मेरा हिंदुस्तान
मेरा हिंदुस्तान
रमन अपनी मां से विदाई लेते हुए विदेश में पढऩे के लिए जा रहा था। आज मां को बहुत बेचैन हो रही थी कि उनका इकलौता पुत्र उच्च शिक्षा पाकर देश में लौटेगा। रमन ने कहा-एक दिन डाक्टर बनकर आऊंगा और आपकी सेवा कर नाम कमाऊंगा। यह वचन देकर रमन रवाना हो गया।
.... बेचारी रानी का पति पहले ही स्वर्ग सिधार चुका था। केवल एक ही आशा रमन पर टिकी थी। खाना बनाकर, बर्तन साफ कर विभिन्न घरों से जो कुछ पैसे मिलते उसमें अधिकांश रमन की पढ़ाई, कपड़े आदि पर खर्च कर देती। वह स्वयं खुद बहुत तकलीफ में जीती परंतु कभी उसने अपने पुत्र को आभास नहीं होने दिया। आज उनका पुत्र 18 वर्ष का हो गया था और विदेश में पढऩे जा रहा था। मां ने कहा कि बेटा जब भी याद करूं तुरंत चलकर आना। मेरी प्रतीक्षा मत करवाना। यही कारण है कि जब कभी कोई पर्व आता रमन घर वापस आता। बेचारी रानी बहुत अधिक राशि इक_ा करती जिससे रमन के विमान का खर्चा देना होता था किंतु अधिक पैसे कमाने की ललक में रानी एक नहीं कई घरों में बर्तन आदि साफ करके पैसे कमाने लगी ताकि उनका पुत्र अच्छी प्रकार पढ़ सकें।
पढ़ लिखकर रमन एमबीबीएस की परीक्षा देनी शुरू कर दी। उसके मन में बड़ी खुशी थी उसने अपनी मां को पत्र लिखा कि मां मेरे हिंदुस्तान से बड़ा कोई देश नहीं। यहां का खान पान रहन सहन, माता पिता के प्रति आदरभाव, गुरुजनों का आशीर्वाद कहीं नहीं मिलता। ऐसा हिंदुस्तान अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि मां आपके हाथों से बनाया हुआ ताजा खाना बहुत याद आ रहा है। यहां बढिय़ा खाना देसी खाना नहीं मिलता। मैं सूखकर कांटा हुआ जा रहा हूं। रानी ने भी पत्र भिजवाया और कहा कि निश्चित रहो, बेटा जल्दी तुम आओगे तो मैं तुम्हें अपने हाथों से बढिय़ा खाना खिलाऊंगी। रमन देर रात तक पढ़ता और बेहतर परीक्षा देकर अपने वतन को लौट आया। अपने देश में मां का प्यार एवं खाना मिला। रमन बहुत खुश था कि जल्द ही पास हो जाऊंगा।
अभी दो माह बीते थे एक पत्र उन्हें प्राप्त हुआ पढ़कर रमन को बड़ी खुशी हुई और अपनी मां से लिपट गया कि "मां- मैं आज पास हो गया। मैंने मेहनत से परीक्षा पास की है। अब देश के लोगों की सेवा करूंगा, सबसे पहले मैं अपनी मां की सेवा करूंगा फिर लोगों की सेवा करूंगा। समाज में नाम होगा।" अभी दो दिन बीते थे कि एक और पत्र प्राप्त हुआ जिसमें विदेश का हवाला देते हुए उन्हें बड़ी नौकरी देने का और भारी पैसे प्रतिमाह देने का वादा किया गया था। पढ़कर रमन को मायूसी हाथ लगी। मां ने पूछा "बेटे क्या बात है? "रमन ने कहा "मुझे विदेश में नौकरी पर बुलाया है और भारी पैसे देेने का वादा किया है।" मां ने तुरंत कहा-"तो चले जाओ, पैसे कमाना।" रमन की आंखों में आंसू आ गए। कहा कि "मैंने कभी नहीं सोचा था आप ऐसा कहोगी। हिंदुस्तान में कितने गरीब लोग हैं। मैं इसलिए पढ़ कर आया हूं ताकि लोगों की सेवा कर सकूं। माता-पिता जीवन में एक बार मिलते। मैं उनकी सेवा करूंगा, अब चाहे वो मुझे करोड़ों रुपये एक दिन के दिन तो भी मैं सेवा नहीं करूंगा। मैं हिंदुस्तान में रहूंगा और लोगों की सेवा करते हुए नाम कमाऊंगा।" मां की आंखों में आंसू आ गए। "बेटा- सचमुच तुम महान हो। ऐसे ही महानता के काम करते रहना एक दिन देखना पड़ा नाम होगा।" इतना सुन रमन अपनी मां से लिपट गया और दोनों खुशी के मारे घंटों रोते रहे।