लक्ष्मी की मां
लक्ष्मी की मां
शाम को जब मैं घर लौटा तब पता चला कि लक्ष्मी की मां अब इस दुनिया में नहीं है । मुझे बड़ा दुःख हुआ । मैं चुपचाप घर के कोने में जाकर बैठ गया । मेरे शांत मन में उसकी स्मृतियों की लहरें उठने लगी ।
मुझे याद है आज भी वो दिन जब वह भूखी रह कर कुछ पैसे बैंक में जमा किया करती थी । उसे विश्वास था कि एक दिन सब कुछ अच्छा हो जाएगा और वो ऐसो आराम का जीवन जी पाएगी । अभी उसका बुरा वक्त चल रहा है । जो देखते ही देखते एक दिन बीत जाएगा । एक नया सवेरा उसकी अंतिम सांसों के समय में भी, उसकी आंखों में दिखाई दे रही थी ।
लेकिन समय के साथ उसका विश्वास टूटता गया । उसकी उम्र 45 के तकरीबन ही रही होगी । जब उसका पति बेरोजगार हो गया था । बेरोजगारी के पीछे उसके पति की बुरी आदतें थी। वह शराब का आदी था । एक दिन वह शराब पीकर काम में गया । जिससे कारखाने का मालिक नाराज होकर उसे काम से निकाल देता है । लेकिन लक्ष्मी की मां मेहनती थी । उसने सिलाई मशीन पर काम करना आरंभ कर दिया था। जिससे उसका घर चल रहा था ।
उसकी एक बेटी थी । जिसका नाम था - लक्ष्मी । जिसे वह पढ़ा लिखाकर एक आत्म निर्भर महिला बनाना चाहती थी । लेकिन ऐसा नहीं हो पाता है । लक्ष्मी अब बड़ी हो चुकी थी और उसकी शादी की भी उम्र हो आई थी । उसकी मां अपनी बेटी की शादी को लेकर काफी चिंतित थी । वह उसकी शादी के लिए एक लड़का देखती है । जो पेशे से एक कंप्यूटर ऑपरेटर था । वह लक्ष्मी की शादी उस कंप्यूटर ऑपरेटर के साथ तय कर देती है।
शादी से पहले इतने वर्ष में मुश्किल से जमा किए हुए पैसों को वह बैंक से घर लेकर चली आती है । पैसों को संभालकर वह अलमारी में रख देती हैं।
लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था शायद ! क्योंकि लक्ष्मी किसी और लड़के से पिछले 2 वर्षों से प्यार करते थी । जब वह हाई स्कूल से घर लौटी तो अलमारी में इतने सारे पैसों को देखकर खुश हो गई थी । शादी से पहले ही वह उन पैसों को चुपके से अलमारी से निकालकर अपने प्रेमी के साथ भाग गई ।
लक्ष्मी की मां और पिता दोनों ही अपनी लड़की को ढूंढते रहे । लेकिन 1 सप्ताह बीत जाने पर भी उसकी कोई खबर नहीं आती है । एक दिन कुछ पुलिस वाले लक्ष्मी की मां के घर आते हैं । पुलिस वालों को देखकर सभी लोग चौक जाते हैं । लक्ष्मी के परिवार वालों को बताया जाता है कि उनकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं है । यह खबर सुनते ही लक्ष्मी के पिता की आत्मा उसका शरीर छोड़ देती है । लक्ष्मी की मां का रो रो कर बुरा हाल हो जाता है ।
मृत्यु का शोक अगर कुछ वक्त तक रहे तो आदमी अपने आप को सम्भाल लेता है । लेकिन यही वक्त यदि अधिक हो जाय तो वह शोक के सागर में डूब जाता है ।
कुछ दिनों बाद लक्ष्मी की मां के साथ भी ऐसा ही हुआ था । उसकी मानसिक हालत खराब हो गई थी। कॉलोनी के सभी लोग उसे पागल कहने लगे थे । लेकिन वह कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती थी । उसकी मानसिक हालत खराब होने के बाद भी वह इधर-उधर नहीं भटकती थी क्योंकि उसका अपना छोटा सा मिट्टी का बना घर था ।
घर - जहां हजारों सपने हकीकत में बदलते हैं और प्यार पनपता है । तो भला वह अपने घर को छोड़कर दर-दर कहां भटकती । उस घर में उसकी बेटी और पति की यादें बसी थी ।
जब कभी पता चलता कि कोई समाज सेवी संस्था के द्वारा चावल दिया जा रहा है । तो वह वहां पहुंचकर चावल अपने घर ले आती थी । चावल के साथ कुछ और मिल गया तो बेहतर नहीं तो वह सिर्फ चावल ही खाकर गुजारा कर लेती थी । इस प्रकार कुछ साल ही चल पाया ।
उसका शरीर दिन-ब-दिन हड्डियों का ढांचा बनते गया । शरीर में खून की कमी के कारण उसका पैर भूल गया था । लेकिन वह कर भी क्या सकती थी । अगर डॉक्टर के पास जाती तो उसे फीस भरनी पड़ती और उसके पास तो खाना खाने तक के भी पैसे नहीं थे ।
सुबह से ही पैर में बहुत दर्द था । वह दर्द से बेचैन हो रही थी । शाम होते होते उसका पैर फट गया और उससे खून बहने लगा । जब तक आसपास के लोगों को पता चलता तब तक वह अपने परिवार से मिलने के लिए इस दुनिया से जा चुकी थी ।
उसके मर जाने पर कई झूठे उसके हितैषी बन कर आते हैं क्योंकि उन्हें उसका घर हड़पना था । वे इस काम में सफल भी हो जाते हैं ।
