Ranjan Shaw

Abstract Drama

3.5  

Ranjan Shaw

Abstract Drama

अंतिम सांसें

अंतिम सांसें

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  चारों तरफ़ एंबुलेंस की सायरन से सिर पर एक दबाव सा पड़ने लगा था। रात भी काफी हो गई थी। रमेश के पिताजी की हालत कोरोना की वजह से अब गंभीर होने लगी थी। 

  रमेश एम्बुलेंस से उतरता है और पागलों की तरह हॉस्पिटल के अंदर घुस जाता है। रिसेप्शन पर पहुंच कर वह हांफते हुए कहता है। सिस्टर बाहर एम्बुलेंस में मेरे पिताजी है। उन्हें कोरोना के कारण सांस लेने में दिक्कत हो रही है। लगता है उन्हें ऑक्सीजन देना पड़ेगा। आप उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कर लिजिए।

  रिसेप्शन में बैठी सिस्टर का जवाब आता है।

- ठीक है हम भर्ती ले लेंगे। ये लीजिए फॉर्म और 3 लाख रुपए रिसेप्शन पर जमा करा दीजिए। उसके बाद ही हम इलाज चालू कर पाएंगे।

  रमेश कुछ देर वहीं खड़ा रहता है और थोड़ी देर बाद वह हॉस्पिटल से बाहर निकल कर चला आता है। वह मन ही मन सोचने लगता है कि वह अब कहां जाएं।

सिलीगुड़ी के तो सरकारी हॉस्पिटल में कोई बेड खली नहीं है और ऑक्सीजन सिलेंडर भी मिल नहीं रही है। एम्बुलेंस में जो ऑक्सीजन की सिलेंडर थी वह भी खाली हो गई ‌‌।पिताजी को क्या कलकत्ता लेकर चला जाऊं ? या फिर...! इतने में ही उसकी नज़रें एम्बुलेंस की तरफ़ पड़ती है ।

पिताजी....!!!! पिताजी......!!!! चिखता हुआ वह हॉस्पिटल से एम्बुलेंस की तरफ़ आता है। उसके पिताजी के मुंह से झाग निकलने लगता है। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। वह दोबारा हॉस्पिटल के अंदर जाता है और डॉक्टरों से विनती करने लगत  है 


- "कोई तो बचा लो मेरे पिताजी को।"

  लेकिन उसकी विनती को सुनने वाला वहां कोई नहीं था ।  उन पर उसकी विनती का कोई असर नहीं हुआ। उसकी अंतिम कोशिश भी विफल हो जाती है। वह सत्ता और व्यवस्था के इस आर्थिक षड्यंत्र को देखकर लड़खड़ाते हुए बाहर, एम्बुलेंस के पास आता है और अपनी पिताजी के हाथों को पकड़ कहता है :- 

- "मैं हार गया पिताजी....."

    लेकिन उसके पिताजी शायद अपने बेटे को यूं हारा हुआ नहीं देख सकते थे। इसलिए जब तक वह हॉस्पिटल से एम्बुलेंस तक पहुंच पाता उससे पहले ही उसके पिताजी की अंतिम सांसें निकल चुकी होती है। वह तो सिर्फ उनका मृत शरीर था। जिससे रमेश बातें कर रहा था। 

  03/05/21 इस दिन सिर्फ उसकी पिता की मौत नहीं हुई। उस दिन इंसानियत भी मृत दिखाई दी थी। 

*सम्पूर्ण घटना सत्य है। सिर्फ पात्र का नाम परिवर्तित कर दिया हूं।  


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