Ragini Ajay Pathak

Inspirational

4.7  

Ragini Ajay Pathak

Inspirational

मार्गदर्शक पतिदेव

मार्गदर्शक पतिदेव

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सोनिया अपनी पेंटिंग में रंग भरने में व्यस्त थी। सोनिया को ये शौक बचपन से नही था ये कला तो उसने अपने पति युवराज से सीखी थी जो मल्टीनेशनल कम्पनी में मैनेजर होने के बावजूद बहुत अच्छी पेंटिंग्स करना और गिटार बजाना जानते है। खाली समय मिलते युवराज सोशल मीडिया से दूर अपने शौक को पूरा करने में बिताते।

पति के सिखाए गुर पेंटिंग को उसने अपने जीवन में एक साधना बना ली थी। पेंटिंग ने उसकी पहचान और जीवन जीने के रुख को पूरी तरह से बदल दिया था सोनिया के चेहरे की मासूमियत सौम्यता सादगी और संयमित जीवन शायद इस कलाकारी की वजह से ही अभी तक चेहरे पर चांदनी के मानिंद बिखरी हुई थी।

सोनिया के दो बच्चें एक बड़ी बेटी खुशी दूसरा बेटा रोहन थे। बच्चें बड़े हो चुके थे तो सोनिया को काफी समय मिल जाता अपनी कल्पना को आकृति देकर रंग भरने का। लेकिन सोनिया हमेशा से ऐसी नहीं थी।

अपने कमरे में सोनिया अपनी कल्पना को आकृति प्रदान कर उसमें रंग भर ही रही थी कि तभी बेटे ने कमरे पर दस्तक देते हुए कहा "माँ सरला आंटी 504 नंबर फ्लैट से आई है।"

इतना सुनते सोनिया सोच में पड़ गयी। और उसने कहा "ठीक है बेटा उनको अंदर बिठाओ मैं अभी आती हूं।"

सारे सामान को समेट कर सोनिया हॉल में पहूंची। देखा सरला सोफे पर बैठी हुई है। उसने हँसते हुए कहा "अरे सरला जी आप बहुत दिनों बाद और बताइए कैसी हैं? बच्चे कैसे हैं?"

सरला ने कहा " मैं तो ठीक हुँ आप बताइए कैसी हैं ? बहुत दिनों से सोच रही थी लेकिन समय ही नही मिल पा रहा था आपसे मिलने का.... आज आपकी बगल वाले फ्लैट में आई थी अपनी सहेली से मिलने और किट्टी के लिए इनवाइट करने तो सोचा आपसे भी मिल लू आप व्यस्त तो नही थी सुना आप चित्रकार है। बहुत अच्छी पेंटिंग बनाती हैं ।

सोनिया:-"जी सही सुना है आपने"

सरला- आप हमारी किट्टी ज्वाइन कर लीजिए। इनफैक्ट मैं आपको अपनी किट्टी पार्टी के लिए इनवाइट ही करने आई थी सच तो यही है। इसी बहाने आप मेरी किट्टी पार्टी की सहेलियों से मिल लेंगी। आज शाम 4 बजे पार्टी रखी है लोगों से मिलना जुलना भी हो जाएगा। और नई सोसायटी में आपकी जान पहचान भी हो जाएगी"

सोनिया का चेहरा किट्टी पार्टी का नाम सुनते उदासीन हो गया। जिसे देखकर सरला ने कहा "कुछ गलत कह दिया क्या मैंने?मेरी बात बुरी लगी हो तो माफी चाहूंगी।"

सोनिया ने कहा "अरे! नही, सरलाजी लेकिन माफी चाहूंगी: मैं किट्टी पार्टीज में नहीं जाती। मेरे पास समय नहीं है।"

सरला :-"लेकिन क्यों? आपके तो बच्चे भी बड़े है हमारे ग्रुप में तो ऐसी भी महिलाएं है जिनके बच्चे बहुत छोटे है और उन्होंने किट्टी भी ज्वाइन की है।"

बुरा मत मानियेगा लेकिन हम महिलाओं को समय खुद के लिए निकलना पड़ता है। हमारे लिये खाली समय रखा नहीं होता अच्छा चलती हूं। जैसा आप उचित समझे फैसला लीजिएगा वैसे आप आयी तो आपका हार्दिक स्वागत है। हम सबको भी अच्छा लगेगा।

लेकिन सोनिया ने दुबारा बड़ी सहजता से आज सरला को मना कर दिया। ये कहते हुए की वो कभी इस तरह की पार्टियों में नही जाती।

सोनिया को अभी नयी सोसायटी में शिफ्ट हुए सिर्फ दो महीने ही हुए थे लेकिन अतीत की कड़वी यादों ने ऐसा गहरा असर सोनिया पर छोड़ा था कि वो किसी से भी ज्यादा मिलना जुलना और किसी पार्टी में जाना पसंद नहीं करती थी।


बड़े बुजुर्ग कहावत कहते है कि "दूध का जला हुआ छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है।" कुछ ऐसी ही हालत थी सोनिया की भी! किट्टी पार्टी का नाम सुनते सोनिया को कुछ पुरानी यादें ताजा हो गयी। उसे अपने जीवन की कुछ सालों पहले की घटना याद आ गयी ।जब वो अपने परिवार के साथ छोटे से शहर से मुंबई नई नई आयी थी। सपनों की नगरी मुम्बई में आकर रहना सोनिया का बचपन से सपना था जो अब हकीकत हो गया था। लेकिन मायानगरी की माया में सोनिया ऐसा रंग जाएगी ये उसके पति युवराज और खुद सोनिया ने कभी नही सोचा था।

सोनिया ने मुंबई आने के बाद धीरे धीरे अपनी बिल्डिंग की स्मार्ट औरतों से मित्रता करनी शुरू की। अब सोनिया पहले की तरह संकोची सीधी और सरल नही, बल्कि एकदम मुँहफट और आधुनिकता के रंग में ढली हुई थी पहले थोड़े संकोची स्वभाव की सोनिया ऐसा नहीं था कि वह आधुनिक नहीं थी। थी मगर विचारों से लेकिन अब विचारों की जगह कपड़ो ,ड्रिंक्स और लेट नाईट पार्टीज ने ली थी।

अब आए दिन सोनिया और युवराज के झगड़े होने लगे। बच्चे भी छोटे थे सिर्फ तीन और पांच साल के।युवराज ने बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन सोनिया हर बार युवराज से यही कहती "क्या मेरी कोई जिंदगी और पसन्द नहीं ....क्या परिवार और बच्चों के पीछे अपनी खुशियाँ खत्म कर दूँ। जाओ देखो मेरी दूसरे सहेलियों के पतियों को कितना उनकी पसन्द का खयाल रखते हैं।"

एक दिन सोनिया ज़बरदस्ती युवराज को अपने साथ अपनी सहेली के घर उसकी जन्मदिन की पार्टी में लेकर गयी।युवराज भी बच्चो को साथ लेकर आज सोनिया की खुशी के लिए खुशी खुशी उसके साथ चला गया।सोनिया ने सारी सहेलियों से युवराज को मिलाया। लेकिन युवराज पार्टी में महिलाओ और पुरुषों का ये रूप देखकर परेशान हो गया। क्योंकि पार्टी में बच्चें भी शामिल थे जिसकी वजह से उसको ज्यादा उलझन महसूस हो रहा था

क्या महिला क्या पुरुष सभी जाम के साथ एक दूसरे से हंस बोल रहे थे। सोनिया और युवराज को भी पीने के लिए मनाया जा रहा था आधुनिकता की दुहाई देकर लेकिन युवराज ने साफ़ मना कर दिया।

तभी सोनिया की एक सहेली ने कहा" अरे यार! तू बुरा मत मानना लेकिन तू और तेरे हसबैंड कौन सी दुनिया में जी रही है ? कौन कहेगा ये बंदा मल्टीनेशनल कम्पनी में मैनेजर है" सहेली के कमेंट ने सोनिया का मूड ऑफ कर दिया वो युवराज को घूर घूर कर देखने लगी।

और बात को टालते हुए कहा "अरे बच्चों के साथ ड्रिंक्स हम अवॉयड करते है" कहते हुए सोनिया मुस्करा भर दी।

दूसरी सहेली ने तपाक से बीच मे आकर कहा " अरे ये क्या बात हुई भला ....…। क्या तुम लोग घर पर उनके सामने ड्रिंक नही करते, जो यहाँ मना कर रहे हो ? खुद के लिए जीना सीखो क्या हर समय पति बच्चे परिवार समाज ...ये सब लगाए रहती है ... आखिर इनसब से ऊपर हमारी भी जिंदगी है या नहीं ? हमे देखो .....बच्चे अपना खुद एन्जॉय करते है और हम दोनों भी।"सहेली ने अपने पति का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा।

इस पर युवराज ने कहा "बहुत अच्छी बात है लेकिन मुझे लगता है सबकी अपनी अलग सोच और जीवन जीने का तरीका होता है। और हमारे लिए हमारा परिवार और बच्चें ही हमारी प्राथमिकता है।" सोनिया की तरफ़ देखते हुए युवराज ने कहा

फिर युवराज ने कहा "सोनिया अब हमें चलना चाहिए रात काफी हो गयी है।" कहकर सोनिया और युवराज बच्चो के साथ घर आ गए लेकिन पूरे रास्ते सोनिया का मुँह गुस्से में फुला ही रहा।घर आते ही सोनिया युवराज पर गुस्से में बरस पड़ी।उसने कहा "मिल गयी कलेजे को ठण्ठक मेरी इन्सल्ट करा कर"

लेकिन आज युवराज ने कोई जवाब नही दिया और चुपचाप कमरे में सोने चला गया।

अगले दिन दोपहर के समय सोनिया अपनी किटी पार्टी में दोनो बच्चों को सोता हुआ अकेला छोड़कर चली गयी। उसे लगा जब तक बच्चे सोकर उठेंगे तब तक वो दो घण्टे में वापिस आ जायेगी,क्यों किट्टी उसकी सहेली के घर पर थी। लेकिन उसकी सोच के विपरीत बच्चे उससे पहले ही उठ गए। और बेटी को बेटे ने बालकनी में लॉक कर दिया। जिससे डर कर वो जोर जोर से रोने लगी। बालकनी से पड़ोसी देखकर भी मदद नही कर सकते थे क्योंकि कमरा लॉक था?

सोसाइटी के वाचमैन ने युवराज को फोन किया। और सारी स्थिति से अवगत कराया। तो युवराज ने कहा " की वो घर का लॉक तोड़कर बच्चो को पहले सुरक्षित करे।"

इधर सोनिया युवराज और पड़ोसियों के लगातार फोन करने पर भी फोन नही उठा रही थी। क्योंकि उसका फोन साइलेंट मोड पर था तभी अचानक सोनिया को नजर घड़ी की तरफ गयी देखा तो काफी समय हो गया था।उसका दिल ना जाने क्यों किसी अनहोनी की आशंका में जोर जोर से धड़कने लगा। वो आज सबके कहने पर भी नही रुकी और भागती हुई घर पहुंची। देखा तो घर पर भीड़ इकट्ठा है और उसकी बेटी बेहोश है। पड़ोसियों ने जब सारा हाल बताया "तो वो बदहवास हो रोने लगी। उसको अपनी गलती का एहसास हो चुका था लेकिन वहाँ मौजूद जितने लोग उतनी बाते आज उसके बारे में कह रहे थे।"

तभी किसी ने कहा "कैसी निर्दयी माँ है?बच्चों को छोड़ पार्टी मना रही है ऐसी औरतों को तो चुलु भर पानी मे डूब मरना चाहिए। ऐसे लोगों को भगवान को बच्चे ही नही देने चाहिए और भी ना जाने क्या क्या?"

इतने में युवराज भी आ गया। सोनिया को लगा आज युवराज भी उसे कड़वी बातें सुनाएगा। आखिर गलती भी उसकी ही है। बेटी और बेटे को सीने से लगाये। वो रो रही थी।

युवराज ने सबको धन्यवाद बोलकर घर भेज दिया। तभी बेटी को देखने आए डॉक्टर ने बोला "बच्चे डर गए है बाकी कोई बात नही सब ठीक है।"

आज युवराज ने सोनिया को डांटा नहीं अपितु बहुत प्रेम से गले लगाया उसके आंसुओं को पोंछ कर उसे चुप कराया और समझाया।

"देखो सोनिया तुम और मेरे बच्चे मेरा परिवार ही मेरी जान है मेरी पूरी दुनिया तुम लोगो मे बसती है तुम्हारी वजह से ही मैं निश्चित होकर बाहर नौकरी कर पाता हूं क्योंकि मुझे तुम पर पूरा विश्वास है कि मेरी सोनिया बच्चो का अच्छे से खयाल रखती है। मैं तो तुम्हारे बिना कुछ हूँ ही नहीं तुम बहुत अच्छी पत्नी और मां हो इसलिए अपनी कीमत कभी मत भूलना। बस इतना ही कहूंगा कि अब भी समय है।"

देखो सोनिया मन बहलाने के लिए बहुत से तरीके हैं जिनको अपनाकर तुम सच्ची खुशी प्राप्त कर सकती हो। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि तुम अपने अंदर की शक्ति को पहचानो यूँ अंधी आधुनिकता के नाम पर हमारे इस प्यारे से परिवार को बर्बादी के अन्धकार में मत धकेलो।"

कहते कहते वह खुद भावुक हो गया।

सोनिया ने कहा "युवराज मुझे माफ़ कर दो मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी। अगर आज बच्चो को कुछ हो जाता तो मैं खुद को कभी माफ नही कर पाती।"

सोनिया ने उसी दिन अपने बहके क़दमों को वापस मोड़ लिया।

अब उसने खूद को भी समझाना शुरू किया। और इसमें युवराज ने उसका पूरा साथ दिया।

"मम्मी ....क्या सोच रही हो ?"बेटी ने सोनिया के काँधे पर हाथ रखकर खिलखिलाते हुए कहा।

बेटी की आवाज ने सोनिया को अपनी कड़वी यादों से बाहर निकाला।

"कुछ नहीं बस कुछ याद आ गया था तू कब आयी।"सोनिया ने बेटी के गाल पर प्रेम से हाथ फेरते हुए कहा।

"बस अभी आयी अभी आती हूं चेंज करके" बेटी ने कहा

आज सोनिया बहुत खुश थी। तभी युवराज ने कहा "कोई आया था क्या?"

सोनिया ने कहा " हाँ सोसाइटी से एक लेडी आयी थी किट्टी के लिए इनविटेशन देने मैंने मना कर दिया।"

तब युवराज ने कहा "लेकिन क्यों?जाओ लोगोंं से मिलो जान पहचान बढ़ाओ।"

सोनिया "नही!मैं अब फिर से वही गलती नही दोहराना चाहती तुम तो जानते हो।"

तब युवराज ने कहा "देखो सोनिया मैंने तब भी कहा था आज भी कह रहा हुँ कि जिंदगी को अपने हिसाब से जियो किसी की देखा देखी नहीं। जरूरी तो नही की कुछ कड़वे अनुभव हर जगह वैसे ही हो। हर कोई एक जैसा ही नही होता। यदि ये महिलाएं और पार्टी तुम्हें ना ठीक लगे तो तुम दुबारा मत जाना।"

सुनो मैं तो मानता हूँ "चंदन विष व्याप्त नही लिपटे रहे भुजंग"यानी हमें अपना गुण कभी नही छोड़ना चाहिए। चाहे आपके आसपास कैसे भी लोग हो?

तब तुम मैच्योर नहीं थीं लेकिन आज तुम्हे सब पता है। बच्चे भी पढ़ाई में अच्छा कर रहे हैं। अब बड़े हो गए है अपना अच्छा बुरा समझते है।और इन सब का सारा श्रेय तुम्हें ही जाता है। इसलिए जरूरी है हम शब्दों की सही परिभाषा जाने। आधुनिक विचारों से होना जरूरी है।"

तुमने बिल्कुल सही कहा.....

अगले दिन सोनिया मन ही मन डरते हुए किट्टी में पहुंची। जहाँ पहले से महिलाएं मौजूद थी। सब उसको देखकर वहाँ बहुत खुश हुए सरला ने सबसे उसका परिचय कराया। लेकिन जो चीज उसकी उम्मीद से अलग थी वो थी इस किट्टी की रूप रेखा। यहाँ महिलाएं इकट्ठा होकर समाज सेवा से जुड़ी नीतियों को तैयार करके गरीबो और जरूरत मन्दों की मदद करती। जिन महिलाओं के छोटे बच्चे थे उनका विशेष रूप से ध्यान दिया जाता। पूछने पर पता चला कि वो अपने बच्चों को कही भी अपने साथ लेकर जाती है लेकिन कभी अकेला घर मे छोड़कर नही जाती। आधुनिक कपड़ो में महिलाएं यहाँ विचारों से भी आधुनिक थी ये जानकर सोनिया को बहुत खुशी हुई। वहाँ जाकर पता चला कि आज शिक्षक दिवस है। क्योंकि किट्टी की एक महिला डिग्री कॉलेज में लेक्चरर थी। जिसके लिए केक और उपहार भी सब लेकर आये थे। सोनिया ने सरला से कहा "अरे आप ने बताया नहीं नही तो मैं भी कुछ लेकर आती।"

सरला ने मुस्कुराते हुए कहा "कोई बात नही आप आयी ये ही हम सब के लिए खुशी की बात है। अभी तो बहुत से मौके आएंगे। तब आप लेकर आइयेगा।"

और सोनिया पार्टी खत्म होते मुस्कुराते हुए घर आयी।

घर आकर सोनिया ने युवराज के पैर छुए तो युवराज ने कहा "अरे ये क्यों तुम मेरे पैर क्यों छू रही हो"

तब सोनिया ने कहा "आज टीचर्स डे है टीचर्स यानी गुरु और जो आपको सही मार्ग दिखाए वही आपका सच्चा गुरु होता है। और मेरे सच्चे पथ प्रदर्शक मेरा सही मार्गदर्शन करने वाले तो आप है। तो पैर छूना तो बनता ही है मेरे मार्गदर्शक पतिदेव!!"

प्रियपाठकगण उम्मीद करती हूँ मेरी ये रचना आपको पसन्द आएगी। इस कहानी का उद्देश्य किसी की भावनायें आहत करने का नही है। किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए क्षमा करें। क्या आप युवराज के विचारों से सहमत हैं यदि हां तो कमेंट करके बताएं यदि ना तो भी कमेंट करके बताएं कि आप क्यों असहमत है?



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