Kumar Vikrant

Tragedy

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Kumar Vikrant

Tragedy

मौत की रात- ठंड

मौत की रात- ठंड

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काली घाटी में खुले में सर्दी की एक रात गुजारना एक बुरे सपने के समान था, जैक पूरे दल के साथ घाटी के किसी नखलिस्तान में पहुँच जाना चाहता था। लेकिन ऐसा न हो सका, रात हो चुकी थी और कोई नखलिस्तान आस-पास न था।

"दल के पुरुष सदस्य आस-पास से जितनी लकड़ियां या सूखी झाड़ियां मिल सके उन्हें इकट्ठी कर ले। दल की महिला सदस्य पेट्रोमैक्स जला कर एक सीट पर खाने का समान लगा ले; खाने के तुरंत बाद सब के सब अपने-अपने स्लीपिंग बैग में घुसकर घाटी की जानलेवा ठंड से खुद को बचाने का प्रयास करेंगे।" जैक ने आस-पास पड़ी झाड़ियों का एक ढेर लगाते हुए कहा।

"ठंड का बहुत भय दिखा रहे हो जयकिशन, कहीं ये ठंड आज तुम्हारी ही बली न ले ले।" इंस्पैक्टर डुल्ला हँसते हुए बोला।

"जिन्दा बचना चाहते हो तो इस घाटी से डरना सीख लो इंस्पैक्टर डुल्ला, ये घाटी इंसान की अनगिनत तरीको से मार सकती है, घाटी में सर्दी की ठंडी राते अक्सर लोगो को मौत की नींद सुला देती है।" जैक लकड़ियों के ढेर में आग लगाते हुए बोला।

"चलो आज की रात इसकी भी आजमाइश हो ही जाए......." इंस्पैक्टर डुल्ला आग से हाथ तापते हुए बोला।

"इंस्पैक्टर डुल्ला जुबान के अलावा कुछ और भी चलाना जानते हो तो औरो की तरह थोड़ी लकड़ियां तुम भी चुन लाओ या यहीं बकवास करते हुए अपना समय गुजारोगे?" महिला दल की सदस्य लैला खाना सीट पर लगाते हुए बोली।

"चलता तो बहुत कुछ है मेरी जान कहो तो अभी चला कर दिखाऊं........." इंस्पैक्टर डुल्ला हँसते हुए बोला।

"नजदीक आने की कोशिश न करना इंस्पैक्टर डुल्ला नहीं तो कुछ भी चलाने लायक नहीं बचोगे।" लैला तोते की चोंच वाला चाकू अपने हाथ में लेते हुए बोली।

"हट सा....., मौका आने दे तुझे और तेरे इस चाकू दोनों को जन्नत के नजारे दिखाऊँगा।" इंस्पैक्टर डुल्ला गुर्राकर बोला।

"जुबान पर लगाम दो डुल्ला, इस दल की किसी भी महिला सदस्य की बेइज्जती करने के कोशिश न करना नहीं तो कब किसी हादसे का शिकार हो जाओगे पता भी नहीं चलेगा और इस घाटी में अनगिनत हादसे हर पल होते रहते है।" जैक अपनी रिवाल्वर को इंस्पैक्टर डुल्ला पर तानते हुए बोला।

"अरे मैं तो मजाक कर रहा था, मैं भी लकड़ी लेने जाता हूँ।" कहते हुए इंस्पैक्टर डुल्ला वहाँ से चला गया।

खाना खाते-खाते रात के दस बज गए थे।

"अब सब अपने-अपने स्लीपिंग बैग में चले जाएं, रात को दो बजे तक मैं और रेलू सिंह पहरा देंगे, दो बजे के बाद इंस्पैक्टर डुल्ला और मिस्टर बोथा पहरा देंगे।" जैक ने भूतपूर्व बागी रेलू सिंह की और इशारा करते हुए कहा।

"जैक अंकल मैं भी आपके साथ पहरा दूँगा।" वीनू ने जैक के नजदीक आते हुए कहा।

"बेटे मैं तुम्हे खुले में रहने की सलाह नहीं दूँगा, तुम अपने स्लीपिंग बैग में ही सलामत रहोगे।" जैक ने दुबले-पतले लड़के वीनू की और देखते हुए कहा।

"अंकल नींद नहीं आ रही है.......जब नींद आ जाएगी तब सो जाऊँगा।" वीनू हँसते बोला।

जैक उसे देखता रहा ठंड की वजह से उसकी नींद उड़ चुकी थी।

जब सब लोग अपने-अपने स्लीपिंग बैग में समा गए तो वीनू ने अपनी बांसुरी निकाली और धीमे-धीमे बजाने लगा। रात के सन्नाटे को चीरती उसकी बांसुरी की आवाज उदासी भरी लग रही थी।

"अंकल उन खोई लड़कियों में मेरी बहन भी है मैं तो उसे तलाश करने निकला हूँ लेकिन वो खोई लड़कियां आपकी क्या लगती है जो इतने खतरे उठाकर उन्हें ढूंढने जा रहे हो?" वीनू ने पूछा।

जैक अपनी आदत के मुताबित चुप ही रहा वो उसे कैसे बताता वो उन खोई लड़कियों में अपनी उस बेटी को देख रहा था जो अपनी माँ के साथ इस घाटी में ऐसी खोई थी कि कभी मिल न सकी।

"वीनू अब सो जाओ......अब तुम्हे खुले में नहीं रहना चाहिए।" जैक अपनी जैकेट पर जमे पाले को हाथ से छिटकते हुए बोला।

"ओके अंकल गुडनाइट।" कहकर वीनू अपने स्लीपिंग बैग में घुस गया।

सर्दी की ठंडी रात में पाले से ढके दस स्लीपिंग बैग्स में वो लोग सोये थे जिहे इस बेदर्द घाटी के बारे कुछ पता नहीं था। कोई सेफ में लुटे हीरो को पाना चाहता था, कोई अपने साथी को बचाना चाहता था, कोई पैसो के लालच में उन लोगो का गाइड बन इस घाटी में आ गया था।

दो बजे जैक ने रेलू सिंह को इंस्पैक्टर डुल्ला और फिरंगी मिस्टर बोथा को जगाने के लिए कहा। रेलू सिंह शराब के नशे में धुत्त था उसने हाथ में अपनी रायफल ली और इंस्पैक्टर डुल्ला और फिरंगी मिस्टर बोथा को जोरदार लात मारकर जगाया। दोनों गलियां देते हुए जागे और अपनी गन्स अपने हाथो में निकाल कर रेलू सिंह पर झपटे।

"जहाँ हो वही रहो नहीं तो दोनों की खोपड़ियां उडा दूँगा।" रेलू सिंह ने उनके पैरो के पास फायर करते हुए कहा।

"व्हाट द हैल इज दिस मिस्टर जैक?" (ये क्या हो रहा है मिस्टर जैक) मिस्टर बोथा चिल्लाते हुए बोला।

"रस्टिक वे टू वेक यू बोथ अप।" (तुम दोनों को जगाने का देहाती तरीका) जैक गंभीरता से बोला।

"इस सा...... का तरीका इस पर ही इस्तेमाल करता हूँ अभी कहते हुए इंस्पैक्टर डुल्ला तेजी से रेलू सिंह पर टूट पड़ा। रेलू सिंह इस हमले के लिए तैयार था उसने अपनी रायफल का बट खींच कर इंस्पैक्टर डुल्ला की छाती पर मारा, मार खाते ही दुल्ला जमीन पर लेट गया।

"अगर मारपीट का ड्रामा खत्म हो गया हो तो पहरे पर बैठ जाओ, मैं थोड़ी देर सोना चाहता हूँ।"कहकर जैक ने वीनू के स्लीपिंग बैग को छूकर देखा, अंदर हुई हलचल को देखकर वो बोला, "इंस्पैक्टर डुल्ला एक दो बार इस बच्चे को भी देख लेना यदि इसे ठंड लगे तो इसे अलाव के पास सुला देना।"

"ठीक है, अब बकवास बंद करो और सो जाओ।" इंस्पैक्टर डुल्ला चिढ़ते हुए बोला।

जैक की रात बेचैनी के साथ गुजरी, सारी रात वो घाटी में खोई अपनी बेटी और पत्नी को याद करता रहा, सपनो में भी उन्हें तलाश करता रहा। सुबह जब उसकी आँख खुली तो उसके स्लीपिंग बैग पर पाला जमा हुआ था। पूरब दिशा से सूरज उग रहा था। अलाव की आग बुझी हुई थी इंस्पैक्टर डुल्ला और फिरंगी मिस्टर बोथा अपने-अपने स्लीपिंग बैग में सोये पड़े थे।

धीरे-धीरे सब उठ गए महिला सदस्य चाय बनाने की तैयारी करने लगे। जैक का ध्यान वीनू के स्लीपिंग बैग की तरफ गया बैग स्थिर पड़ा था। जैक तेजी से बैग के पास गया, बैग की चैन खोली तो बैग में वीनू का निर्जीव शरीर था, वो मर चुका था। जैक दुःख और क्रोध से पागल हो गया उसने अपनी रिवाल्वर निकाल कर बोथा और इंस्पैक्टर डुल्ला की दुल्ला की तरफ देखा। वो दोनों जैक का रौद्र रूप देख कर काँप गए और भाग महिलाओ के पीछे छिप गए।

"गुस्सा छोड़ो दादा, बच्चा तो मर चुका है अब उसके अंतिम संस्कार की व्यवस्था करते है उन दोनों को उनके किये की सजा मिल जाएगी, अभी घाटी भी बाकी है और घाटी का कहर भी।" रेलु सिंह ने जैक का रिवाल्वर वाला हाथ पकड़ते हुए कहा।

जैक ने धुंधली आँखों से मृत वीनू की तरफ देखा और अपने सामान से स्पेड लेने चल पड़ा क्योकि इस वीराने में मृत को दफनाने के अलावा और कोई अंतिम संस्कार किया जाना संभव नहीं था।


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