गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Inspirational

4  

गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Inspirational

नारी तुम नारायणी

नारी तुम नारायणी

1 min
544


नारी तुम नारायणी सदा सुखों का समर्पण हो,

ममता की मूरत प्रत्यक्ष प्रदर्शित कोई दर्पण हो ।

तुम हो अनुसुइया सीता सी सती,

अहंकार का परित्याग तुम ही संधि प्रत्यर्पण हो ....(१)


युगों-युगों से तुमने अपना सर्वस्व बलिदान किया है,

सहमे हुए बचपन को तुमने अभय दान दिया है ।

कभी मनु लक्ष्मीबाई तो कभी दुर्गावती बन,

सोई समाज को तुमने ही नव उत्थान दिया है ।।

तुम हो आस-विश्वास तुम ही प्रेम पदार्पण हो,

नारी तुम नारायणी सदा सुखों का समर्पण हो,

ममता की मूरत प्रत्यक्ष प्रदर्शित कोई दर्पण हो ...(२)


अस्थियां तोड़कर जीवन प्रदायिनी तुम ही अंगदाई हो,

क्षमामई दयामई तुम ही भावों की गहराई हो ।

सिंदूर और मंगलसूत्र संग लिए,

सात जन्मों का रिश्ता तुम ही सदा निभाई हो ।।

भीष्म जन्मती गंगा तुम,तुम से ही पावन तर्पण हो...

नारी तुम नारायणी सदा सुखों का समर्पण हो,

ममता की मूरत प्रत्यक्ष प्रदर्शित कोई दर्पण हो ...(३)


तुम हो मधुर मुस्कान तुम से ही क्रोध अवक्षेपण हो,

समाज का समर्पण हो तुम,तुमसे ही प्रेम आरोहण हो ।

जिसने परोपकार में सर्वस्व त्याग दिया,

भार्या वृद्धा सखी तनया इन पर न दोषारोपण हो ।।

नारी तुम नारायणी सदा सुखों का समर्पण हो,

ममता की मूरत प्रत्यक्ष प्रदर्शित कोई दर्पण हो ..। (४)


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational