भगवान सबको देखता हैं
भगवान सबको देखता हैं
एक बार एक गाँव में एक भला आदमी बिक्री से दुखी था। यह देख एक चोर को उस पर दया आ गई। वह उस बेरोजगार आदमी के पास गया और बोला, “मेरे साथ चलो, चोरी में बहुत सारा धन मिलेगा” आदमी बैकर बैठे-बैठे परेशान हो गया था। इसलिए वह उस चोर के साथ चोरी करने को तैयार हो गया। लेकिन अब समस्या यह थी की उसे चोरी करना आती नहीं थी। उसने साथी से कहा, “मुझे चोरी करना आती तो नहीं है, फिर कैसे करूँगा।” चोर ने कहा” तुम उसकी चिंता मत करो, मैं तुम्हें सब सिखा दूंगा।”
अगले दिन दोनों रात के अँधेरे में गाँव से दूर एक किसान का पका हुआ खेत काटने पहुँच गए। वह खेत गाँव से दूर जंगल में था, इसीलिए वहां रात में कोई रखवाली के लिए आता जाता न था। लेकिन फिर भी सुरक्षा के लिहाज़ से उसने अपने नए साथी को खेत की मुंडेर पर रखवाली के लि
ए खड़ा कर दिया और किसी के आने पर आवाज लगाने को कहकर खुद खेत में फसल चोरी करने पहुँच गया। नए साथी ने थोड़ी ही देर में अपने साथी को आवाज लगे, “भाई जल्दी उठो, यहाँ से भाग चलो…खेत का मालिक पास ही खड़ा देख रहा है” चोर ने जैसे ही अपने साथी की बात सुनी वह फसल काटना छोड़ उठकर भागने लगा।
कुछ दूर जाकर दोनों खड़े हुए तो चोर ने साथी से पुछा, “मालिक कहाँ खड़ा था ? कैसे देख रहा था ? नए चोर ने सहजता पूर्वः जवाब दिया, “मित्र! ईश्वर हर जगह मौजूद है। इस संसार में जो कुछ भी है उसी का है और वह सब कुछ देख रहा है। मेरी आत्मा ने कहा, ईश्वर यहां भी मौजूद है और हमें चोरी करते हुए देख रहा है…इस स्थिति में हमारा भागना ही उचित था। पहले चोर पर बेरोजगार आदमी की बातों का इतना प्रभाव पड़ा की उसने चोरी करना ही छोड़ दिया..!