मेरा रायगढ़
मेरा रायगढ़
मेरा शहर एक परिचय-
रायगढ़..
रायगढ़ नाम सुनते ही न जाने क्यों दिल में एक सम्मान का भाव उत्पन्न होता है, राजा चक्रधर सिंह की प्रतिमा व विश्व विख्यात "चक्रधर समारोह" का वह देदीप्यमान नजारा मन को आह्लादित करने लगता है तो वहीं "पहाड़ मंदिर" में स्थित बजरंगबली के मंदिर की घंटियों की नाद श्रद्धा भाव से हृदय स्पर्श करने लगती हैं, महानदी की सहायक नदी "केलो" रायगढ़ के वक्ष स्थल के बीचों-बीच बीच प्रवाहित होती है । प्रभु श्री राम के चरण पास ही के स्थल "राम झरना" पर पड़े जिससे यह क्षेत्र और भी पावन हो गया । पुरातत्व अभिलेखों के साक्ष्य "कबरा पहाड़ और सिंघनपुर की गुफाओं" से प्राप्त हुए हैं जो यहां के ऐतिहासिक धरोहर हैं।निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी "जिंदल स्टील इस्पात कारखाना" के कर्मचारी इधर-उधर परिलक्षित होते हैं।
सेठ "किरोड़ीमल जी" के द्वारा निर्मित कॉलेजों से नवीन युवा वर्ग के जोश देखने ही बनते हैं ।
स्कूली शिक्षा समाप्त करने के पश्चात मेरा यहॉं आगामी अध्यापन हेतु आना हुआ। ग्रामीण क्षेत्र से होने के कारण रायगढ़ मेरे लिए वही स्थान रखता था जैसे वर्तमान में दिल्ली मुंबई जैसे शहर रखते हैं और जीवन पर्यंत इस शहर को सम्मान की दृष्टि से ही देखते रहेंगे ।