मौत ( day-7 lavender fields)
मौत ( day-7 lavender fields)
"मम्मी, संजना कहाँ हैं ?आज सुबह से ही नज़र नहीं आ रही। ",रमन ने अपना लैपटॉप खोलते हुए अपनी मम्मी रमा से पूछा।
रमा जी डाइनिंग टेबल पर बैठकर मूली साफ़ कर रही थी। डाइनिंग टेबल के सामने ही एक दीवान लगा हुआ था। दीवान के सामने थ्री सीटर सोफा लगा हुआ था। दीवान के दोनों तरफ वन सीटर सोफा लगा हुआ था। कोने में एक टेबल पर फ्लावर पॉट रखा हुआ था। आज फ्लावर पॉट में ताज़े फूल नहीं लगे हुए थे। संजना रोज़ घर के बाहर बने हुए छोटे से गार्डन से फूल और पत्तियाँ लाकर फ्लावर पॉट के फूल बदल देती थी, लेकिन आज उसने फूल भी नहीं बदले थे। कुछ ही दिनों में घर के हर कोने में संजना की कोई न कोई निशानी थी या कहानी थी।
रमन दीवान पर ही बैठा हुआ था। "वर्क फ्रॉम होम " के चलते रमन इन दिनों घर से ही अपना काम कर रहा था और इसलिए परिवर्तन के लिए कभी घर के किसी एक कोने में बैठ जाता और कभी घर के किसी दूसरे कोने में।
"पता नहीं, आज सुबह -सुबह कहाँ चली गयी। इस लड़की ने तो हमारी आदतें भी बिगाड़ दी हैं। इसके हाथों की सुबह की चाय पिए बिना तो बिस्तर छोड़ने का मन ही नहीं करता। ",रमा जी ने अपने हाथ चलाते हुए कहा।
"हाँ मम्मी, वैसे मैं पुनर्जन्म आदि को बिलकुल नहीं मानता, लेकिन इस लड़की से कोई पिछले जन्म का नाता सा लगता है। ",रमन अपने वाट्सएप्प मैसेज चेक करते हुए बोला।
"सही कह रहा है बेटे। हॉस्पिटल में तेरे दादाजी की देखभाल इसी ने की थी, तेरे दादाजी ने शर्त रख दी थी कि जब तक संजू को साथ लेकर नहीं चलोगे, मैं नहीं जाऊँगा। उनकी ज़िद के कारण संजना इस घर में आयी और कुछ ही महीनों में घर का ही नहीं, हमारी ज़िन्दगी का अहम् हिस्सा बन गयी। ",रमा जी ने कहा।
"हाँ मम्मी, सही कह रहे हो। ",रमन ने लैपटॉप पर आँखें गढ़ाते हुए कहा।
"बेचारी इतनी अच्छी है। क्या कहें, ईश्वर भी हमेशा अच्छे लोगों को ही कष्ट देता है। तब ही तो इतनी अच्छी बच्ची के पूरे परिवार को कोरोना लील गया। यह अकेली कोरोना को हराकर बच गयी। तेरे दादाजी के पास तब हम तो थे नहीं, इसी का सहारा था उन्हें।",रमाजी का कहना जारी था।
"मम्मी, भूख लग आयी है। आज नाश्ता नहीं मिलेगा क्या। ",रमन ने कहा।
"मिलेगा, भई मिलेगा। मूली के परांठे बना रही हूँ। तू ज़रा जाकर देख तो सही यह लड़की आखिर गयी तो कहाँ गयी ?",रमा जी ने कुर्सी पर से उठते हुए कहा।
"और हाँ, आज तो तेरे दादाजी भी अभी तक अपने कक्ष से बाहर नहीं आये। इतनी देर तक तो कभी नहीं सोते। ",रमा जी ने रसोई की तरफ जाते हुए बोला।
"ठीक है मम्मी। ",रमन ने कहा।
"मम्मी -पापा, जल्दी आओ। ",दादाजी के कमरे से रमन के चिल्लाने की आवाज़ आयी।
"क्या हुआ ?",रमा जी बेलन हाथ में लिए दौड़ती हुई कमरे में आयी।
"क्यों चिल्ला रहा है ?", रमन के पापा सुदेश जी हाथ में कंघा पकड़े हुए अपने पिताजी के कमरे की तरफ दौड़ते हुए आये।
रमन दादाजी के बिस्तर के एकतरफ खड़ा था। दादाजी की आँखें खुली हुई थीं और साँसें बंद थी। दादाजी की आत्मा उनके नश्वर शरीर को छोड़कर कूच कर चुकी थी। संजना का गायब होना और दादाजी का यकायक परलोक सिधार जाना, रमन का पूरा परिवार सकते में था। मम्मी -पापा के मना करने के बावजूद रमन ने पुलिस को बुला लिया था। दादाजी के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया था।
"आपके पास संजना की कोई फोटो है ?",पुलिस ने पूछा।
"बहुत सी फोटो हैं। अभी आपको मोबाइल की गैलरी में दिखाता हूँ। ",रमन ने कहा और अपने मोबाइल की गैलरी में फोटोज ढूंढने लगा। रमन ने अपने फ़ोन की पूरी गैलरी चेक कर ली, लेकिन उसमें संजना की कोई फोटो नहीं थी। रमन के बर्थडे वाले दिन संजना ने घर में एक छोटी सी पार्टी आयोजित की थी, तब बहुत से फोटो लिए गए थे, लेकिन अब उन फोटोज से संजना गायब थी। रमन ने अपने पापा सुदेश जी और मम्मी रमा जी का भी फ़ोन चेक किया, लेकिन संजना की फोटो वहाँ भी नहीं थी।
रमन के चेहरे पर उड़ती हवाइयाँ देखकर पुलिस वाले ने कहा, "आपके पास उस लड़की की कोई फोटो नहीं है। इतने पढ़े -लिखे होकर आप लोग ऐसी लापरवाही कैसे कर सकते हो ? किसी अजनबी को अपने घर लाने से पहले एक बार भी सोचा नहीं। मुझे तो हॉस्पिटल वाली कहानी में भी झूठ की बू आ रही है। वहाँ जाकर ही शायद कुछ पता चले। "
रमन ही नहीं उसके मम्मी -पापा के चेहरे पर भी अब कई रंग आ -जा रहे थे।
"घर में मौजूद सारा कीमती सामान चेक कर लीजियेगा। क्या पता क्या -क्या गायब कर गयी हो ?",पुलिस वाले ने जाते हुए कहा।
"सामान तो सारा अपनी जगह पर ही है। घर से तो एक चम्मच भी गायब नहीं है। ",सुदेश जी ने कहा।
"आपकी बातों पर विश्वास करने का दिल नहीं करता। ",रमा जी ने कहा।
"मम्मी आपके दिल के मानने या नहीं मानने से क्या फर्क पड़ता है ? मैं भी पुलिस के साथ हॉस्पिटल जा रहा हूँ। ",रमन ने कहा।
हॉस्पिटल में पता चला कि कोरोना के पीक के दौरान कोई संजना नाम की लड़की हॉस्पिटल में एडमिट नहीं हुई थी, जिसका पूरा परिवार कोरोना की भेंट चढ़ गया हो। रमन के पास कोई फोटो भी नहीं था और जैसा वह हुलिया बता रहा था, वैसी भी कोई लड़की हॉस्पिटल में एडमिट नहीं हुई थी।
रमन निराश घर लौट आया था। उधर दादा जी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उनकी मृत्यु दम घुटने से हुई थी। पुलिस को शक था कि संजना ने ही दादाजी की हत्या की थी। संजना का कोई सुराग नहीं लग रहा था।
रमन को एक दिन किसी काम से अपनी 10 th कक्षा की अंकतालिका की जरूरत पड़ी। वह ढूँढते -ढूंढते दादाजी के कमरे में पहुँच गया। अंकतालिका ढूंढते -ढूंढते उसकी नज़र दादाजी के कमरे में रखे हुए एक पुराने फोटो एल्बम पर पड़ी।वह उसमें फोटोज देखने लगा। एक फोटो पर नज़र पड़ते ही वह चौंक गया। उसके पापा रमन दूल्हे की वेशभूषा में थे और उनके साथ दुल्हन के रूप में जो स्त्री थी, वह रमा नहीं थी, दुल्हन के पास एक लड़की खड़ी थी;उसकी शक्ल बहुत हद तक संजना जैसी थी।
रमन दौड़ता हुआ, एल्बम लेकर अपने पापा के पास आया। पापा को वह एल्बम दिखाया। सुदेश वह एल्बम देखते ही धम्म से सोफे पर बैठ गए। उन्हें एक -एक करके सारी बातें याद आ गयी।
"बेटा, तुम्हारी मम्मी मेरी दूसरी पत्नी है। रमा से पहले मेरी शादी मीरा से हुई थी। मीरा के साथ जो यह लड़की है, वह उसकी कोई सहेली थी, नाम तो मुझे याद नहीं। शादी के बाद वह मीरा से मिलने आयी थी, मैं घर पर नहीं था। तुम्हारे दादाजी ने मौका देखकर पहले तो उसका बलात्कार किया और फिर उसे जिन्दा जला दिया। एक झूठी कहानी बना दी और उसे उसी हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया, जहाँ हमें संजना मिली थी। पैसे और रसूख के बल पर तुम्हारे दादाजी ने केस रफा -दफा करवा दिया। सबने दादाजी की झूठी कहानी पर भरोसा कर लिया था। मीरा सब सच जानती थी, लेकिन वह अपनी सहेली के लिए कुछ नहीं कर सकी थी। ग्लानि और दुःख से पीड़ित होकर मीरा ने भी आत्महत्या कर ली। जिस दिन मीरा ने आत्महत्या की थी, उसी दिन तुम्हारे दादाजी की मृत्यु हुई। मैंने मीरा से केवल उसकी सहेली का जिक्र सुना था, कभी ठीक से मिला नहीं था, इसलिए मैं पहचान नहीं पाया। तुम्हारे दादाजी की भी याददाश्त थोड़ी कमजोर हो गयी थी। ",सुदेश ने एक साँस में पूरी कहानी सुना दी थी।
"उसने अपना बदला ले लिया। ",सुदेश ने कहा।
"हाँ पापा। दादाजी ऐसी मौत के ही लायक थे। ", रमन ने कहा।