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Priya Silak

Tragedy Inspirational Thriller

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Priya Silak

Tragedy Inspirational Thriller

मेरा बेटा

मेरा बेटा

7 mins
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प्राची अभी तैयार होकर घर से निकल ही रही थी। उसकी सास मालती जी ने टोक दिया – ‘‘बहु कहां जा रही हों।


प्राची ने बहुत विन्रमता से जवाब दिया – ‘‘मांजी पापा की तबीयत बहुत खराब है मॉं बहुत घबरा रही है। उन्हें देखने जा रही हूं।’’ यह कहकर प्राची बिना जवाब का इंतजार किये घर से बाहर निकल गई


मालती जी को उसका व्यवहार अच्छा नहीं लगा लेकिन पिता की बीमारी की खबर सुनकर वे चुप रह गईं।


प्राची जल्दी से घर पहुंची तो देखा पापा का खांसी की वजह से बुरा हाल था। प्राची ने मॉं से कहा – ‘‘मैंने आपसे पहले ही कहा था कि पापा को किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा लेते हैं। खांसी बढ़ती जा रही है लेकिन आप दोनों किसी की सुनते नहीं हो तुम पापा को संभालो में आटो लेकर आती हूं हम बड़े हॉस्पिटल चलेंगे।


प्राची पापा को लेकर अस्पताल पहुंच गई। वहां डॉ. ने उन्हें एक इंजेक्शन लगा दिया जिससे उन्हें कुछ आराम मिला।


डॉक्टर ने प्राची से कहा – ‘‘देखो अभी तो हम इन्हें एडमिट कर रहे हैं। कल इनके सारे टेस्ट करेंगे उसके बाद ही ठीक से इलाज शुरू होगा।’’


प्राची पापा को एडमिट करा कर घर पहुंची तो उसके पति अमित उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। अमित ने जाते ही प्राची से पूछा – ‘‘कैसे हैं पापा तुम तो उन्हें देखने गईं थीं कितनी देर लगा दी तुम्हें पता है न मॉं से खाना नहीं बनता आज सब भूखे बैठे हैं। कम से कम पापा को सोचती अपने घर ही जाकर बैठ गईं’’


यह सुनकर प्राची की आंखो से आंसू छलक उठे उसने किसी तरह अपने आप को संभालते हुए कहा – ‘‘पापा की तबियत बहुत खराब थी। उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करा कर आ रही हूं। आप सब बैठिये अभी में दस मिनट में आप सबके लिये खाना बना देती हूॅं’’


यह सुनकर अमित का गुस्सा कुछ शांत हुआ उसने कहा – ‘‘नहीं रहने दो खाना मैंने बाहर से ऑडर कर दिया है तुम बस मॉं के लिये एक दो रोटी सेक देना वे बाहर का नहीं खाती तुम जाकर नहा लो हॉस्पिटल से आई हों।’’


प्राची को अमित का उसकी केयर करना अच्छा लगा। वह जल्दी से नहाने चली गई। नहा कर उसने मांजी के लिये खाना बना कर उन्हें परोस दिया। वह जल्दी जल्दी खाना बना रही थी। उसका मन पापा की ओर लगा था। पता नहीं अब कैसे होंगे। वह फोन करना चाह रही थी।


सब काम जल्दी से निबटा कर वह छत पर चली गई वहां उसने मॉं को फोन लगाया – ‘‘मॉं अब कैसी तबीयत है पापा की’’


मॉं ने कहा – ‘‘बेटा तेरे जाने के बाद तो इनकी तबियत और बिगड़ गई थी इनके खांसी के साथ खून भी आ रहा था। डॉक्टर ने तुरंत सारे टेस्ट कर लिये सुबह तक रिर्पोट आ जायेगी मेरा मन बहुत घबरा रहा है तू अभी आ सकती है क्या’’


प्राची ने कहा – ‘‘ठीक है मॉं मैं आती हूं’’


तभी मॉं ने कहा – ‘‘अरे मेरा दिमाग तो काम नहीं कर रहा तू इतनी रात को कैसे आयेगी तू सुबह आ जाना और एक काम कर देना मेरे पास चेक बुक है सुबह दस हजार जमा करने हैं तभी इलाज शुरू होगा तू मेरे से चेक लेकर बैंक से पैसे निकाल कर यहां जमा करा देना’’


कुछ देर बात करके प्राची नीचे आ गई। उसने देखा सब सोने जा चुके थे वह रसोई में जाकर काम निबटाने लगी। आज उसे अपना बचपन याद आ रहा था। उसके पापा कहते थे – ‘‘मेरे बेटा नहीं है तो क्या हुआ बेटी है न इसे मैं इस काबिल बनाउंगा कि यही मेरा बेटा बनेगी’’


आज अपने आप को कितना लाचार मान रही थी प्राची काश वह लड़का होती तो कम से कम इस समय अपने पापा का ख्याल तो रख सकती थी।


किसी तरह काम निबटा कर वह सोने चली गई लेकिन आंखों में नींद कहां थी उसने देखा अमित गहरी नींद में सो रहे थे।


सुबह वह जल्दी उठ गई सब के लिये नाश्ता बना कर अमित का लंच पैक करके वह निकलने के लिये तैयार हो रही थी। तभी उसने देखा कि उसकी अलमारी में दस हजार रुपये पड़े हैं जो अमित ने परसों घर खर्च के लिये दिये थे।


प्राची ने सोचा कुछ सोच कर पैसे पर्स में रख लिये और हॉस्पिटल पहुंच गई वहां उसने पैसे जमा करा दिये।


पापा के पास पहुंची तो देखा पापा कुछ ठीक लग रहे हैं। वे प्राची को देख कर मुस्कुरा दिये। तभी मॉं ने कहा – ‘‘बेटा ये चेक ले जा बैंक से पैसे निकाल कर जमा करा दे तभी रिर्पोट मिलेंगी।’’


प्राची ने कहा – ‘‘मॉं पैसे मैंने जमा करा दिये थे अभी घर जाउंगी तो बैंक से निकाल लूंगी पापा का इलाज अभी शुरू हो जायेगा’’


यह सुनकर मॉं ने कहा – ‘‘अरे बेटा तूने यह क्या किया तेरे सुसराल वालों को पता लगा तो न जाने तुझे कितना भला बुरा सुनायेंगे’’


प्राची बोली – ‘‘मॉं तुम चिन्ता मत करो मेरे पास घर खर्च के पैसे थे अभी बैंक से निकाल कर वापस रख दूंगी। मुझे शाम को जाना है शॉपिंग करने अमित के साथ।’’


प्राची कुछ देर वहां रूक कर चैक लेकर बैंक पहुंच गई बाहर गार्ड से उसने पूछा – ‘‘भैया आज बैंक बंद है क्या’’


गार्ड ने कहा – ‘‘बहनजी आज दूसरा शनिवार है कल इतवार है अब तो बैंक सोमवार को ही खुलेगा’’


यह सुनकर प्राची के पैरों तले जमीन खिसक गई कि कहीं अगर अमित को पता लग गया कि घर खर्च के पैसे पीहर में दे आई तो उसका जीना मुश्किल हो जायेगा।


वह डरती डरती घर पहुंची तो उसने देखा उसकी सास मालती जी गुस्से में बैठीं थी।


मालती जी बोली – ‘‘बहु यह सब क्या है रात को हमने बाहर का खाना खा लिया सुबह से तुम फिर गायब हो अगर दोंनो टाईम बाहर का खाना खायेंगे तो हम सब बीमार पड़ जायेंगे तुम क्या चाहती हों कि तुम्हारे सारे सुसराल वाले उसी हॉस्पिटल में एडमिट हो जायें जिसमें तुम्हारे पापा हैं’’


यह सुनकर प्राची रोने लगी – ‘‘नहीं नहीं मांजी ऐसा मत कहिये मैं अभी खाना बना देती हूं’’ कहकर प्राची तेजी से काम में लग गई नहा धो कर फटाफट खाना बना कर सास ससुर को खिला दिया।


इधर उसे पापा की चिन्ता थी उधर उसे अमित के गुस्से का डर जब उसे पता लगेगा कि घर खर्च के पैसे मैंने कहीं ओर खर्च कर दिये।


शाम को अमित ने आते ही शॉपिंग के लिये चलने को कहा प्राची ने उसे कमरे में ले जाकर सारी बात बता दी। यह सुनकर अमित को बहुत गुस्सा आया। उसने कहा – ‘यह अच्छा है मैं इसी लिये बिना भाई की बहन से शादी नहीं करना चाहता था। आज वही हुआ जिसका डर था। मेरी कमाई अपने माता पिता पर लुटाती रहो’’


यह सुनकर प्राची के सब्र का बांध टूट गया उसने कहा – ‘‘मैंने सिर्फ एक दिन के लिये पैसे लिये हैं सोमवार को वापस कर दूंगी और रही बात बिना भाई की बहन से शादी करने की तो वो तुमने इसलिये की थी कि इकलौती बेटी की सारी जायदाद तुम्हें मिल जाये।


आज मेरे पापा हॉस्पिटल में हैं मैं डर डर कर उन्हें देखने जाती हूं। घर आते ही सब मुझे उल्टा सीधा सुनाने लगते हैं। जैसे अपने पापा के पास जाकर मैंने कोई गुनाह कर दिया।


मैं अभी अपनी मॉं के पास जा रही हूं अपने पापा को मैं अकेला नहीं छोड़ सकती सोमवार को तुम्हें तुम्हारे पैसे मिल जायेंगे।’’


तब अमित ने कहा – ‘‘मैं भी देखता हूं वे तुम्हें कब तक रखेंगे अपने आप रोती हुई वापस आओंगी’’


प्राची ने जबाब दिया -‘‘उसकी नौबत नहीं आयेगी मेरे पापा ने मुझे इतना काबिल बना दिया है कि मैं अपना और अपने मॉं बाप का पालन पोषण अच्छे से कर सकूं।’’


यह कहकर कविता एक बैग में कपड़े लगा कर पीहर की ओर चल दी। आज उसे ऐसा लग रहा है जैसे वह बेटी होने की कैद से आजाद होकर पापा का बेटा बन गई है। अब वह केवल अपने मॉं पिताजी का सहारा बनेगी।


अपने घर पहुंच कर उसने बैग रख दिया और सीधा हास्पिटल पहुंच गई। मॉं के पूछने पर उसने कुछ नहीं बताया उसने कहा ‘‘चिंता मत करो मॉं अमित ने मुझे यहां रह कर पापा की देखभाल करने के लिये कहा है’’


यह सुनकर मॉं बहुत खुश हुई। अगले दिन पापा की रिर्पाट आ गईं उसमें लंग्स में इंफेक्शन था। उसी समय उनका इलाज शुरू हो गया।


सोमवार के दिन प्राची ने दस हजार रुपये अपनी सुसराल भिजवा दिये। कुछ ही दिनों में उसके पापा ठीक हो गये। प्राची ने इसी बीच एक नौकरी ढूंढ ली थी। जब उसके पापा घर आ गये तो उसने सारी बात उन्हें बता दी।


पापा ने कहा – ‘‘बेटा हम अपना ध्यान रख लेंगे तू अमित से बात करके वापस लौट जा।’’


प्राची बोली ‘‘पापा मैंने घर आपकी वजह से नहीं अपने आत्मसम्मान के कारण छोड़ा है। अब मैं बेटा बन कर आपकी सेवा करूंगी। आप परेशान न हों आपको’’


आपको क्या लगता है प्राची का यह निर्णय सही है या गलत?



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