anju Singh

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शिव महिमा

शिव महिमा

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 सावन के महिने मे शिव की पूजा का बडा़ ही महत्व है।इन दिनो सभी भक्तजन शिव के लिए हरिद्वार से गगां जल ला कर कावड से शिव को जल चढाते है।

 यह भी मान्यता है की इन दिनो कुछ लोग वृत भी रखते है।और जो नही रख पाते है ।वो केवल शिव कथा सुन कर ही अपनी मनोकामनाँ पूरी करते है।

 क्योकि यै दिन शिव को बहुत ही प्यारा होता है तो वो इन दिनो मे मात्र कथा सुनने से ही अपने भक्तजनो की इच्छा पुरी करते है।

  मै आप सभी को एक कहानी सुनाती हूँ ये कहानी शायद ही आपने सुनी होगी।

  एक छोटे से शहर मे भानू नाम का व्यक्ति अपने बेटे और पत्नी साथ रहता था,उसका बेटा अभी छोटा था ,वह केवल 11 साल का था।और उसकी पत्नी घर पर ही काम करती थी।भानू का कुछ अच्छा काम तो नही था ।पर वो मजदूरी करके घर मे किसी चीज की कमी नही होने देता था।

  भानू का बेटा शिव भक्त के साथ अपनी पढाई पर भी ध्यान देता था। उसका नाम उत्कर्ष था।उत्कर्ष समझदार था इसलिए वो किसी चीज की जिद्द नही करता था। जो उसके पापा ला के देते चुप से खा लेता था।

  भानू का कुछ दिन से काम ठीक नही चल रहा था तो वो घर मे कुछ नही लाया एक दिन उसकी पत्नी बोली की अब घर मे दो दिन का ही खाने का सामान है फिर हम क्या खाएगे तो भानू बोला मै सेठ से बोल कर आज कुछ पैसे ले आऊगा ओर उत्कर्ष के लिए जलेबी भी लाऊगा उसे बहूत पसदं है ।

  यह सुन कर वो बहुत खुश हो जाता है।और भानू काम पर जाता है तो पता चलता है कि कुछ दिन काम बदं रहेगा सेठ कावड लेने गये है।यह सुन भानू सोच मे पढ़ जाता है और दूसरे काम की खोज मे निकल जाता है।

  कुछ ही दूर चलता है तो उसे कुछ मजदूर काम करते नजर आते है।तब वो वहाँ के बिल्डर से बोलता है साहब कुछ काम दे दो तो बिल्डर बोलता है यहाँ केवल ईट उठाने का काम है जो ऊपर तक पहुचानी है।भानू उस काम के लिए हाँ बोल देता है और काम मे लग जाता है।भानू जैसे ही ईटों को अपने सर पर रख कर ऊपर सीढी चढने लगता है तो उसका पैर फिसल जाता है और वो नीचे गिर जाता है।

  जिस से उसे बहुत चोट आती है और उसकी आखेँ चली जाती है।कुछ दिन बाद जब वो घर आता है तो बोलता है अपनी पत्नी से अब कैसे घर चलेगा अब क्या होगा दोनो बहूत दुखी होते है ये सब उसका बेटा सुन लेता है।

  तभी वो कुछ करने की सोचता है और काम की खोज मे जाता है।जब वो जा रहा होता है तो उसे कुछ कावड वाले मिलते है।तो वो उन से सब कुछ पुछता है। तब वो लोग बताते है हम कावड लेकर हरिद्वार जा रहे है।वहा से गगाजलं ला कर शिव पर चढायेगे तो शिव हर मनोकामना पुरी करेगे।यह सुन कर वो बोलता है मै भी जा सकता हूँ तो तभी सभी भक्तजन बोलते है हा बेटा क्यो नही।

  तभी उस के दिमाग मे आता है कि अगर मै पापा जी को भी ले जाऊ तो शिव जी उनकी आखेँ भी ठिक कर देगे

  ये सोच कर वो अपने हाथ से ही कांवर बनाता है।और अपने मम्मी पापा को सब बताता है ।दोनो उसे समझाते है बेटा तुम अभी छोटे हो तो कैसे लेकर जाओगे अपने पापा को तो बोलता है एक तरफ पापा जी और एक तरफ खाने का सामान रख कर ले जाऊगा ।

  ये सब शिव देख रहे होते है तो एक बुढे़ बाबा का रुप बना कर आते है और अपनी जाने की इच्छा बताते है,इस पर उत्कर्ष बोलता है ठीक है बाबा जी एक तरफ आप और एक तरफ पापा जी बैठ जाएगे मै आराम से ले जाऊगा।

  जब दोनो बैठ जाते है तो परेशान तो होते है कि बच्चा इतना भारी कैसे उठायेगा परन्तु जब वो कावड कंधे पर रखता है तो बोलता है यह तो बहुत ही हल्का है और वो आराम से उठा के हरिद्वार पहुच जाता है।

  वहाँ पहुच कर बाबा उसे एक फूल दे कर बोलते है बेटा जब गगां स्नान कर लो तो ये फूल अपने पापा की आखो पर लगा देना वो ऐसा ही करता है और भानू की आखँ आ जाती है।ये चमत्कार देख वो समझ जाता है वो कोई और नही खूद शिव जी थे।और दोनो खुशी खुशी हर हर महादेव बोलते अपने घर चले जाते है ।शिव के आशिर्वाद से फिर वो खुशी से रहने लगते है ।उनकी सारी मनोकामना पुरी हो जाती है और बाबा बोलते है बेटा तुम सच मे कलयुग के श्रवणकुमार हो।

  

  

  


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