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Ranjan Shaw

Abstract Drama Inspirational

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Ranjan Shaw

Abstract Drama Inspirational

मौली

मौली

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मौली - रंजन साव"ये हाथ में क्या बांध कर आए हो ?..." गुस्से से भरी लाल आंखें एक आठ साल के बच्चे की तरफ देख रही थी । वह बच्चा डर से पूरा सहम गया । उसके बाद अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज में बोला "मौली है...मैम"।

"मौली...? वो क्या होता है... ? और बच्चे....ये स्कूल है तुम्हारा कोई मंदिर नहीं, जहां कोई भी ये सब धागा बांध कर चला आयेगा, अभी के अभी इसे निकाल कर फेंकों नहीं तो क्लास से बाहर निकल जाओ..." मैम ने डांटते हुए कहा.. । लेकिन वह बच्चा चुप रहा और बिना कोई हरकत किए वहीं खड़ा रहा । उसकी आश्चर्य से भरी आंखें एकटक सिर्फ मैम को ही देखी जा रही थी।

मैम के डांट लगाने पर भी जब उसने अपने हाथ से मौली नहीं उतारी तो मैम ने अपनी मेज़ पर रखी छड़ी उठायी और सटासट्...सटासट्... उसके कोमल हाथों पर छड़ी से निशान बना दिया । वह अपनी दोनों हाथों को झाड़ता हुआ कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा उसके बाद जाकर अपनी सीट पर बैठने ही वाला था कि पीछे से उसे एक आदेश मिला "राजीव.. वहां कहां जा रहे हो जाकर लास्ट बेंच पर अपने दोनों हाथों को ऊपर करके खड़े हो जाओ ।" उस मासूम ने सिर को हां की भंगिमा में हिलाते हुए बेंच पर जाकर खड़ा हो गया । उसे पूरी पीरियड उसी मुद्रा में खड़ा करा रखा गया ।

पूरी क्लास के बच्चे उसके इस कार्य को मुर्खतापूर्ण कार्य समझकर हंस रहे थे । वह मासूम... अंदर ही अंदर रो रहा था और अपनी मां के कही हुई बातों को सोच रहा था ..। उसकी मां ने उससे कहा था "बेटा... ये मौली है इसे कभी अपने हाथ से मत उतारना । इसे बांधने वाला हमेशा विजयी होता है और उसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं ।" 

"भगवान जी...मतलब शिव जी ...?" राजीव ने अपनी मां से पूछा था तो मां ने कहा...." नहीं मेरे बच्चे । भगवान तो हमारे ३३ कोटी हैं - जिनमें आठ वसु, ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, इंद्र और प्रजापति शामिल हैं। कुछ शास्त्रों में इंद्र और प्रजापति (ब्रह्मा) के स्थान पर दो अश्विनी कुमारों को 33 कोटि देवताओं में शामिल किया गया है। क्या तुम जानना नहीं चाहोगे की वे कौन-कौन है ? 

"हां, मां... बताओ ना....कौन-कौन से भगवान है ?" वह अपनी मां से पूछता है । उसके मन की कौतूहल को देखकर उसकी मां एक-एक करके उन सभी ३३ कोटी (प्रकार) भगवानों का नाम बताने लगती है जो क्रमशः कुछ इस प्रकार है :-

" १२ आदित्य:- 1.अंशुमान, 2.अर्यमन, 3.इन्द्र, 4.त्वष्टा, 5.धातु, 6.पर्जन्य, 7.पूषा, 8.भग, 9.मित्र, 10.वरुण, 11.विवस्वान और 12.विष्णु। 

8 वसु:- 1.आप, 2.ध्रुव, 3.सोम, 4.धर, 5.अनिल, 6.अनल, 7.प्रत्यूष और 8. प्रभाष। 

11 रुद्र :- 1.शम्भु, 2.पिनाकी, 3.गिरीश, 4.स्थाणु, 5.भर्ग, 6.भव, 7.सदाशिव, 8.शिव, 9.हर, 10.शर्व और 11.कपाली।

2 अश्विनी कुमार:- 1.नासत्य और 2.द्स्त्र 

कुल : 12 8 11 2=33 "

मां.. हमारे इतने सारे भगवान हैं , हां बेटा और जानते हो... तुमने जो अपने हाथों में मौली बांध रखी है उसमें त्रिदेवों की शक्ति है।

त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियां हैं ।

इसलिए मौली बांधते समय पंडित जी कलाई पर इसे सिर्फ तीन बार ही घुमाते हैं । इसे बांधते समय पंडित जी एक मंत्र का उच्चारण करते हैं जो कुछ इस प्रकार है :-

 " ॐ एन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:

तेन त्वा मनुबधनानि रक्षे माचल माचल "

वो अब समझा.. इसलिए आपके हाथों में भी मौली बंधी है ।

"हां बेटा..." ।

"अच्छा मां एक बात बताओ ? यह मौली मेरे राइट हैंड में बंधी है लेकिन आपके क्यों लेफ़् हैड में बंधी है ? " अरे बेटा और तुम कितने सवाल करोगे हम लेट हो रहें हैं अभी स्कूल के लिए । तुम्हें स्कूल भी तो जाना है ।" 

"हां.. मां , मैं अभी फटाफट से रेडी होकर आता हूं । लेकिन मैं आपके लेफ्ट हैंड में बंधे मौली के बारे में जानने के बाद ही स्कूल जाऊंगा । " अच्छा बाबा ठीक है ... मैं बता दूंगी, तुम जाकर रेडी तो होकर आओ।

राजीव स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर रेडी हो जाता है । लेकिन उसके सवालों का जवाब अभी भी बाकी था । वह रेडी होने के बाद आकर अपनी मां के आंचल को पकड़ कर मां से चिपक जाता है । और फिर पूछता है कि "मां अपने मौली अपने लेफ्ट हैंड में क्यों बांध रखी है ? इस बार उसकी मां बड़े प्यार से उसके माथे को सहलाते हुए कहती हैं " बेटा मैं विवाहित हूं , और विवाहित महिलाएं मौली लेफ्ट हैंड में ही बांधती हैं। तुम अभी कुंवारे हो, कुंवारे लड़के-लड़कियों को मौली राइट हैंड में बांधी जाती है ‌। रास्ते में चलते-चलते उसकी मां मौली के बारे में बताते हुए कहती हैं "बेटा मौली को सबसे पहले माता लक्ष्मी ने राजा बली को बांधा था और रक्षा का वचन भी लिया था । तभी से इसे रक्षा धागा भी कहते हैं । बेटा तुम भी मुझे वचन दो की चाहे कुछ भी हो जाए पर इस मौली को मत उतारना । " इतने में स्कूल की घंटी बजी और पीरियड समाप्त हो गया । वह अपनी सीट पर आकर चुपचाप बैठ गया ।

उसके दोस्त उसे पुजारी पुजारी बोलकर चिढ़ाने लगे । लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि वह मौली की महत्व को समझता था और वचन का पालन करना जानता था।


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