तुम हो अनुसुइया सीता सी सती, अहंकार का परित्याग तुम ही संधि प्रत्यर्पण हो ....(१) तुम हो अनुसुइया सीता सी सती, अहंकार का परित्याग तुम ही संधि प्रत्यर्पण हो ......