मद मर्दन
मद मर्दन
वॉट्सएप्प पर की गई चर्चा
बोद्ध्य : हायकू
ज्योत्स्ना : यह विधा कब बनी और किसने बनायी?
बोद्ध्य : ध्यान रहे मैं एक हास्य व्यंग्य कार भी हूँ
ज्योत्स्ना : पहली बात तो
~हायकू~
हाइकु
ज्योत्स्ना : अगर व्यंग्य है तो हँसी ही गायब है
बोद्ध्य : 5/7/5
को उलट लयबद्ध कर
7/5/7
कर दिया और आपको हंसी नहीं लगी।
ज्योत्स्ना : नहीं
हंसी तो बिलकुल नहीं लगी
हँसी आने के लिए कुछ कुशलता दिखनी चाहिए
ज्योत्स्ना : चुनौती पूर्ण विधा में लेखन नहीं कर सकते तो विधा पर ही व्यंग्य कर खुद को हास्यास्पद स्थिति में ले आना कितना उचित••• विचारणीय होता है•••
बोद्ध्य : मैंने तीन दिन पहले हाइकु दिया है, उसकी शुद्धता देख लें। यदि आप एक मजाक को ज्यादा बकवास बना रहे/ रही हैं तो यह आपकी भूल है। नहीं कुछ बोलने का अर्थ ये नहीं कि आप कुछ से कुछ लिखते रहो अपना वाहवाही लूटने के लिए।
: बहुत बकवास हो आप
बोद्ध्य : लेकिन तीन दिन पहले का हाइकु आप देख लो जो मैंने दिया है तब।
ज्योत्स्ना : आप विधा का मजाक बनाए और वाहवाही मुझे मिले
गज़ब
ज्योत्स्ना : हाइकु की परिभाषा क्या है?
ज्योत्स्ना : आपके लिखे शब्दों की आलोचना की ही नहीं। मगर लग रहा है कि आपको काना, लंगड़ा, लूला, चरित्रहीन कह दिया गया•••