय लिंग कहती है। अब तो इनकी भी पहचान है। पढ़-लिखकर यह भी तुम्हारी और मेरी जैसी सामान्य ज़िन्दगी जी सकता है। तुम्हारा अंश है ,तुम इससे कैसे मुँह मोड़ सकते हो। ",कावेरी ने अमर को फिर समझाने का प्रयास किया।
"तुम्हारी यह बातें किताबों और भाषण में अच्छी लगती हैं। तुम इस हिजड़े और मेरे दोनों के साथ नहीं रह सकती। तुम्हें किसी एक को चुनना ही होगा। ",अमर ने दो टूक कहा।
"मैंने चुन लिया है। एक माँ के लिए उसका बच्चा ही सब कुछ होता है। ",कावेरी ने अपने बच्चे को गले लगाते हुए कहा।
"बेटा ,इस औरत से बात करने का कोई फायदा नहीं। यह तो हमारे खानदान पर बदनुमा दाग है। अब इससे तलाक लेकर ,तेरी दूसरी शादी करवाएंगे। ",कावेरी की सासू माँ ने कहा।
"आप लोगों की घटिया सोच बदनुमा दाग है। मुझे भी ऐसे खानदान और लोगों से कोई रिश्ता नहीं रखना ,जिनमें इंसानियत नाम की कोई चीज़ नहीं है।मेरे बच्चे के लिए मैं ही काफी हूँ ",कावेरी ने अपना मुँह फेरते हुए कहा।