माँ
माँ
इस दुनिया में माँ के बराबर कोई नहीं, जब से होश सँभाला हैं
देखा बस माँ का प्यार और दुलार,
अगर कोई काम गलत करती तो फिर थोड़ी देर में सब भूल कर प्यार से गले लगा के, माँ मेरे को समझाती, कि ऐसे नहीं ऐसे होता है। यदि घर आने में कालेज से थोड़ी सी देर, तो माँ भोली सी सूरत लेकर मेरा इंतजार करती। जब तक मेरे को ना खिला दे, खुद भी कुछ नहीं खाती। माँ की बात मान लिया करो, माँ के बराबर कोई नहीं !
बेटे की हर इच्छा पुरी करती, माँ पिता को मनाती तो, कभी ईश्वर से प्रार्थना करती, जिन बेटों को देख -देख खुश होती। उन्हें ही फूटी आँख ना सुहाती। माँ पड़ी बीमार हुई तो बेटे ने देखा तक नहीं।
बेटे के बीमार होने से दिन -रात क्या -क्या नहीं करती, सारी रात सेवा करके आँखों में गुजारी।
आज माँ रहती बेटे और बहु संग तो आँख दिखा देते दोनों इतनी सेवा के बाद भी नहीं किया सम्मान उनका, माँ का
आज नहीं तो कल पछताओगे, क्योंकि माँ के बराबर कोई नहीं। माँ ही पुजा माँ ही सारा संसार और माँ से ही परिवार है।